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Written By भाषा
Last Modified: पेन्ड्रा/बिल्हा (छत्तीसगढ़) , बुधवार, 13 नवंबर 2013 (17:52 IST)

छत्तीसगढ़ में चावल को लेकर राजनीति

छत्तीसगढ़ में चावल को लेकर राजनीति -
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पेन्ड्रा/बिल्हा (छत्तीसगढ़)। मध्यभारत का धान का कटोरा कहलाने वाले छत्तीसगढ़ में अनाज को लेकर राजनीति हो रही है। राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस अनाज के जरिए मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं।

भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही कहा है कि अगर इस राज्य में उनकी सरकार बनती है तो वे लोगों के एक चयनित समूह को न्यूनतम दर पर चावल मुहैया कराएंगे।

अपने घोषणा पत्र में कांग्रेस ने कहा है कि अगर राज्य में उसकी सरकार बनेगी तो वह गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले (बीपीएल) लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर जीवन-यापन करने वालों (आयकरदाताओं को छोड़कर) 35 किग्रा चावल मुफ्त मुहैया कराएगी।

दूसरी ओर सत्तारूढ़ भाजपा को अपनी कथित पारदर्शी सार्वजनिक वितरण प्रणाली और अन्त्योदय (अत्यंत निर्धन) तथा बीपीएल श्रेणी के लोगों को किफायती दर पर चावल मुहैया कराने की योजना पर भरोसा है।

छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार अन्त्योदय और बीपीएल श्रेणी के लोगों को पहले ही क्रमश: 1 और 2 रुपए प्रति किलो की दर से चावल मुहैया करा रही है। पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में गरीबों को 1 रुपए प्रति किलो की दर से चावल देने का वादा किया है।

राज्य के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी कहते हैं कि चावल यहां हमेशा से ही राजनीति का विषय रहा है। अगर हम सत्ता में आए तो अन्त्योदय, बीपीएल और एपीएल श्रेणी के लोगों को 35 किग्रा चावल हर माह मुफ्त मुहैया कराया जाएगा। अमित मरवाही विधानसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी हैं।

भाजपा समर्थक भी चावल के जरिए मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। एक भाजपा नेता ने कहा कि हम 1 रुपए किलो की दर से चावल मुहैया कराएंगे। हर श्रेणी के लोग इसका लाभ ले सकेंगे। छत्तीसगढ़ी बोली में चावल को ‘चाउर’ कहा जाता है और यहां के लोग मुख्यमंत्री रमन सिंह को ‘चाउर वाले बाबा’ कहते हैं।

राज्य के गरीबों को किफायती दर पर अनाज मुहैया कराने वाले सिंह तीसरी बार भाजपा की सरकार बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

राज्य की 72 विधानसभा सीटों के लिए 19 नवंबर को मतदान होगा। निश्चित रूप से अपना गढ़ बचाने के लिए प्रयासरत भाजपा और 10 साल के वनवास से वापसी की बाट जोह रही कांग्रेस के लिए चावल को लेकर राजनीति एक महत्वपूर्ण कारक हो सकती है।

इस राज्य के ग्रामीण भाजपा सरकार की गरीबों को किफायती दर पर अनाज मुहैया कराने के लिए पीडीएस योजना तथा राज्य खाद्य सुरक्षा कानून को लेकर संतोष जाहिर करते हैं। एक चावल मिल में काम करने वाले ननकीराम साहू ने कहा कि राज्य के ज्यादातर लोग आदिवासी हैं। उन्हें भाजपा सरकार किफायती दर पर चावल दे रही है, यह अच्छा कदम है।

कांग्रेस भी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत लोगों को मिलने वाले लाभ का प्रचार कर रही है। बहरहाल, छत्तीसगढ़ चावल मिल एसोसिएशन नीति में बदलाव की मांग कर रहा है ताकि चावल के लिए योगदान के एवज में छत्तीसगढ़ को कुछ फायदा हो।

बिलासपुर चावल मिल संघ के अध्यक्ष राजकुमार अग्रवाल ने कहा कि बहुत मामूली कारणों के आधार पर भारतीय खाद्य निगम हमारा चावल ठुकरा देता है। कभी तो यह भी कहा जाता है कि धान की गुणवत्ता अच्छी नहीं है। धान को उद्योगों के जरिए संसाधित कर चावल तैयार किया जाता है।

अग्रवाल ने कहा कि भाजपा जीते या कांग्रेस, उन्हें दूसरे राज्यों और विदेशों में छत्तीसगढ़ के चावल के निर्यात और उसकी खरीदी न करने से किसानों को होने वाला नुकसान रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए। उनके दावे को हालांकि राज्य में चावल की खरीद से जुड़े सरकारी अधिकारी गलत बताते हैं।

नाम जाहिर न करने के अनुरोध पर एक अधिकारी ने बताया कि हम लगभग सभी किसानों से चावल खरीदते हैं और उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य तथा बोनस देते हैं ताकि वे अच्छी खेती कर सकें। चावल उत्पादन के बारे में केंद्र सरकार के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ देश में चावल के लिहाज से योगदान देने वाला 7वां बड़ा राज्य है। (भाषा)