गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
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थप्पड़ से डर नहीं लगता, विराट का प्यार ही काफी है...

थप्पड़ से डर नहीं लगता, विराट का प्यार ही काफी है... - #Virat Kohli, Mohali, Twenty20 World Cup, India Australia match
'गुनगुनाती हुई आती है
फलक (आकाश) से बूंदें
कोई बदली तेरे पाजेब़
से टकराई है'
 
कल रात मोहाली में जो कुछ भी हुआ, उसके लिए कतील शिफाई के ये अल्फाज़ बयां करने के लिए काफी है। जिस महफिल का आगाज़ तूफान के साथ हुआ था, उसे नदी के बहाव की तरह अंजाम दिया गया। ऐेसा कहते हैं कि ज्वालामुखी फटने के बाद जब शांत होता है तो आसपास की जमीन बेहद उपजाऊ होती है। ठीक ऐसा ही नजारा हमें पंजाब की माटी में देखने को मिला। इस मुद्दे पर कोई बहस नहीं हो सकती कि ख्वाजा तथा फिंच ने जिस तूफान के संकेत दिए थे, उसके बाद तो तबाही निश्चित थी लेकिन अचानक नहीं, बल्कि उस तूफान ने बाद में यकायक दम तोड़ दिया, वह भी उम्दा गेंदबाजी की बदौलत।
बुमराह का स्वागत ओले के मानिंद हुआ और बंदे ने भी पलटवार में रनों की सांसें रोक दीं। जड़ेजा चरम पर थे तो दूसरी तरफ युवराज रूपी दांव स्मिथ के बुंधे बैठ गया। कल्पना दो सौ के पार थी लेकिन वास्तविकता एक सौ साठ पर सिमट गई।
 
शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया के सभी बल्लेबाज इतनी जल्दी में थे मानो उन्हें लक्ष्य देना नहीं, बल्कि हासिल करना है। जल्दबाजी का अंजाम उन्होंने भुगत लिया और ऐसा लक्ष्य दिया, जो असंभव नहीं था लेकिन आसान कतई नहीं। धवन और रोहित हमेशा की तरह ढक्कन खोलने की रस्म अदायगी करके चले गए। रैना तो कतई बरसे ही नहीं और दूध वाले की बंदी की तरह एक बार फिर छुटके कोहली 'विराट' बनकर कंगारुओं के सामने खड़े हो गए। 
युवराज ने जरूर टेका लगाया लेकिन दूसरे छोर पर 'मैं हूं ना' की तर्ज पर विराट ने एक ऐसी लजीज़ दावत को अंजाम दिया, जिसका स्वाद लंबे समय तक बरकरार रहेगा। 
 
ऐेसा लगा ही नहीं कि बंदा किसी कठिन चुनौती का सामना कर रहा है। जिस अंदाज में ओस की बूंदें दूब पर नज़ाकत के साथ उतरती हैं, सूरज की मखमली किरणें दबे पांव अपने आगमन का संकेत देती हैं या फिर मानो कानों में जलतरंग बजता है या फिर मुरली की सुमधुर आवाज कानों में रस घोलती है, विराट कोहली ने इसी के मानिंद अपनी विजयी पारी का सृजन किया।
 
फॉकनर की एक गेंद पर 'लेमन कट' शॉट के अलावा विराट की पारी एक मंजे हुए शास्त्रीय फनकार के अंदाज में सारा मजमा लूटकर ले गई। जिस तरह एक मां थपकी देकर अपने बच्चे को सुलाती है, ठेठ उसी अंदाज में बंदे ने कंगारुओं की गेंदों को थपकी तो दी लेकिन गेंद उस अंदाज में सीमा पार दौड़ रही थी, मानो शेर पीछे लगा हो। दबाव में हमने क्रिकेट के भगवान सचिन को भी टूटते-बिखरते देखा है लेकिन विराट को ऊपर वाले ने एक अलग ही सांचे में ढाला है। जितना अधिक दबाव, उतना ही टन जवाब, बेमिसाल, उत्कृष्ट पारी का सृजन और क्रिकेट बिरादरी भाव विभोर!
 
मानो यह बंदा केवल इसी काम के लिए इस नश्वर दुनिया में पैदा हुआ है। धोनी ने भी उनका जमकर साथ दिया, उसके बावजूद विराट की पूरी पारी में एक ही बात नजर आई कि कहीं कोई हड़बड़ाहट नहीं, जल्दबाजी नहीं, शक्ति का प्रयोग नहीं लेकिन परिणाम सभी के सामने है। 
 
लगा कि जैसे फलक (आसमान) से ओले नहीं बल्कि बूंदें गिरी हों, पायल की छमछम कानों में रस घोल रही थी। टीम के अन्य खिलाड़ियों को भी सोचना चाहिए कि वे केवल रस्म अदायगी के लिए नहीं है। जिम्मेदारी किस कदर उठाई जाती है, उसका कोहली के रूप में उनके सामने 'विराट' उदाहण हैं। वाकई बल्लेबाजी के इस खूबसूरत मंजर के लिए विराट बधाई के पात्र हैं। थप्पड़ से डर नहीं लगता, विराट का प्यार ही काफी है...