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Written By समय ताम्रकर

हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया : फिल्म समीक्षा

Humpty Sharma ki Dulhnia : Movie Review | हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया : फिल्म समीक्षा
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दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे को प्रदर्शित हुए 19 वर्ष बीत गए हैं। इन वर्षों में डीडीएलजे से प्रेरित सैकड़ों फिल्में बनी हैं और 'हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया' जैसी फिल्में अभी भी बन रही हैं। इन दिनों ज्यादातर फिल्मकार पुरानी फिल्मों से प्रेरणा ले रहे हैं और नए माहौल में ढाल कर फिल्मों को पेश कर रहे हैं।

'हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया' के निर्माता करण जौहर खुद डीडीएलजे का हिस्सा रह चुके हैं इसलिए उन पर भी इस फिल्म का नशा अब तक चढ़ा हुआ है। 'हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया' शाहरुख-काजोल अभिनीत 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' का रीमेक तो नहीं है, लेकिन उस फिल्म से खास घटनाओं को लेकर वर्तमान दौर के रंग में इसे पेश किया गया है। फिल्म के दूसरे हिस्से में डीडीएलजे का असर ज्यादा नजर आता है। डीडीएलजे एक बेहतरीन फिल्म है और उसकी बराबरी करना हम्प्टी के लिए मुमकिन नहीं है, लेकिन हम्प्टी मनोरंजन करने में जरूर सफल रहती है।

राज की जगह राकेश शर्मा उर्फ हम्प्टी शर्मा (वरूण धवन) ने ले ली है, जो एक स्टेशनरी की दुकान चलाने वाले का बेटा है। सिमरन की जगह अंबाला की लड़की काव्या प्रताप सिंह (आलिया भट्ट) नजर आती है, जिसने अपनी गर्दन पर 'पटाका' लिखा टैटू बना रखा है और बीअर पीने के मामले में लड़कों को भी मात दे देती है।

सिमरन यूरोप भ्रमण के लिए निकली थी तो काव्या अंबाला से नई दिल्ली आती है। काव्या का ब्याह एनआरआई लड़के अंगद (सिद्धार्थ शुक्ला) से तय हो चुका है, लेकिन नई दिल्ली की यात्रा के दौरान उसे हम्प्टी शर्मा से इश्क हो जाता है। कुछ दिनों बाद काव्या अंबाला लौट जाती है और उसके पीछे-पीछे हम्प्टी भी उसके घर पहुंच जाता है।

चौधरी बलदेव सिंह की जगह आशुतोष राणा नजर आते हैं जो हम्प्टी के आगे एक शर्त रखते हैं। पांच दिन में वे अंगद की एक भी बुराई बता दे तो वे अपनी बेटी का हाथ हम्प्टी को सौंप देंगे। अंगद गुड लुकिंग है, फिट है, बढ़िया खाना बना लेता है, डॉक्टर है, शराब-सिगरेट से दूर रहता है। अंगद यदि पेड़ है तो उसके सामने हम्प्टी एक छोटा-सा पौधा। क्या काव्या को हम्प्टी अपनी दुल्हनिया बना पाएगा?

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फिल्म का लेखन और निर्देशन शशांक खेतान ने किया है। कहानी के रूप में शशांक दर्शकों के सामने कुछ नया तो नहीं पेश कर पाए, लेकिन जिस तरीके से इस कहानी पर स्क्रिप्ट लिखी गई है और निर्देशन किया गया है उससे फिल्म दर्शकों का लगातार मनोरंजन होता रहता है। यह फिल्म कहानी से नहीं बल्कि किरदारों के कारण अच्छी लगती है।

हम्प्टी और काव्या के किरदारों से दर्शक पहली फ्रेम से ही जुड़ जाते हैं और उनकी हर हरकत अच्छी लगती है। फिल्म का पहला हाफ भरपूर मनोरंजन करता है। फिल्म के इस हिस्से में हम्प्टी-काव्या, हम्प्टी और उसके दोस्त, हम्प्टी द्वारा काव्या की सहेली को ब्लैकमेलर से बचाना, अपनी दुकान में हम्प्टी और काव्या का दोस्तों के साथ पार्टी करने वाले जैसे कुछ शानदार सीन देखने को मिलते हैं। इंटरवल के बाद फिल्म बिखरती है, लेकिन बोर नहीं करती क्योंकि फिल्म की गति को काफी तेज रखा गया है।

फिल्म की स्क्रिप्ट परफेक्ट नहीं है और इसमें गलतियां हैं, कई जगह लॉजिक की अनदेखी की गई है, क्लाइमेक्स बहुत ही साधारण है और लेखक ने इसे अपनी सुविधानुसार लिखा है। चूंकि फिल्म दर्शकों को एंटरटेन करती है इसलिए इन कमियों को भुलाया जा सकता है। इस मामले में शशांक लेखक के बजाय निर्देशक ज्यादा अच्छे साबित होते हैं। उन्होंने माहौल को हल्का रखा है और इमोशनल दृश्यों को भी हास्य की चाशनी में डूबो कर पेश किया है। कहानी चिर-परिचित होने के बावजूद फिल्म में ताजगी का एहसास होता है। फिल्म के संवाद मनोरंजन करने में अहम भूमिका निभाते हैं और कई जगह हंसाते हैं।

कलाकारों का उम्दा अभिनय भी फिल्म पसंद आने का एक महत्वपूर्ण कारण है। वरूण धवन पूरी तरह से अपने किरदार में घुसे नजर आए। एक दिलफेंक और लापरवाह लड़के का रोल उन्होंने बखूबी निभाया। इमोशनल सीन भी वे अच्छे से कर गए। उनकी ऊर्जा पूरी फिल्म में एक जैसी नजर आई। आलिया ने बिंदास काव्या के रोल को ताजगी के साथ पेश किया। आशुतोष राणा तो अनुभवी एक्टर है। पोपलू और शोंटी के रूप में साहिल वैद और गौरव पांडे ने दर्शकों को खूब हंसाया। सिद्धार्थ शुक्ला का रोल छोटा है और वे खास प्रभावित नहीं करते। फिल्म का संगीत अच्छा है और दो-तीन गाने उम्दा हैं

'हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया' कुछ नया तो पेश नहीं करती, लेकिन शानदार संवाद, दमदार अभिनय और भरपूर मनोरंजन के कारण इस हल्की-फुल्की रोमांटिक मूवी को देखा जा सकता है।

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बैनर : धर्मा प्रोडक्शन्स
निर्माता : करण जौहर, हीरू यश जौहर
निर्देशक : शशांक खेतान
संगीत : सचिन-जिगर, शरीब-तोषी
कलाकार : वरूण धवन, आलिया भट्ट, आशुतोष राणा, सिद्धार्थ शुक्ला, साहिल वैद, गौरव पांडे
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 14 मिनट 16 सेकंड
रेटिंग : 3/5