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Written By Author शरद सिंगी
Last Updated : शनिवार, 20 मई 2017 (12:30 IST)

अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में मिला भारत को समर्थन

अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में मिला भारत को समर्थन - Kulbhushan Jadhav
नीदरलैंड्स के हेग में स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत में भारत के जाने-माने बैरिस्टर हरीश साल्वे ने मात्र 1 रुपए की फीस लेकर कुलभूषण जाधव को दिए गए मृत्युदंड पर पाकिस्तान की सरकार और उसकी सैन्य अदालत का अंतरराष्ट्रीय मंच पर बड़ी बेरहमी से चीरहरण किया और एक धूर्त एवं दुश्चरित्र राष्ट्र के दुष्कृत्यों का पर्दाफाश किया। 
 
भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने जब से अगवा करके बंदी बनाया है, तब से भारत की सरकार और जनता में पाकिस्तान के विरुद्ध जबरदस्त रोष है।
 
पाकिस्तान सरकार पर भारत का आरोप है कि उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने कुलभूषण जाधव को ईरान से अगवा किया और उसे यातना देकर एक वीडियो बनाया जिसमें उसे भारतीय जासूस और आतंकवादी के रूप में प्रस्तुत किया गया। वे यहीं नहीं रुके, अपने सैन्य कंगारू कोर्ट (कंगारू कोर्ट तंज के रूप में उस कोर्ट को बोला जाता है जिसमें बिना किसी मुकदमे और गवाही के आरोपी को अपराधी घोषित कर दिया जाता है) ने उस वीडियो के साक्ष्य के आधार पर कुलभूषण को मृत्युदंड दे डाला!
 
भारत सरकार ने पाकिस्तान की इस धूर्तता को बहुत गंभीरता से लिया और निरंतर पाकिस्तानी सरकार से आधिकारिक तौर पर कुलभूषण से मिलने के अनेक अनुरोध किए, किंतु पाकिस्तान अपनी पोल खुलने के डर से इन अनुरोधों को अस्वीकार करता चला गया। पाकिस्तान की हठधर्मिता और कुलभूषण की जान पर आसन्न खतरे को देखते हुए भारत ने आनन-फानन में अंतरराष्ट्रीय अदालत का दरवाजा खटखटा दिया। 
 
दुश्मन को बिना समय दिए भारत का तेज रफ्तार से हेग पहुंचना और हरीश साल्वे का अदालत में पाकिस्तान के अनैतिक और गैरकानूनी कृत्यों का सिलसिलेवार चिट्ठा खोलना पाकिस्तान को बचाव की मुद्रा में लाने के लिए पर्याप्त था। पाकिस्तान अपने बचाव में हेग अदालत के न्यायक्षेत्र को ही चुनौती देता रहा किंतु कुलभूषण के विरुद्ध आरोपों पर कोई सबूत पेश नहीं कर सका। 
 
उसने जबरन फिल्माई वीडियो को साक्ष्य के रूप में रखने की कोशिश तो की किंतु वह यह भूल गया कि वह अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में खड़ा है, किसी कंगारू कोर्ट में नहीं। जाहिर है उसका यह पैंतरा वहां काम नहीं आया, उल्टे भद और पिटी। कोर्ट का निर्णय पूरी तरह भारत के पक्ष में आया, जो भारत सरकार, भारतीय जनता तथा कुलभूषण के परिवार के सदस्यों के लिए बड़ी राहत लेकर आया।
 
एक बार यदि पाकिस्तान के आरोपों को सही मान भी लें कि कुलभूषण भारतीय जासूस हैं, तब तो भारत सरकार सराहना की हकदार है कि उसने कुलभूषण का भारतीय नागरिक होने की बात को कभी अस्वीकार नहीं किया जिस तरह पाकिस्तान आमतौर पर अपने फौजियों या आतंकवादियों के पकड़े जाने के बाद उनका त्याग कर देता है। उनका अंतिम संस्कार भी भारत को करना पड़ता है।
 
इस तरह भारत ने अपने देश की सुरक्षा के लिए दुश्मन देशों में अपने प्राण हथेली पर रखकर खुफिया विभाग के लिए काम कर रहे उन नौजवानों को एक स्पष्ट संकेत भेजा है कि भारत और भारत की जनता दृढ़ता से उनके साथ खड़ी है और उनकी जान बचाने के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार है। 
 
दूसरी एक महत्वपूर्ण बात यह है कि पाकिस्तान के मीडिया में लगातार एक खबर बनी हुई है कि भारत की खुफिया एजेंसी रॉ ने पाकिस्तान की सेना और आईएसआई के एक पूर्व कर्नल को नेपाल सीमा से अगवा कर लिया है जिसे कुलभूषण को छुड़ाने में इस्तेमाल किया जाने वाला है। इस रोचक कहानी को भी हम यथासमय कवर करेंगे। यदि यह सच है तो भारत सरकार और रॉ दोनों ने ही पाकिस्तान को इस समय चारों ओर से घेर रखा है और पाकिस्तान को अब उसी की भाषा जवाब दिया जा रहा है।
 
कुल मिलाकर देखें तो पाकिस्तान अपने ही बिछाए जाल में फंस चुका है। यदि वह मुकदमा लड़ता है तो उसे कई गवाहों, सबूतों और साक्ष्यों को अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में रखना पड़ेगा और उनसे जिरह करने का भारत को अधिकार होगा। 
 
पाकिस्तानी सेना कुलभूषण की गिरफ्तारी को एक बड़ी सफलता के रूप में दिखाकर पाकिस्तानी अवाम को धोखा दे रही थी किंतु अब उस गुब्बारे की हवा निकल चुकी है। पाकिस्तान को अब अच्छी तरह समझ में आ गया होगा कि भारत की वर्तमान सरकार सरबजीत और सौरभ कालिया की निर्मम हत्याओं को चुपचाप सहन करने वाली पुरानी सरकारों की तरह नहीं है। यद्यपि कानूनी लड़ाई अभी लंबी है किंतु अंग्रेजी की एक कहावत के अनुसार 'यदि आरंभ अच्छा हुआ है तो आधा काम तो पूर्ण हो गया समझो।' 
 
साल्वे जिन्हें भारत सरकार ने पद्मभूषण से सम्मानित किया है उनके लिए कहते हैं कि उनकी फीस 30 लाख रुपए प्रतिदिन है। उनके द्वारा मात्र 1 रुपए की फीस लेकर कुलभूषण का मुकदमा लड़ना भारत के सच्चे सुपुत्र की निशानदेही है। उन्हें शतश: सलाम। 
 
हमारा विश्वास है कि कुलभूषण उनकी समर्पित विशेषज्ञ सेवाओं के अंतर्गत सुरक्षित हैं और रहेंगे।