बाल दिवस : उड़ान नन्हे सपनों की
बचपन एक बहते हुए दरिया की तरह होता है। न जाने कितने ही शायरों और कवियों ने बचपन को अपनी जुबां में बयां करने की बहुत कोशिश की है, मगर बचपन तो सभी की कल्पनाओं से परे होता है। कभी किसी ने बच्चों की मुस्कान को इबादत से जोड़ते हुए कहा कि
घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूं कर आए, किसी रोते हुए बच्चे को हंसा जाए, तो कभी शायर ने उसकी मासूमियत को कुछ यूं बयां किया कि बच्चों के छोटे हाथों को चांद-सितारे छूने दो, चार किताबें पढ़कर ये भी हम जैसे बन जाएंगे।
बचपन का हर दिन खुशियों से भरा होता है और अगर बात बाल दिवस की हो तो फिर क्या कहना। 14 नवंबर यानी कि बाल दिवस एक ऐसा दिन जब बच्चों का बोलबाला रहता है। हर तरफ बच्चों की हंसी से गूंजता समां और उनकी महकती खूशबू महसूस की जा सकती है।
आज के दौर की बात की जाए तो देखने में आता है कि बच्चे अब बच्चे नहीं रहे हैं, उन्होंने अपने हुनर से इस पूरी दुनिया को अपने काबू में कर लिया है। बॉलीवुड में कितने ही बाल कलाकारों ने अपने अभिनय से पूरे फिल्म उद्योग को प्रभावित किया है।