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अनाथ अपराधियों से कट्टरपंथी जिहादी हत्यारों तक

अनाथ अपराधियों से कट्टरपंथी जिहादी हत्यारों तक - Paris attack
पुलिस को पेरिस के दो अनाथ छोटे-मोटे अपराधियों सईद (34) और शरीफ काउशी (32) की तलाश थी। ये उन लोगों में शामिल थे, जिन्होंने पेरिस की साप्ताहिक पत्रिका शार्ली एब्दो के कार्यालय में घुसकर बारह लोगों की हत्या कर दी और ये फरार होकर ऐसे स्थान पर जा छिपे थे, जहां पर पुलिसकर्मियों के लिए भी इन्हें खोजना आसान नहीं था। लेकिन बाद में पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में इन दोनों जिहादी भाइयों की मौत हो गई। ये जिहादी अनाथ थे और बचपन में छोटे-मोटे अपराध करते रहे थे। बाद में इन्हें कट्‍टरता का पाठ पढ़ाया गया और इनके बारे में कहा जाता रहा है कि पुलिस को दस वर्षों से इस बात की जानकारी थी कि इनके आतंकवादियों के साथ संबंध हैं। शरीफ एक पिज्जा डिलिवरी ड्राइवर की नौकरी करता था और वह अपने पैसों से गांजा खरीदकर पीता था। 
उसके बारे में बताया गया है कि वह वर्ष 2005 में एक फ्रेंच टीवी पर एक रैप गायक के तौर पर सामने आया था। इन दोनों भाइयों को पेरिस के इमाम ने कट्‍टरपंथी बनाया और दोनों को इतना महत्वपूर्ण बना दिया कि वर्ष 2005 में असफल और छोटे-मोटे अपराधियों का जीवन बिताने वाले इन दोनों भाइयों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
 
सईद के बारे में कहा जाता है कि वह अपने साथी के साथ रीम में रहता रहा था। उसके साथ उसकी महिला साथी और दो बच्चे भी रहते रहे हैं, लेकिन शरीफ के बारे में बताया जाता है कि वह गेनविलिए में अपनी पत्नी के साथ चौथे फ्लोर पर एक फ्लैट में रहता था। इस आशय का दावा किया जाता है कि पुलिस को शरीफ के घर से कट्‍टरपंथी और बाल पोर्नोग्राफी के वीडियो भी बरामद हुए थे।   
 
एक समय पर दोनों को स्कूल छोड़ने वाले ऐसे लड़के समझा जाता था जिनका भविष्य ड्रग और छोटे-मोटे अपराध करना होता है। लेकिन जब उनके दिमाग में कट्‍टरपंथी इस्लामी विचारधारा भर दी गई तो वे फ्रांस के सर्वाधिक वां‍टेड अपराधी बन गए। शरीफ को हशीश का नशा करने वाले अपराधी के तौर पर जाना जाता था। वर्ष 2005 के एक वीडियो में उसने अपने अपराधों पर खेद भी जाहिर किया है, लेकिन एक वर्ष बाद ही वह फिर एक बार गिरफ्तार किया गया था। 32 वर्षीय शरीफ के बारे में सुरक्षा अधिकारियों का कहना था कि वह एक 'टिकिंग टाइमबम' रहा है। पेरिस में एक मौलवी ने उसे इस्लाम की शिक्षा दी और इसी के साथ वह 2005 में जिहादी बनने के लिए इराक जाना चाहता था लेकिन उससे पहले ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया था।
 
बाद में, वह जमाल बेगल नाम के फ्रांसीसी अल्जीरियाई का शिष्य बन गया था। जमाल को उत्तरी लंदन में फिन्सबरी पार्क मस्जिद में शरण मिली हुई थी और उस समय इस मस्जिद पर कट्‍टरपंथी इस्लामी प्रचारक अबू हमजा का नियंत्रण था। वह फ्रांस के नेताओं से बहुत अधिक घृणा करता था और आगामी चुनावों में वोट भी नहीं देना चाहता था हालांकि गेनविलिए ‍मस्जिद के इमाम और अन्य लोग उसे समझाते थे लेकिन उसका मानना था कि मुस्लिमों को काफिरों को वोट नहीं देना चाहिए। इस बीच 2010 में सईद को जेल से एक आतंकवादी षड्‍यंत्र करने के मामले में गिरफ्तार किया गया था।   
 
ये दोनों भाई पेरिस के एक गुमनाम से इलाके में पैदा हुए थे। जब ये दोनों छोटे ही थे तब इनके अल्जीरियाई माता-पिता की मौत हो गई थी। उनके माता-पिता फ्रांस में अल्जीरिया के स्वतंत्र होने से पहले आकर बस गए थे। शरीफ ब्रिटानी के एक चिल्ड्रंस होम में बड़ा हुआ था, पर बाद में वह उत्तरी पेरिस में रहने लगा। वर्ष 2003 में अमेरिका के इराक पर हमले से पहले वह गरीब प्रवासी समुदाय के युवाओं में से एक था जो कि राजधानी के चारों ओर फैली बस्तियों में रहा करते थे। वह अपने आपको संयोग से पैदा हुआ मुस्लिम बताता था। इस दौरान उसका गांजा पीना, शराब पीना और ड्रग्स का नशा करने के साथ-साथ औरतों के पीछे भी भागना जारी रहा था। इसी दौरान उसे पिज्जा की डिलिवरी करने वाले की नौकरी मिली थी। 
 
उसके घर से एक वीडियो मिला है जिसमें उसे रैप गाना गाते दिखाया गया है। इसमें वह जींस पहने, सनग्लासेज लगाए और बैगी स्वेटशर्ट पहने हुए है। उसने अपने सिर पर एक लाल रंग की बेसबॉल कैप भी लगा रखी है। उस समय भी शरीफ का बहुत छोटा आपराधिक रिकॉर्ड था और कहा जाता है कि वह मस्जिद जाने की बजाय सुंदर लड़कियों के पीछे भागने में अधिक रुचि रखता था। पर जब वह अद्दावा मस्जिद में जाने लगा तो उसमें नाटकीय परिवर्तन हुआ। यह मस्जिद पेरिस के स्टालिनग्राड क्षेत्र में है। यहां पर वह इमाम फरीद बेनीतो के प्रभाव में आया। हालांकि फरीद उससे उम्र में मात्र एक वर्ष ही बड़ा था, लेकिन वह तब भी इस्लाम की कट्‍टरपंथी विचारधारा का प्रचार करता था। 
 
इसका असर यह हुआ कि शरीफ ने नियमित तौर पर नमाज में भाग लेना शुरू कर दिया, दाढ़ी बढ़ा ली और जिहादी वीडियोज देखने लगा। बाद में उसने एक कोर्ट को बताया था कि वह इराक में अबू गरैब जेल में अमेरिकी सैनिकों द्वारा मुस्लिम कैदियों के साथ दुर्व्यवहार से विशेष रूप से प्रभावित हुआ है। फरीद बेनीतो एक आतंकी सेल का प्रमुख था और उसके ग्रुप के सदस्य उत्तर-पूर्वी पैरिस के एक पहाड़ी पार्क में ट्रेनिंग लेते थे। यहीं पर उन्होंने जिहादी तैयारी की और क्लाशिनिकोव चलाने का प्रशिक्षण लिया। इस पार्क दे बाइट शोमों ग्रुप के आतंकवादी गुट ने यहां से एक दर्जन युवा लोगों को इराक भेजा था जो कि कभी भी वापस नहीं लौटे हैं। इन सभी युवाओं की उम्र 25 वर्ष या इससे कम की थी।  
 
शरीफ ने जिहादी बनने के एक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर भी किया था और उसने अपने एक मित्र के साथ पेरिस से सीरिया के लिए 25 जनवरी, 2005 को सुबह छह बजकर 45 मिनट की फ्लाइट पकड़ने की योजना बनाई थी। बताया जाता है कि इन लोगों को दमिश्क में एक तेरह वर्षीय लड़के से मिलना था जो कि उन्हें करीब 200 यूरो में एक क्लाशिनिकोव दिलाता और बाद में उनके इराक में जाने का इंतजाम करता लेकिन इससे पहले ही फ्रांसीसी पुलिस ने शरीफ को गिरफ्तार कर लिया। इन बातों का तब पता लगा था जबकि उस पर 2008 में छह अन्य लोगों के साथ मुकदमा चला था। इन लोगों पर आरोप था कि वे इराक में उग्रवादियों की ओर से लड़ने वाले लड़ाकों को भेजने का इंतजाम कर रहे हैं। 
 
उसका दावा है कि बेनोतो ने उसे समझाया था कि धार्मिक पाठ्‍य पुस्तकों में आत्मघाती हमलों के लाभ को बताया गया है। उसका यह भी दावा है कि इनमें कहा गया है कि एक शहीद की तरह मरना अच्छी बात है। उसके वकील विंसेट ओलिविए का दावा था कि उनका मुवक्किल थोड़ा मरियल सा महत्वहीन आदमी है और वह गलती से भीड़ में शामिल हो गया है। जबकि असलियत यह थी कि अदालत ने शरीफ को तीन साल की जेल की सजा सुनाई थी और उसने 18 माह जेल में बिताए थे, लेकिन पेरिस की फ्ल्यूरी-मेरोजिस जेल ने उसकी जिंदगी बदल दी। उसने जेल में अपना शरीर बनाया और वह अलग-थलग रहने लगा। यहां उसकी भेंट बेगल से हुई जो कि जेल में दस वर्षों की सजा काट रहा था। लीसेस्टर का बेगल लंदन की फिंसबरी पार्क ‍मस्जिद में जाता था जिसे अबू हमजा नामक इस्लामी कट्‍टरपंथी संचालित करता था। कहा जाता है कि उसने अफगानिस्तान में ओसामा बिन लादेन के बहुत करीबी सहायक से भी भेंट की थी।
 
जेल से रिहा होने के बाद शरीफ को फ्रांसीसी खुफिया पुलिस ने अप्रैल 2010 में मध्य फ्रांस में मुरत में बेगल से मिलते हुए देखा था। मई 2010 में उसे फिर एक बार गिरफ्तार कर लिया गया। उस पर शक था कि वह उस गुट के लिए काम कर रहा था जो कि स्मैन अली बेल्कासेम को रिहा करने के लिए जेल में सेंध लगाने की योजना बना रहा था। अली को वर्ष 1995 में पेरिस रेलवे स्टेशन पर बमबारी करने के आरोप में आजीवन कारावास दिया गया था। बाद में फ्रांसीसी अधिकारियों ने फैसला किया कि उसके खिलाफ आरोप पुख्ता नहीं थे। इस मामले में सईद का नाम भी आया था, लेकिन उसे कभी गिरफ्तार नहीं किया गया था। इस बात की भी जानकारी नहीं है कि दोनों भाइयों को मिलिटरी शैली की ट्रेनिंग कहां से मिली है। पर माना जाता है कि दोनों में से एक ने यमन में कुछ माह बिताए थे और ट्रेनिंग ली थी। 
 
शरीफ ने मार्च 2008 में इजाना हमीद से उत्तर पश्चिमी पेरिस में विवाह किया और समझा जाता है कि दोनों की कम से कम संतान भी है। इनके सबसे करीबी पड़ोसी एरिक बैडी (60) का कहना है कि तीन दिन पहले शरीफ ने एक दरवाजे के टूटे हैंडल को जोड़ने में मदद की थी। उनका कहना है कि वह हमेशा ही बूढ़ी औरतों की जरूरत की चीजें खरीदने में मदद करता था। उसके भाई सईद ने मार्च 2012 में पेरिस में सौम्या बौरफा से विवाह किया और दोनों के दो बच्चे हैं। वह उत्तर पूर्वी फ्रांस के रीम्स शहर के एक टॉवर ब्लॉक में रहता है। इसी इमारत में पिछले 34 वर्षों से रह रहे कादिर सहरोलीर (76) का कहना है कि वह हमेशा ही मेरे प्रति बहुत ही उदार रहा है। जब भी वह मिलता है, हैलो कहकर अभिवादन करता है। 
 
फ्रांस के प्रधानमंत्री मैनुअल वाल्स ने फ्रेंच रेडियो को बताया कि दोनों भाइयों पर खुफिया विभाग की नजर रही थी। शार्ली एब्दो कार्यालय पर हमले से पहले खुफिया एजेंसियां उनके पीछे लगी थीं। तीसरा हमलावर मुराद हमीद (18) था जो कि शरीफ का साला समझा जाता है। समझा जाता है कि उसने उत्तरी फ्रांस के शार्लविले-मैजीयरे में आत्मसमर्पण कर दिया था। उसके बाद कहा जाता है कि वह कोशी बंधुओं को भागने में मदद करने के लिए ड्राइवर का काम कर रहा था, लेकिन उसके कई स्कूली दोस्तों का कहना है कि हमले के दौरान वह क्लास में मौजूद था।