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Last Modified: गुरुवार, 8 दिसंबर 2016 (19:23 IST)

सरकार! ये घोषणा तो पहले ही कर देते...

सरकार! ये घोषणा तो पहले ही कर देते... - currency ban digital payment
डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने एक साथ कई घोषणाओं की बौछार कर दी है। इसमें कोई संदेह नहीं कि इन घोषणाओं से ई-पेमेंट को बढ़ावा भी मिलेगा। लेकिन, बड़ा सवाल यह भी है कि इन लोक-लुभावन घोषणाओं के लिए सरकार ने इतना समय क्यों लिया? यदि नोटबंदी से पहले डिजिटल पेमेंट पर छूट वाली घोषणाएं कर दी जातीं तो संभव है नोटबंदी से उपजी समस्याओं से लोगों को दो-चार नहीं होना पड़ता।
उल्लेखनीय है कि नोटबंदी के बाद सरकार ने यह भी कहा था कि नोटबंदी का मकसद सिर्फ कालाधन बाहर निकालना नहीं है, ‍बल्कि भारत के लोगों को डिजिटल पेमेंट के लिए प्रेरित करना है। अब, जिस तरह से लोगों ने बैंक अधिकारियों और नेताओं की मदद से बड़े लोगों ने अपने कालेधन को नई करेंसी में बदलकर एक बार फिर से सुरक्षित कर लिया है, उससे यह लक्ष्य तो दूर होता ही दिखाई दे रहा है।
 
यह जरूर विश्वास किया जा सकता है कि नोटबंदी से नकली नोट, नक्सलवाद और आतंकवाद पर जरूर चोट पड़ी होगी, लेकिन कालेधन पर यह चोट जितनी करारी होनी थी, उतनी नहीं हो पाई। हां, कालेधन वालों को पुराने नोटों के बदले नए और करारे नोट जरूर मिल गए। 
हालांकि डिजिटल पेमेंट करने वालों के लिए सरकार ने आज की घोषणा से राहत जरूर दी है, जो अब तक समझ रहे थे कि डिजिटल भुगतान पर उन्हें अतिरिक्त राशि भी चुकानी पड़ेगी। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने पेट्रोल, बीमा पालिसियों से लेकर रेल टिकटों पर छूट का ऐलान किया है। मगर क्या यह जरूरी नहीं था कि सरकार ये घोषणाएं नोटबंदी से पहले ही कर देती तो शायद एटीएम और बैंकों के बाहर इतनी लंबी लाइन नहीं लगती और नोटबंदी के लक्ष्य को और अच्छी तरह से हासिल किया जा सकता था।
 
डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के साथ ही सरकार को सुरक्षा पर भी खास ध्यान देना होगा अन्यथा कोई आश्चर्य नहीं कि हैकर लोगों के खातों में झाड़ू लगा दें और लोग अपनी मजबूरी पर आंसू बहाने के अलावा कुछ नहीं कर पाएंगे। केन्द्र सरकार को चाहिए कि वह लोगों को यह भरोसा भी दिलाए कि डिजिटल लेनदेन में उनके धन को किसी भी तरह का खतरा नहीं है। 
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