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Written By WD

ज्योतिष आकलन : कौन बनेगा भारत का भाग्यविधाता

2014 lok Sabha Elections | ज्योतिष आकलन : कौन बनेगा भारत का भाग्यविधाता
- आचार्य डॉ. संजय

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दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत की कुंडली वृष लग्न की है जिसमें राहु लग्न में, केतु सप्तम भाव में, द्वितीय भाव में मंगल, तृतीय भाव में सूर्य, शनि, शुक्र, चंद्रमा और छठे भाव में बृहस्पति विराजमान हैं।

सूर्य की महादशा 6 वर्ष, 9 सितंबर 2009 से 9 सितंबर 2015 तक रहेगी। इस समय भारत की कुंडली में तृतीय भाव में 5 ग्रह एकसाथ बैठकर 'प्रवज्र राज योग' का निर्माण कर रहे हैं।



प्रवज्र राजयोग बहुत शक्तिशाली राज योग माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार अगर यह योग पूर्ण है और यदि सूर्य की महादशा अपनी गति पर हो तो यह राष्ट्र में परिवर्तन लाता है। परंतु वर्तमान में सूर्य तृतीय भाव में बैठकर अन्य ग्रहों के साथ, जिसमें शनि भी सम्मिलित है, एक विरोधी स्थिति उत्पन्न कर रहा है।

भारत की कुंडली पर सूर्य की महादशा सितंबर 2015 तक रहेगी। जिस वजह से देश में हर हाल में नेतृत्व परिवर्तन के योग हैं।



साथ ही यह दर्शाती है कि 2014 के लोकसभा चुनावों में बहुत कुछ स्थिति ऊहापोह की बनी रहेगी। जनमानस में भारी असंतोष रहेगा जिससे नेतृत्व को बदलना पड़ेगा।

ऐसे योग भी बन रहे हैं कि इस उथल-पुथल में किसी महान नेता का उत्कर्ष होगा। कुल मिलाकर मई 30 तक का समय बेहद उलझनभरा हो सकता है।

किसी भी दल को भारी बहुमत मिलना मुश्किल है और मेल-मिलाप की राजनीति इस उलझन को सुलझाएगी।