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Written By समय ताम्रकर

हवाईजादा : फिल्म समीक्षा

हवाईजादा : फिल्म समीक्षा - Hawaizaada
हवाई जहाज के अविष्कार का श्रेय राइट ब्रदर्स को दिया जाता है जिन्होंने 1903 में यह काम कर दिखाया था, हालांकि दुनिया के कई हिस्सों में इस तरह की कोशिश पहले की गई थी। 'हवाईजादा' में बताया गया है कि शिवकर बापूजी तलपदे ने राइट ब्रदर्स से आठ वर्ष पहले 1895 में पहला प्लेन बना दिया था। इस विमान का नाम मारुतसखा था। यह संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ होता है 'फ्लाइंग मशीन'। बताया जाता है कि यह विमान 1500 फीट की ऊंचाई तक उड़ा और उसके बाद जमीन पर आ गिरा। 
 
शिवकर उर्फ शिवी को हवाईजहाज बनाने के सपने को साकार करने में कितनी जद्दोजहद करना पड़ी इसको लेकर 'हवाईजादा' का निर्माण किया गया है। शिवी के बारे में या तो ज्यादा लिखा नहीं गया है या फिर रिसर्च नहीं किया गया है क्योंकि फिल्म में कल्पना के रेशे हकीकत के रेशे से बहुत ज्यादा हैं। शिवी ने पहला प्लेन बनाया था बसी इसी को आधार बनाकर कल्पना के तत्व जोड़ फिल्म बना दी गई है। विभु पुरी ने इसे निर्देशित किया है और सौरभ भावे के साथ मिलकर लिखा है। 
शिवकर बापूजी तलपदे (आयुष्मान खुराना) पढ़ने में कमजोर था और लगातार फेल होता रहता था। स्कूल के साथ-साथ घर से भी उसे बाहर कर दिया जाता है। वह जीनियस था और यह बात मानने वाला केवल एकमात्र इंसान शास्त्री (मिथुन चक्रवर्ती) है। शास्त्री एक वैज्ञानिक है और हवाईजहाज बनाने की बरसों से कोशिश कर रहा है। वह शिवी को अपने पास रख लेता है और दोनों हवाईजहाज बनाने की कोशिश में लग जाते हैं। यह काम इतना आसान नहीं है। लगातार प्रयोग करने के लिए पैसे चाहिए और दोनों की जेब खाली है। साथ ही अंग्रेजों के निशाने पर भी वे हैं जिनसे चोरी-छिपे  काम चलता है। इस संघर्ष के साथ-साथ शिवी और सितारा के प्रेम को भी कहानी में गूंथा गया है। देशभक्ति का रंग भी चढ़ाया गया है। 
 
 
शिवी के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं होगी इसलिए कहानी का प्रस्तुतिकरण फेरी टेल की तरह रखा गया। प्रस्तुतिकरण संजय लीला भंसाली की याद दिलाता है। विभु पुरी पर उनका असर इसलिए भी है क्योंकि वे भंसाली के निर्देशक रह चुके हैं। हर फ्रेम बहुत सुंदर है और सिनेमाटोग्राफी के तो कहने ही क्या। सविता सिंह ने कैमरा इस तरह घुमाया है कि आंखों को सुकुन मिलता है। लाइट्स और रंग संयोजन का बखूबी इस्तेमाल किया गया है। सेट बहुत अच्छे से डिजाइन किए गए हैं।   
 
तकनीकी रूप से फिल्म सशक्त है, लेकिन स्क्रिप्ट की वजह से फिल्म वैसी नहीं बन पाई जैसी बनना थी। लेखकों के पास कहने को ज्यादा नहीं था। ऐसे मौके पर बात को लंबा नहीं खींचना चाहिए, लेकिन ये गलती निर्देशक-लेखक कर गए। उन्होंने फिल्म को बहुत ज्यादा लंबा बनाया है और कई बार फिल्म आपके धैर्य की परीक्षा लेती है। साथ ही शिवकर के बारे में दर्शक ज्यादा जानना चाहता है कि हवाई जहाज बनाने के बाद उसका क्या हुआ? क्यों उसे श्रेय नहीं दिया गया? लेकिन इन बातों का जवाब फिल्म में मिलता नहीं है। कई जगह फिल्म तर्कहीन भी हो जाती है। फिल्म के संवाद बेहतरीन हैं।  
 
आयुष्मान ने अभिनय गंभीरता से किया है। लोकल फ्लेवर देने के लिए उनसे मराठी में भी कुछ संवाद बुलवाए गए हैं। हालांकि कई बार किरदार उनसे छूटता हुआ भी नजर आता है। पल्लवी शारदा प्रभावित करती हैं। उनका मेकअप उस दौर का नहीं लगता। वैज्ञानिक शास्त्री के रूप में मिथुन का काम अच्छा है। इन बड़े कलाकारों के बीच नमन जैन कई सीन चुरा ले जाता है। फिल्म के गाने और उनका पिक्चराइजेशन उम्दा है, लेकिन गानों की संख्या ज्यादा है। 
 
कुल मिलाकर 'हवाईजादा' तभी अच्छी लग सकती है जब धैर्य और कम उम्मीद के साथ देखी जाए। 
 
बैनर : ट्रायलॉजिक डिजिटल मीडिया लि., रिलायंस एंटरटेनमेंट, फिल्म फार्म्स प्रोडक्शन 
निर्माता : राजेश बंगा, विशाल गुरनानी, विभु वीरेन्द्र पुरी
निर्देशक : विभु वीरेन्द्र पुरी
संगीत : रोचक कोहली, मंगेश धाकड़े, विशाल भारदवाज, आयुष्मान खुराना
कलाकार : आयुष्मान खुराना, पल्लवी शारदा, मिथुन चक्रवर्ती, नमन जैन
सेंसर सर्टिफिकेट : यू * 2 घंटे 37 मिनट
रेटिंग : 2.5/5