शुक्रवार, 29 मार्च 2024
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Written By मनीष शर्मा

छोड़ोगे नहीं दाँत पीसना तो दाँतों में आ जाएगा पसीना

छोड़ोगे नहीं दाँत पीसना तो दाँतों में आ जाएगा पसीना -
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एक रात बादशाह अकबर ने सपने में देखा कि उनका एक दाँत छोड़कर सारे दाँत गिर गए हैं। इस सपने से वे चिंतित हो उठे। उन्होंने सपने का भेद जानने के लिए दरबार में रंभालों को बुलाया।

सपना सुनकर एक रंभाल बोला- जहाँपनाह, सपना यह बताता है कि आपके सामने ही आपके सारे परिजनों की मौत हो जाएगी। इस पर अकबर ने दाँत पीसते हुए कहा- सैनिकों, इस नामाकूल को ले जाकर कुचल दो हाथी के पैरों तले। यह सुनते ही रंभाल के चेहरे का रंग उड़ गया। उसने बादशाह से जान की सलामती की फरियाद की, तो उन्होंने अपने मुख्य दरबारियों की ओर देखा।

उन्होंने भी बादशाह की हाँ में हाँ मिलाते हुए सिर हिला दिए। लेकिन बीरबल से यह सब न देखा गया। वे बोले-जहाँपनाह, यदि हुक्म हो तो आपके सपने का भेद मैं बताऊँ। अकबर के इजाजत देने पर वे बोले कि इस सपने का अर्थ यह है कि आपके परिवार में आपसे ज्यादा उम्र का कोई सदस्य नहीं होगा। यह सुनते ही बादशाह की बत्तीसी निकल आई। वे बोले- बीरबल, हम तुमसे खुश हैं।
  एक रात बादशाह अकबर ने सपने में देखा कि उनका एक दाँत छोड़कर सारे दाँत गिर गए हैं। उन्होंने सपने का भेद जानने के लिए दरबार में रंभालों को बुलाया। रंभाल बोला- जहाँपनाह, सपना यह बताता है कि आपके सामने ही आपके सारे परिजनों की मौत हो जाएगी।      


बोलो क्या माँगते हो। बीरबल- हुजूर, इस रंभाल को माफी दे दी जाए, क्योंकि इसने भी भेद तो सही बताया था पर इसे बात संभालने की कला नहीं आती। बादशाह ने रंभाल और बीरबल दोनों को इनाम दिया। यह सब देखकर बीरबल से ईर्ष्या करने वाले दरबारियों के दाँतों में दर्द होने लगा।

दोस्तो, भला हो बीरबल का जो उसने बात संभाल ली, वर्ना रंभाल को सच की भारी कीमत चुकाना पड़ती, क्योंकि सच भारी जो होता है। बहुत कम लोग उसका वजन उठा पाते हैं। इसलिए सच कहने से पहले यह जान लो कि आप जिससे सच कहने जा रहे हैं, क्या वह उसका सामना करने के काबिल है। यदि नहीं, तो सच कहना आपके लिए महँगा साबित हो सकता है, क्योंकि सामने वाला खीझकर उस सच की कीमत आपसे ही वसूलने लगेगा।

कहते भी हैं कि बात के कारण कोई हाथी पर चढ़ता है और उसके पैरों तले रौंदा जाता है। इसलिए यदि सच कहना जरूरी है और सामने वाला सच सुन नहीं सकता तो सच इस तरह कहा जाए कि आप अपनी बात भी कह दें और सामने वाले पर एकदम उसका वजन भी न पड़े। कुल मिलाकर बात को घुमा-फिराकर कह दो। और यदि घुमा-फिराकर भी सामने नहीं कह पाओ तो कर दो ईमेल या एसएमएस।

इससे बात भी सामने वाले तक पहुँच जाएगी और आपके दाँत भी टूटने से बच जाएँगे यानी आपको उसके गुस्से का सीधे सामना नहीं करना पड़ेगा। कहते हैं कुछ सच ऐसे होते हैं जिन्हें बोलकर भाग जाना चाहिए। ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि अकसर महत्वपूर्ण पद पर बैठे लोगों को अच्छी-अच्छी बातें कहने-सुनने की आदत होती है। जब इनके सामने कोई कड़वा सच उजागर होता है तो ये उन आदर्शों को भूल जाते हैं, जिनकी बातें ये करते हैं या दूसरों को सिखाते हैं।

यदि आप भी सच्चाई सामने आने पर दाँत पीसने लगते हैं यानी आपा खो बैठते हैं तो बहुत सी सच बातें आप तक आ ही नहीं पाती होंगी, आ नहीं पाएँगी, क्योंकि सच बताने वाले डरते हैं कि कहीं आप उन पर ही न निकल पड़ें, बिगड़ जाएँ। इसी वजह से कई सच बातें समय निकलने पर उजागर होती हैं, लेकिन तब उन स्थितियों पर काबू पाना, उनका सामना करना इतना मुश्किल हो जाता है कि दाँतों में पसीना आ जाए। इसलिए सच सुनना सीखें, उसका सामना करना सीखें ताकि ऐसी स्थिति न आए कि आपको किसी के सामने दाँत दिखाना पड़ें, दाँत निकालना पड़ें।

और अंत में, आज 'टूथ-एक डे' है। दाँतों में दर्द वैसे तो आम समस्या है, लेकिन कई लोग ऐसे भी होते हैं जिनकी दाढ़ों या दाँतों में दर्द दूसरों की प्रगति देखकर ही होने लगता है। उनकी स्थिति भी वास्तविक दाँत दर्द से पीड़ित उस व्यक्ति जैसी हो जाती है, जिसे अपने सिवाय दुनिया में हर वह आदमी सुखी नजर आता है जिसके कि दाँत ठीक हैं।

यदि आपके दाँतों में भी इस तरह का यानी ईर्ष्या वाला दर्द होता है, तो उसका इलाज यही है कि उस दाँत को ही उखाड़कर फेंक दिया जाए यानी ईर्ष्या भाव को खत्म कर दिया जाए। वर्ना यह 'दाँत दर्द' एक दिन आपके अस्तित्व के लिए ही खतरा बन जाएगा। अरे भई, अगर ये जीभ बत्तीसी से न घिरी होती तो इन दाँतों का क्या होता?