शुक्रवार, 29 मार्च 2024
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Written By मनीष शर्मा

मेरे दुश्मनों से मिलो ये लोग भी हैं अच्छे

मेरे दुश्मनों से मिलो ये लोग भी हैं अच्छे -
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बहुत संघर्षों के बाद अब्राहम लिंकन अमेरिका के राष्ट्रपति बने। संघर्ष के दौरान उन्होंने लोगों के बदलते रूप देखे। राजनीति में जो कुछ होता है, उनके साथ भी हुआ। उनके ऊपर भी कीचड़ उछाला गया। उन्हें तरह-तरह से परेशान किया गया, लेकिन उनकी दृढ़ता के आगे विरोधियों ने हमेशा मुँह की खाई। अंततः अमेरिकी जनता ने उनके व्यक्तित्व को पहचान ही लिया।

राष्ट्रपति बनने के बाद अभिनंदन समारोह में उनका एक हितैषी उन्हें बधाई देते हुए बोला- देश की कमान हाथों में आने के बाद अब आप अपनी ताकत का उपयोग अपने विरोधियों को खत्म करने में क्यों नहीं करते? उनसे बदला लेने का इससे अच्छा मौका और क्या होगा?

लिंकन बोले- श्रीमान, आप यह जानकर खुश होंगे कि जैसा आप कह रहे हैं, मैं पहले से ही वैसा कर रहा हूँ। मैं एक-एक करके अपने सभी विरोधियों को खत्म कर रहा हूँ। हितैषी- अच्छा, मजा आ गया। अब उन्हें पता चलेगा।
  आज अब्राहम लिंकन की जयंती है। आज प्रण करें कि आप सच्चे दिल से अपने विरोधियों को भी अपना बनाने की कोशिश करेंगे। यदि आप ऐसा करेंगे तो फिर आपके रास्ते के काँटे स्वतः ही हट जाएँगे, क्योंकि उन्हें आपके रास्ते पर डालने वाले दुश्मन जो नहीं रहेंगे।      


लिंकन- नहीं, नहीं, आप गलत न समझें। दरअसल मैं अपने सभी दुश्मनों के साथ शालीन एवं मित्रवत्‌ व्यवहार करता हूँ। वे मेरे इस सकारात्मक कदम से प्रभावित होकर मेरे मित्र बनते जा रहे हैं। इस तरह एक दिन वे सभी मेरे दोस्त बन जाएँगे। फिर मेरा कोई भी कोई शत्रु या विरोधी नहीं बचेगा। क्या यह तरीका ज्यादा बेहतर नहीं?

दोस्तो, सही तो है। दोस्ताना व्यवहार करोगे तो फिर विरोधी कैसे आपके दोस्त नहीं बनेंगे। कहते भी हैं कि किसी को मित्र बनाने का सबसे अच्छा तरीका है कि खुद ही उसके मित्र बन जाओ। जब मित्रता करोगे तो बदले में मित्रता ही मिलेगी ना। यही फार्मूला हम अपने करियर में भी अपना सकते हैं।

जब आप पदोन्नत होकर किसी उच्च पद पर बैठते हैं तो आपको उन लोगों के साथ, जो पहले आपके विरोधी रहे हों, मित्रवत्‌ व्यवहार करना चाहिए। उन्हें अपना बनाना चाहिए, क्योंकि वे अब आपकी जवाबदारी बन चुके हैं। उनसे भी काम निकालना, कराना अब आपकी जिम्मेदारी है।

तब यदि आप उनके साथ अच्छा व सकारात्मक व्यवहार करेंगे तो वे भी आपका साथ देंगे। वे तो पहले से ही डरे हुए होंगे कि अब कुर्सी पर बैठकर आप उनसे बदला लेंगे। जब ऐसा नहीं होगा तो उन्हें निश्चित ही अपनी गलती का अहसास होगा और वे आपके प्रशंसक बन जाएँगे, मुरीद हो जाएँगे।

वैसे भी कोई भी व्यक्ति हर किसी के लिए बुरा नहीं होता। वह किसी न किसी के लिए अच्छा होता ही है। किसी ने कहा भी है कि दोस्तो, मेरे दुश्मनों से मिलो, ये भी अच्छे लोग हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि ये मुझे चाहते नहीं हैं।

अब आपकी काबलियत तो इसी में है कि आप दुश्मन को भी अपना बना लें। वह आपको चाहने लगे, पसंद करने लगे। यह काम दुष्कर भी नहीं है, क्योंकि दुश्मन के भी या दुश्मन में भी एक मन होता है, उसकी भी भावनाएँ होती हैं। आपने उसका वह मन जीत लिया तो समझ लो कि आपने सबसे बड़ा किला फतह कर लिया। तब आप निश्चिंत होकर काम कर सकते हैं। वरना यदि आप अपने अधिकारों का प्रयोग कर उन्हें परेशान करेंगे तो वे भी मौका आने पर आप पर वार करने से नहीं चूकेंगे।

दूसरी ओर, अक्सर लोग पावर मिलने पर बहक जाते हैं, क्योंकि वे इसे पचा नहीं पाते और ताकत के मद में फँसकर वे अपने-पराये, मित्र-शत्रु दोनों पर इसका दुरुपयोग करने लगते हैं। ऐसा करके वे परायों को तो छोड़ो, अपनों को ही पराया, मित्रों को भी शत्रु बना लेते हैं।

ऐसा करते समय वे यह भूल जाते हैं कि जो पावर उन्हें मिले हैं, उनका सदुपयोग न करने पर वापस छिन भी सकते हैं। एक बार अधिकार छिनने के बाद कोई उनकी मदद नहीं करेगा? तब दोस्त भी आपसे मुँह मोड़ लेंगे। इसलिए अधिकारों का सही उपयोग कर सभी को अपना बनाओ और निरंतर प्रगति करते जाओ।

और अंत में, आज अब्राहम लिंकन की जयंती है। आज प्रण करें कि आप सच्चे दिल से अपने विरोधियों को भी अपना बनाने की कोशिश करेंगे। यदि आप ऐसा करेंगे तो फिर आपके रास्ते के काँटे स्वतः ही हट जाएँगे, क्योंकि उन्हें आपके रास्ते पर डालने वाले दुश्मन जो नहीं रहेंगे। उनका मन तो आप पर आ चुका होगा। अरे भई, ये दुश्मन दिखते कैसे हैं?