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Last Modified: गुरुवार, 4 दिसंबर 2014 (17:24 IST)

हरियाणा की बहनों का मामला कितना जायज?

हरियाणा की बहनों का मामला कितना जायज? - Case Rohtak, Haryana sisters
- देवव्रत बाजपेयी

हरियाणा में दो बहनों का मामला जिसमें उन्होंने एक नहीं दो-दो बार युवकों की पिटाई की। मीडिया की सुर्खियों में बरकरार है। पर चश्मदीद गवाहों के बयानों के मद्देनजर इस केस ने पंजाब के पटियाला और हरियाणा में हुए ऐसे मामलों की यादों को भी ताजा कर दिया है जिनमें युवतियों ने खुद के स्वार्थ के चलते निर्दोष युवकों को फंसाया था।

सरकार ने महिला सुरक्षा के लिए कानून बनाया था ताकि देश में लगातार बढ़ रहे रेप मामलों में लगाम लगाई जा सके। पर हाल ही में हुए इन मामलों ने सरकार के कानून पर प्रश्नचिन्ह लगाना शुरू कर दिया है। हाल के महीनों में हरियाणा और पंजाब सहित पूरे देश में युवतियों द्वारा युवकों पर कई फर्जी एफआईआर के मामले देखने को मिले हैं।

जांच के बाद कई महिलाओं की हकीकत भी सामने आई। पर ये सिलसिला यहीं नहीं थमा बाद बल्कि आज भी कई निर्दोष लोग इनका शिकार बन रहे हैं। कुछ महीनों पहले एनडीटीवी की वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त ने ट्विटर में इस संबंध में ट्वीट किया था कि नए कानून असल में पीड़ित महिलाओं का हथियार न बनकर सशक्त महिलाओं का निर्दोष युवकों को परेशान करने का हथियार बन गया है।

आजकल हरियाणा की दो बहनों का मामला मीडिया में खूब छाया हुआ है। बस में युवकों की पिटाई करने के बाद इन बहनों को प्रदेश सरकार ने 26 जनवरी के दिन सम्मानित करने की घोषणा की थी। पिछले दो दिनों से चश्मदीद गवाहों के बयानों के मद्देनजर एवं एक नए वीडियो के आने से जिसमें युवक बहनों से माफी मांगते नजर आ रहे हैं। मामले को पूरा उल्टा कर दिया है। हालांकि प्रदेश सरकार ने 26 जनवरी को बहनों को सम्मानित करने पर रोक लगा दी है। इन सबके बावजूद एक सवाल खड़ा होता है कि महिला सशक्तीकरण कानून को फिर से तराशने की जरूरत आन पड़ी है।