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Written By समय ताम्रकर

बार बार देखो : फिल्म समीक्षा

बार बार देखो : फिल्म समीक्षा - Baar Baar Dekho, Katrina Kaif, Siddharth Malhotra, movie Review, Samay Tamrakar
बार बार देखो में दो संदेश दिए गए हैं। कल की चिंता में दुबले होने की बजाय वर्तमान को भरपूर तरीके से जियो तथा परिवार और काम के बीच में संतुलन रखो। इन दोनों बातों को कहानी में गूंथ कर दर्शाया गया है। अतीत में की गई गलतियों को सुधारने की कोशिश फिल्म 'एक्शन रिप्ले' में दिखाई गई थी, 'बार बार देखो' में भविष्य में होने वाली गलतियों को पहले ही देख लिया जाता है और उन्हें होने के पहले ही सुधार लिया जाता है। 
 
जय वर्मा (सिद्धार्थ मल्होत्रा) गणित का प्रोफेसर है। जिंदगी में भी हर समय वह केलकुलेशन करता रहता है। गणित की दुनिया में नाम कमाने का उसका सपना है और इसलिए वह अपनी बचपन की गर्लफ्रेंड दीया कपूर से शादी करने से बचता है। शादी के ऐन मौके पर वह अपने दिल की बात दीया को बता कर उसका दिल तोड़ देता है। इसके बाद जय सो जाता है। नींद खुलती है तो वह अपने आपको दस दिन आगे पाता है। उसे कुछ समझ नहीं आता। अगली बार सोने पर वह समय को दो साल आगे पाता है। इसके बाद टाइम सोलह वर्ष आगे हो जाता है। घटनाएं उसके साथ ऐसी घटती हैं कि अतीत में की गई गलतियों के परिणाम उसे भविष्य में भुगतना पड़ते हैं और उन्हें सुधारने के लिए वह वर्तमान में आने के लिए झटपटाने लगता है।
फिल्म की कहानी दिलचस्प है, लेकिन नित्या मेहरा, अनुभव पाल और श्री राव द्वारा लिखा स्क्रीनप्ले थोड़ा कमजोर है। जय के किरदार को ठीक से पकाया नहीं गया है। दीया उसके साथ इतने वर्ष से है फिर भी उसके खयालात के बारे में नहीं जानती या दीया को अब तक अपने विचारों से जय ने क्यों नहीं अवगत कराया, आश्चर्य पैदा करता है। यह बात फिल्म देखते समय लगातार अखरती है। दूसरी बात जो अखरती है वो फिल्म की लंबाई। कुछ प्रसंग को अनावश्यक रूप से लम्बा खींचा गया है इसलिए फिल्म लगातार हिचकोले खाती रहती हैं। 
 
अच्छी बात यह है कि फिल्म में दिलचस्पी बनी रहती है। जय की जिंदगी में समय की छलांग उत्सुकता पैदा करती है। जय और दीया के साथ कुछ मजबूत चरित्र किरदार फिल्म को मजबूती देते हैं। साथ ही कहानी के लिए जो माहौल बनाया गया है, ड्रामे को हल्का-फुल्का रखा गया है वो दर्शकों को राहत देता है। इंटरवल के बाद फिल्म में जान आती है और क्लाइमैक्स फिल्म का मजबूत पक्ष है।  
 
यह निर्देशक नित्या मेहरा की बतौर निर्देशक पहली फिल्म है। वे 'लाइफ ऑफ पाई' और 'द रिलक्टंट फंडामेंटलिस्ट' में सहायक निर्देशक के तौर पर काम कर चुकी हैं। मीडियम पर नित्या की पकड़ नजर आती है। कहानी बार-बार वर्तमान से भविष्य और अतीत में आती-जाती है, लेकिन उन्होंने दर्शकों के मन में कन्फ्यूजन नहीं पैदा होने दिया। साथ ही फिल्म के संदेश को उन्होंने अच्छे से दर्शकों के दिमाग में उतारा है। 

 
लीड रोल में सिद्धार्थ मल्होत्रा और कैटरीना कैफ हैं। इन दोनों कलाकारों की पहचान कभी भी बेहतरीन कलाकार के रूप में नहीं रही है। यहां पर दोनों के अभिनय में गुंजाइश नजर आती है, हालांकि दोनों ने हरसंभव कोशिश की है। सिद्धार्थ मल्होत्रा के साथ दिक्कत यह रही है उनके किरदार को 30 से 60 वर्ष तक आयु में पेश किया गया है, लेकिन उनके चेहरे के भाव हरदम एक जैसे रहे हैं। बॉडी लैंग्वेज पर उन्हें मेहनत की जरूरत है। 
 
सिद्धार्थ और कैटरीना कैफ की जोड़ी अच्‍छी लगी है। कैटरीना को अंग्रेज महिला की बेटी बताकर निर्देशक ने उनकी संवाद अदायगी को मजबूत पक्ष बना दिया। अभिनय के मामले में कैटरीना ठीक रही हैं। राम कपूर का किरदार दिलचस्प है और उनका अभिनय भी अच्छा है। 
 
रवि के. चंद्रन भी सिनेमाटोग्राफी का उल्लेखनीय जरूरी है। उन्होंने कहानी को इस तरह से फिल्माया है कि निर्देशक का बहुत सारा काम आसान हो गया है। किरदारों के मूड और महत्व के अनुसार उन्होंने कैमरे की पोजीशन रखी है और लाइट्स का उपयोग किया है। 
 
कुल मिलाकर 'बार बार देखो' को एक बार देखा जा सकता है। 
 
 
बैनर : एक्सेल एंटरटेनमेंट, धर्मा प्रोडक्शन्स, इरोस इंटरनेशनल 
निर्माता : फरहान अख्तर, रितेश सिधवानी, करण जौहर, सुनील ए. लुल्ला 
निर्देशक : नित्या मेहरा 
संगीत : अमाल मलिक, आर्को, बादशाह, बिलाल सईद, जसलीन रॉयल, प्रेम हरदीप 
कलाकार : कैटरीना कैफ, सिद्धार्थ मल्होत्रा, सारिका, राम कपूर, रजित कपूर
सेसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 21 मिनट 19 सेकंड 
रेटिंग : 3/5