गुरुवार, 28 मार्च 2024
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Written By Author शरद सिंगी

मोदीजी में दिख रही है निक्सनीय छवि

मोदीजी में दिख रही है निक्सनीय छवि - Narendra Modi
हमारे देश में मोदीजी के बारे में पिछले कुछ वर्षों से चर्चा हो रही थी कि  क्या वे देश के रिचर्ड निक्सन होंगे? यूं तो उनकी तुलना कई नेताओं से होती है किन्तु पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन से सबसे ज्यादा। कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने लगभग एक वर्ष पूर्व मोदीजी में रिचर्ड निक्सन बनने की सम्भावना देखी थी। एक साक्षात्कार के दौरान उन्होंने कहा था कि मोदीजी में रिचर्ड निक्सन के रूप में उभरने की क्षमता है, क्योंकि उनके पास पूर्ण बहुमत है। अतः वे चीन और पाकिस्तान से निपटने के लिए ठोस धरातल पर खड़े हैं जो मनमोहनसिंह  के पास नहीं था। आइए, देखते हैं मोदीजी की रिचर्ड निक्सन के साथ तुलना होने के क्या कारण हैं?
रिचर्ड निक्सन अमेरिका के सैंतीसवें राष्ट्रपति थे। अपनी सफल विदेश नीति की वजह से उनका नाम  बीसवीं सदी के महानतम नीतिमर्मज्ञ राजनेताओं के नामों में शुमार होता है।  यही वजह थी कि वे अमेरिकी जनता के बीच काफी लोकप्रिय हुए। वे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति थे जिन्होंने चीन की यात्रा की और चीन और अमेरिका के बीच 25 वर्षों से चले आ रहे तनावभरे संबंधों को अपनी इस यात्रा से सामान्य बनाने में सफल रहे।  इस यात्रा के बाद से ही चीन में अमेरिकी निवेश और तकनीक का प्रवाह प्रारम्भ हुआ था। इसलिए चीन के लोगों के मन में निक्सन के लिए बहुत आदर है। 
 
निक्सन  न केवल चीन के साथ सम्बन्ध सामान्य करने में कामयाब हुए अपितु रूस को भी मज़बूर किया टेबल पर बैठकर वार्ता करने के लिए। यहां भी वे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति थे जो सोवियत संघ की यात्रा पर गए और तत्कालीन सवियत संघ के महासचिव ब्रेज़नेव के साथ के साथ बैलिस्टिक मिसाइल विरोधी एवं परमाणु आयुध विरोधी संधि पर हस्ताक्षर किए। इस तरह उन्होंने चीन के साथ रिश्तों को रूस के विरुद्ध और रूस के साथ रिश्तों को चीन के विरुद्ध बड़ी कामयाबी के साथ इस्तेमाल किया। और तो और चीन और रूस दोनों को वियतनाम के विरुद्ध इस्तेमाल किया और  वियतनाम युद्ध को भी एक समझौते के तहत समाप्त किया। इस तरह अपनी विदेश नीतियों से लोकप्रिय  हुए निक्सन ने  अपना दूसरा चुनाव भारी बहुमत से जीता किन्तु दुर्भाग्यवश जब वे  वाटरगेट जासूसी कांड में फंसे तो अपने कार्यकाल पूरा होने से  पहले ही उनको राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देना पड़ा। वे अमेरिका के पहले ऐसे राष्ट्रपति हुए जिनको समय से पहले इस्तीफा देना पड़ा और बदनामी झेलनी पड़ी। 
 
हाल में, चीन यात्रा के दौरान चीन के ही सरकारी मीडिया द्वारा मोदीजी की तुलना रिचर्ड निक्सन से करना एक निश्चित है सकारात्मक टिप्पणी थी। यहां यह भी कम रेखांकित करने वाली बात नहीं है कि चीन के सरकारी  मिडिया द्वारा मोदीजी में  निक्सन का अक्स देखना एक बहुत बड़ी बात थी। मोदीजी की कूटनीतिक अंतर्दृष्टि की सराहना करते हुए चीन के सरकारी मुखपत्र 'ग्लोबल टाइम्स' ने लिखा था कि  मोदी में  निक्सन शैली के राजनेता बनने की पूरी सम्भावना है। निक्सन की गिनती नीति उपदेशक राजनेताओं में होती है।  उनके कई उद्धहरण हैं जो उन्हें सामान्य राजनेताओं  से अलग करते हैं। उनके कुछ अमर कथन हैं जैसे 'यदि तुम जोखिम नहीं लोगे तो पराजित तो नहीं होओगे किन्तु जीतोगे भी कुछ नहीं।''हारने वाला आदमी समाप्त नहीं हो जाता किन्तु अपने प्रयास छोड़ने वाला आदमी समाप्त हो जाता है।'
 
भारत के कूटनीतिक भविष्य  लिए यह एक अच्छी बात होगी कि मोदीजी निक्सन शैली के नेता के रूप में दुनिया में स्थापित हों। निक्सन कहते थे, टकराव के युग को छोड़कर, चलो हम बातचीत के युग में चलते हैं। ऐसी ही सोच अभी तक मोदीजी ने दिखाई है। ऐसी सोच को अमल में लाने का काम एक साहसी व्यक्ति ही कर सकता है। मोदीजी वर्षों से पटरी से उतरी भारतीय कूटनीति को पुनः पटरी पर ले आने में सफल रहे हैं। यद्यपि मंज़िल पर पहुंचने से पहले अभी कई मुश्किल पड़ावों से गुजरना है। 
 
ध्यान यह भी रखना होगा कि यह कूटनीतिक रेल तभी तक दौड़ सकती है जब तक घरेलू  राजनीति और सरकार ठोस धरातल पर अडिग हो। अतः उनके सामने चुनौती है राष्ट्रनीति को सुदृढ़ रखते हुए विदेश नीति को सबल करना। इस लेखक का विचारपूर्ण और आकलनपूर्ण  मत है कि मोदीजी के साहसी प्रयासों में सभी संबंधित पक्षों को सकारात्मक सोच अपनाते हुए सहयोग देना चाहिए, चाहे वे पक्ष के हों या विपक्ष के। यह समय है जबकि व्यक्तिगत मनोमालिन्यों से ऊपर उठकर राष्ट्रहित को सर्वोपरि समझा जाना चाहिए।