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Written By WD

असफलता के बाद ही मिलती है सफलता

असफलता के बाद ही मिलती है सफलता -
बच्चों को चलते हुए, चलना सीखते हुए हम सभी ने देखा है। शायद ही दुनिया में कोई ऐसा बच्चा हो जो चलना सीखने के पहले कई बार गिरा न हो। चलना सीखने में गिरने की अनिवार्यता शामिल है। यही अनिवार्यता का सूत्र सफलता के साथ भी लागू होता है। दुनिया में सफल वही होता है जो असफलता में गिरकर उठने का माद्दा दिखाता है।

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जो गुजरे हुए कल के गीत नहीं गाता और आने वाले कल के हवाई किले नहीं बांधता। बस आज और इसी पल को बेहतरीन बनाने के प्रयास में लगा रहता है। सफलता उसके कदम चूमती है। वह कामयाबी के शीर्ष पर काबिज रहता है। इसलिए वर्तमान को प्रेजेंट यानी उपहार कहते हैं। इस उपहार को हासिल कीजिए और सफलता के सफर में बढ़ निकलिए। कैसे? आइए इस सफर के शुरुआत हम करवाते हैं।

हर ऐतिहासिक कामयाबी की शुरुआत असफलता से होती है। इसलिए घबराएं नहीं। मानसिक दबावों से बाहर निकलें और नजरिया बनाएं कि आपको हर हाल में सफल होना है। सफलता से कम आपको कुछ भी मंजूर नहीं है। फिर देखिए आपको सफलता कैसे नहीं मिलती।

प्रयोगों से घबराएं नहीं, चाहे जितने प्रयोग असफल हो जाएं। याद रखिए, अगले किसी भी प्रयोग में सफलता मौजूद होगी। जब घबराहट होने लगे तो थॉमस अल्वा एडीसन को याद कर लें जिसे सैकड़ों असफल आविष्कारों के बाद बिजली का बल्ब बनाने में सफलता मिली थी।

जटिलता से न घबराएं। जटिलता महज तब तक होती है जब तक कि हम किसी बात को समझ नहीं पाते। एक बार चीज समझ आते ही जटिलता छू-मंतर हो जाती है।

अपने पर तथा अपने शुभचिंतकों पर भरोसे करें।

अपनी जानकारी और तर्कशक्ति बढ़ाएं लेकिन दिल की सच्ची बात भी सुनें।

जब तक दक्ष न हों, कोई भी शार्टकट न चुनें।

अपने मूल्य विकसित करें क्योंकि सफलता मूल्यों पर अडिग रहने से मिलती है।

किसी भी काम को करने से पहले उससे संबंधित अपने सकारात्मक और नकारात्मक विचारों को कागज पर लिखकर अपना मूल्यांकन खुद भी करें।

कोई भी काम अपने दीर्घकालिक लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए करें।