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Written By विकास सिंह
Last Updated : शनिवार, 27 नवंबर 2021 (16:13 IST)

Omicron कोरोना वैरिएंट से भारत के साथ दुनिया में क्यों फैली दहशत? नई लहर के आने से वैक्सीन के असर तक जानें आपके हर सवाल का जवाब

AIIMS दिल्ली माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रमुख और भोपाल एम्स के पूर्व डायरेक्टर प्रोफेसर सरमन सिंह खास बातचीत

Omicron कोरोना वैरिएंट से भारत के साथ दुनिया में क्यों फैली दहशत? नई लहर के आने से वैक्सीन के असर तक जानें आपके हर सवाल का जवाब - Why the panic spread in the world due to Omicron corona variant, know the answer to every question you have, from the effect of the vaccine to the method of prevention
दुनिया एक बार फिर कोरोना की दहशत में है। दक्षिण अफ्रीका में कोरोना के नए वैरिएंट बोत्सवाना यानि ओमिक्रॉन (B.1.1.529) को लेकर आ रही रिपोटर्स ने दुनिया के साथ-साथ भारत को भी चिंता में डाल दिया है। नए वैरिएंट के आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज हाईलेवल बैठक की। बैठक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके लिखा कि कोरोना के नए वैरिएंट को देखते हुए लोगों से और सतर्कता बरतने और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने की अपील की।   
 
कोरोना के नए ओमिक्रॉन वैरिएंट से दुनिया में कोरोना की एक नई लहर आने का खतरा हो गया है। कोरोना के ओमिक्रॉन (Omicron) वैरिएंट को लेकर लोगों के मन कई तरह के सवाल उठ रहे है। इन सवालों को लेकर ‘वेबदुनिया’ ने एम्स दिल्ली माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रमुख और भोपाल एम्स के पूर्व डायरेक्टर प्रोफेसर सरमन सिंह से खास बातचीत की।  
 
डेल्टा वैरिएंट से कितना खतरनाक ओमिक्रॉन वैरिएंट?-दुनिया में कोरोना की तीसरी लहर लाने वाले डेल्टा वैरिएंट से कोरोना का नया बोत्सवाना या जिसे ओमिक्रॉन वैरिएंट कहा जा रहा है वह 10 गुना अधिक खतरनाक है। ‘वेबदुनिया’ से बातचीत में प्रो. सरमन सिंह कहते हैं कि कोरोना का पहला (मूल) वैरिएंट जो अल्फा के नाम से जाना गया था उससे डेल्टा वैरिएंट 70 गुना अधिक खतरनाक था और अगर डेल्टा वैरिएंट को 10 गुना कर दिया जाए तो मूल वेरिएंट से ओमिक्रॉन वैरिएंट 700 गुना अधिक खतरनाक हो चुका है।
 
खतरनाक ओमिक्रॉन वैरिएंट से इतनी चिंता क्यों?- ‘वेबदुनिया’ से बातचीत में प्रो. सरमन सिंह कहते हैं कि ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर अभी तक प्रारंभिक जानकारी सीमित है लेकिन अब तक वायरस को लेकर जो जेनेटिक इंफॉर्मेशन आई है उसके हिसाब से यह बहुत खतरनाक वायरस है। यहीं कारण है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपनी पहली ही बैठक में इसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न घोषित कर दिया है। जोकि सामान्य तौर पर डब्ल्यूएचओ (WHO) ने कभी नहीं किया।
 
प्रो.सरमन सिंह कहते हैं कि इसको वैरिएंट ऑफ कंसर्न घोषित करने का सबसे बड़ा कारण यह है कि इस वैरिएंट में अब तक मिले सारे वैरिएंट तो है ही लेकिन इसके अलावा भी इसमें लगभग 30 से 32 म्यूटेशन हो चुके है। ओमिक्रॉन वैरिएंट में डेल्टा वैरिएंट के म्यूटेशन के साथ एक पूरा का पूरा जीन जिसे एस जीन ( S Gene) कहते है उसमें म्यूटेशन हो चुका है। इतने म्यूटेशन होने की वजह से इसमें संक्रमण की दर बहुत तेजी से लोगों को संक्रमित करेगा।
 
संक्रमित व्यक्ति की पहचान में क्या समस्या?- 'वेबदुनिया' से बातचीत मेंं प्रो. सरमन सिंह कहते हैं कि इसको वैरिएंट ऑफ कंसर्न घोषित करने का सबसे बड़ा कारण यह है कि इस वैरिएंट में अब तक मिले सारे वैरिएंट तो है ही लेकिन इसके अलावा भी इसमें लगभग 30 से 32 म्यूटेशन हो चुके है। ओमिक्रॉन वैरिएंट में डेल्टा वैरिएंट के म्यूटेशन के साथ एक पूरा का पूरा जीन जिसे एस जीन ( S Gene) कहते है उसमें म्यूटेशन हो चुका है। इतने म्यूटेशन होने की वजह से इसमें संक्रमण की दर बहुत तेजी से लोगों को संक्रमित करेगा। इसके साथ इसकी डायग्नोसिस में जो एंटीबॉडी टेस्ट करते है उसमें भी समस्या आएगी और यह आसानी से पकड़ में नहीं आएगा।

अभी तक कोरोना की जांच में जो आरटीपीसीआर टेस्ट करते है उसमें एक जीन बिल्कुल भी डिटेक्ट नहीं करेगा। ऐसे में अगर जो लेबोरेटरी चलते वह अवयरनेस नहीं होंगे वह पहचान नहीं कर पाएंगे, ऐसे में वह संक्रमित व्यक्ति की रिपोर्ट को भी निगेटिव दे सकते है। 
 
ओमिक्रॉन वैरिएंट से बचाएगी वैक्सीन?- ‘वेबदुनिया’ के इस सवाल पर एम्स दिल्ली माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रमुख कहते हैं कि कोरोना के नए ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर सबसे बड़ा कर्सन ही यहीं है कि वैक्सीन भी शायद इस पर काम नहीं करें। अभी दुनिया के देशों में कोरोना की वैक्सीन लग रही है और उसके साथ जो एंटीबॉडी मिल रही है वह शायद नए ओमिक्रॉन वैरिएंट से प्रोटेक्ट नहीं कर पाएंगे। हलांकि नए वायरस के संक्रमण से वैक्सीन कितना प्रोटेक्ट कर पाएगी यह आने वाले समय में और अधिक पता चलेगा।

अब तक बोत्सावना और साउथ अफ्रीका में जो 100 से अधिक केस मिले है उसमें बहुत से लोगों ने वैक्सीन के दोनों डोज लगाए थे। इसमें कुछ लोगों को ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन (जिसे भारत में कोविशील्ड कहते है), कुछ लोगों को फाइजर की और कुछ लोगों को मॉर्डर्ना की वैक्सीन लगी थी। ऐसे में यह कह सकते हैं कि जो वैक्सीन दुनिया में सबसे ज्यादा लग रही है उसके कंपलीट डोज लगाने वाले लोगों भी ओमिक्रॉन वैरिएंट के इंफेक्शन मिले है। ऐसे लोग जो दोनों खुराक ले चुके थे उनमें भी संक्रमण मिलना एक कंसर्न तो है ही।
 
ओमिक्रॉन वैरिएंट से आएगी नई लहर?-साउथ अफ्रीका में मिले ओमिक्रॉन वैरिएंट से क्या दुनिया में कोरोना की नई लहर आने के सवाल पर प्रो. सरमन सिंह कहते हैं कि ओमिकॉन वेरिएंट से दुनिया में कोरोना की नई लहर आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। इसलिए सबको सावधानी रखनी पड़ेगी। 
 
ओमिक्रॉन वैरिएंट से भी बचाएगा मास्क?- 'वेबदुनिया' से बातचीत में सरमन सिंह कहते हैं कि मास्क ही कोरोना से बचने का एकमात्र उपाय है और यह सभी वैरिएंट पर प्रभावी है। इसको हमको समझना होगा कि कोरोना वायरस में चाहें जितने म्यूटेशन हो जाए, चाहे जितने वैरिएंट आ जाए अगर कोरोना वायरस के संक्रमण से बचना है तो हमको मास्क का प्रयोग करना ही होगा। मैं हमेशा कहता हूं कि मास्क एक सोशल वैक्सीन है। कोरोना वायरस का चाहे अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा या डेल्टा प्लस वैरिएंट या अब ओमिक्रन वैरिएंट हो सभी से मास्क प्रभावी तरीके से बचाएगा।
 
‘वेबदुनिया’ से बातचीत में प्रो. सरमन सिंह बहुत साफ शब्दों में कहते हैं वह लगातार कह रहे हैं कि कोरोना अभी गया नहीं है। कोरोना वायरस ऐसे श्रेणी के वायरस होते है जिनमें जब भी म्यूटेशन हो जाएगा तो वह खतरनाक हो जाता है। दुर्भाग्य की बात यह है कि लोग बिल्कुल निश्चिंत हो गए है। 

आज जब दुनिया के देशों में कोरोना बढ़ रहा है तो हमको भी सतर्क होना होगा। ऐसे में फ्लाइट पर रोक लगाने सहित अन्य ऐसे उपायों पर सरकारों को गौर करना चाहिए क्योंकि एक देश से दूसरे देशों में संक्रमण फैलने का सबसे अधिक खतरा है। क्योंकि इसमें देर नहीं लगती है।