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Written By समय ताम्रकर

हेट स्टोरी 2 : फिल्म समीक्षा

Hate Story 2 Movie Review | हेट स्टोरी 2 : फिल्म समीक्षा
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सी ग्रेड फिल्मों के भी सीक्वल बनने लगे हैं। 'हेट स्टोरी' बोल्ड कंटेंट और कम लागत के कारण सफल रही थी तो फौरन इसका दूसरा भाग तैयार कर रिलीज कर दिया गया। इस तरह की फिल्मों में बोल्ड सीन दिखाने के बहाने ढूंढे जाते हैं, लेकिन सेंसर का मिजाज इन दिनों बेहद सख्त है लिहाजा जिस दर्शक वर्ग के लिए ये फिल्म बनाई गई है उसे निराशा हाथ लगती है।

महिला द्वारा अपने अपमान का बदला लेने की फिल्में 'जख्मी औरत' और 'खून भरी मांग' के जमाने से भी पहले से बनती आ रही है। 'हेट स्टोरी 2' की भी यही कहानी है। इस घिसी-पिटी कहानी को भी न ठीक से लिखा गया है और न ढंग की फिल्म बनाई गई है। लॉजिक की बात करना बेकार है। लगता है कि लेखक और निर्देशक ने बिना दिमाग के काम किया है या फिर दर्शकों को बेवकूफ समझ बैठे हैं।

युवा और आधुनिक लड़की सोनिका (सुरवीन चावला) एक ताकतवर और भ्रष्ट नेता मंदार (सुशांत सिंह) की रखैल है। मंदार को सोनिका बिलकुल नहीं चाहती है, लेकिन उससे डरती है। सोनिका का मंदार शारीरिक शोषण करता है और मानसिक रूप से परेशान करता है। सोनिका की एक दादी वृद्धाश्रम में है। उस दादी को जान से मारने की धमकी देते हुए सोनिका का मंदार शोषण करता है।

सोनिका को अक्षय (जय भानुशाली) से प्रेम हो जाता है। वह उसके साथ गोआ भाग जाती है। मंदार को जब पता चलता है तो वह भी अपने साथियों के साथ गोआ पहुंच जाता है और अक्षय की हत्या कर देता है। सोनिका को वह जिंदा गाड़ देता है। किस तरह से सोनिका बच निकलती है और मंदार एंड कंपनी से अपना बदला लेती है ये फिल्म का सार है।

'हेट स्टोरी 2' का निर्देशन विशाल पंड्या ने किया है और माधुरी बैनर्जी ने लिखा है। फिल्म की शुरुआत में मंदार को सोनिका पर अत्याचार करते हुए दिखाया गया है। सोनिका यह सब क्यों सहती है, इस पर रहस्य का आवरण रखा है। लगता है कि कुछ ठोस वजह सामने आएगी, लेकिन दादी को मार डालने की धमकी वाला बौना कारण बताया जाता है, जो इतना अत्याचार सहने के लिए कोई बहुत बड़ी वजह नहीं है। सोनिका आधुनिक लड़की है, पढ़ी-लिखी है, शहर में घूमती है, वह पुलिस की या किसी और की मदद क्यों नहीं लेती, ये बात समझ से परे है।

सोनिका के अतीत के बारे में भी ज्यादा नहीं बताया गया है कि वह मंदार के चंगुल में कैसे फंसी? मंदार उसका शोषण क्यों करता है? केवल एक जगह सोनिका की दादी से एक संवाद बुलवा दिया गया है कि सोनिका के मां-बाप के मरने के बाद मंदार ने उसे पाला, लेकिन कहानी की मुख्य बात को इतना चलताऊ तरीके से निपटाना अखरता है।

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ब‍दला लेने वाली सोनिका एकदम बदली हुई नजर आती है। मंदार के सामने सहम कर कांपने वाली सोनिका अचानक साहसी महिला बन जाती है और मंदार के साथियों का मर्डर करती है। अचानक सोनिका में आई यह तब्दीली जंचती नहीं है। सोनिका एकदम से डाकू रामकली की तरह बन जाती है। बदले से उसकी आंखें अंगारों की तरह सुलगती हैं। वह सरेआम सड़क पर गुंडों को जला देती है। पुलिस कुछ नही करती।

वह मोबाइल से पुलिस और मंदार से बातें करती हैं, लेकिन कोई भी उसके पास नहीं पहुंच पाता। उसके पास पिस्तौल कहां से आ जाती है, इसका जवाब भी नहीं मिलता। दादी को पकड़ कर सोनिका को काबू में करने का आइडिया मंदार के दिमाग में बाद में आता है और दर्शकों के दिमाग में पहले। अक्षय का मरने के बाद सोनिका को नजर आने वाले सीन हास्यास्पद हैं। ढेर सारी गलतियां स्क्रिप्ट में हैं, जिनकी ओर ध्यान नहीं दिया गया। समझदार दर्शकों की रूचि आधी फिल्म देखने के बाद ही खत्म हो जाती है और मनोरंजन की तलाश में आए दर्शकों को भी निराशा हाथ लगती है।

विशाल पंड्या ने कहानी को बेहद लंबा खींचा है। गाने फिल्म की स्पीड में ब्रेकर का काम करते हैं। सनी लियोन के गाने को जिस तरह से बेकार किया गया है वो फिल्म मेकर की समझ को दिखाता है।

एक्टिंग डिपार्टमेंट भी निराश करता है। जय भानुशाली में हीरो मटेरियल नहीं है। वे बीमार से लगे हैं और अभिनय भी उनका बेदम है। सुरवीन चावला का सबसे मजबूत रोल है, लेकिन उनके अभिनय में वो बात नजर नहीं आई जो रोल की डिमांड थी। वे जय से बड़ी भी नजर आईं। फिल्म में सुशांत सिंह एकमात्र ऐसे एक्टर हैं जिन्होंने अपना काम ढंग से किया है।

'आज तुमपे प्यार आया है' फिल्म की एकमात्र अच्‍छी बात है, लेकिन यह गाना भी उधार लिया गया है। बाकी सारे कारण इस फिल्म से 'हेट' करने लायक ही हैं।

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बैनर : टी-सीरिज सुपर कैसेट्स इंडस्ट्री लि.
निर्माता : भूषण कुमार‍
निर्देशक : विशाल पंड्या
संगीत : मिथुन, रशीद खान, आर्को
कलाकार : सुशांत सिंह, सुरवीन चावला, जय भानुशाली, सनी लियोन (आइटम नंबर)
सेंसर सर्टिफिकेट : ए * 2 घंटे 9 मिनट 30 सेकंड
रेटिंग : 0.5/5