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Written By समय ताम्रकर

हरक्यूलिस : फिल्म समीक्षा

Hercules Movie Review | हरक्यूलिस : फिल्म समीक्षा
राजा कोटिस अपने सैनिकों को कहता है कि हरक्यूलिस कोई देवता नहीं आम इंसान है, आगे बढ़ो और उसे पकड़ लो। हजारों सैनिकों के खिलाफ मुट्ठी भर साथियों के साथ लड़ रहा हरक्यूलिस तब कई मीटर ऊंची और सैकड़ों टन वजनी पत्थर से बनी मूर्ति को उखाड़ कर गिरा देता है। यह नजारा देख सारे सैनिकों के हौंसले पस्त हो जाते हैं। वे मान लेते हैं कि भले ही यह इंसान हो, लेकिन आम नहीं है।

क्लाइमेक्स में इस सीन के जरिये हरक्यूलिस की ताकत का प्रदर्शन किया गया है। दर्शक सोचते हैं कि काश ऐसे और सीन देखने को मिलते जिसमें यह ग्रीक हीरो अपनी ताकत का इजहार करता।

ब्रेट रेटनर द्वारा निर्देशित 'हरक्यूलिस' में दिखाया गया है कि हरक्यूलिस के कारनामों के किस्से बढ़ा-चढ़ाकर सुनाए गए हैं। नि:संदेह उसने नेमिन नामक शेर को मार डाला था, नौ सिर वाले नाग की हत्या कर दी थी, इनके सहित बारह ऐसे कारनामे किए थे जो आम इंसान के बस में नहीं थे, लेकिन आखिरकार वह भी एक इंसान है। उसके कारनामों को इसलिए बढ़ा कर बताया गया ताकि दुश्मनों के मन में खौफ पैदा हो।

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फिल्म में हरक्यूलिस के अपने गम हैं। अपने परिवार को खोने का दु:ख है और उसकी कोई आरजू नहीं है। ताकतवर होने के बावजूद वह खुश नहीं है। 'हरक्यूलिस' नामक फिल्म देखने के लिए दर्शक इस उम्मीद के साथ जाते हैं कि उन्हें हरक्यूलिस की दमदार बाजुओं के कमाल देखने को मिलेंगे, लेकिन फिल्म में इस तरह के दृश्यों की कमी है। बावजूद इसके टाइम अच्छी तरह से कट जाता है।

एम्फीरस, आटोलाइकस, टाइडियस, एटलांटा नामक योद्धाओं का हरक्यूलिस लीडर है। ईसा से 358 वर्ष पूर्व के ये लोग सोने के सिक्कों के लिए काम करते हैं। लॉर्ड कोटिस की ओर से अर्गेनिया नामक महिला हरक्यूलिस से संपर्क कर कहती है कि वह (हरक्यूलिस) जालिम सिपाहसालार से उनके साम्राज्य को बचाने में उनकी मदद करे। हरक्यूलिस को उसके वजन बराबर सोना देने पर बात पक्की हो जाती है।

व्यापारी और किसानों को युद्ध लड़ने का हरक्यूलिस प्रशिक्षण देता है। इस लड़ाई को लेकर फिल्म में बहुत माहौल बनाया गया है, लेकिन जब लड़ाई होती है तो बड़ी आसानी से हरक्यूलिस अपने से तीन गुना बड़ी सेना पर विजय हासिल कर लेता है। यहां दर्शकों को अपेक्षा से कम एक्शन देखने को मिलता है।

इस विजय के बाद हरक्यूलिस को महसूस होता है कि उनका गलत उपयोग किया गया है और यही से फिल्म में नया टर्न देखने को मिलता है जिसका अंत एक जबरदस्त क्लाइमैक्स के साथ होता है। इमोशन और एक्शन का संतुलन बनाने की कोशिश की गई है, लेकिन जरूरी नहीं है कि हर दर्शक इस संतुलन को पसंद करे।

फिल्म की कहानी सीधी है और इसमें खास उतार-चढ़ाव नहीं है, लेकिन फिल्म की गति को इतना तेज रखा गया है कि दर्शक को ज्यादा सोचने का समय नहीं मिलता। उस दौर दौर के माहौल को बेहतरीन तरीके से परदे पर उतारा गया है। फिल्म के सेट और एक्शन देखने लायक है, लेकिन थ्री-डी इफेक्ट्स उतने प्रभावी नहीं है।

दृश्यों को ज्यादा लंबा खींचा नहीं गया है और फिल्म की एडिटिंग प्लस पाइंट है। दूसरा प्लस पाइंट है ड्वेन जॉनसन जिन्होंने हरक्यूलिस का किरदार निभाया है। इस रोल को निभाने के लिए जो उन्होंने बॉडी बनाई है वो देखने लायक है। उनकी फिजिक देख विश्वास होता है कि इस बंदे में हाथियों से ज्यादा ताकत है। ड्वेन जॉनसन ने एक्शन के साथ-साथ इमोशनल सीन भी अच्छे से निभाए हैं। जॉनसन के होते हुए दूसरे कलाकारों को ज्यादा स्क्रीन टाइम नहीं मिले हैं, लेकिन कोटिस के रूप में जॉन हर्ट अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं।

कुल मिलाकर यह एडवेंचर मूवी कुछ कमियों के बावजूद दर्शकों का मनोरंजन करने में कामयाब रहती है।

निर्माता : ब्रेट रेटनर, बैरी लेविन, ब्यू फ्लि
निर्देशक : ब्रेट रेटनर
कलाकार : ड्वेन जॉनसन, इयॉन मैकशेन, जॉन हर्ट, जोसेफ फिंनेस, पीटर मूलन
अवधि : 1 घंटा 38 मिनट
रेटिंग : 3/5