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कपूर्स एंड संस की कहानी

कपूर्स एंड संस की कहानी | Story and Synopsis of Hindi Film Kapoor & Sons
बैनर : धर्मा प्रोडक्शन्स, फॉक्स स्टार स्टुडियोज़
निर्माता : हीरू यश जौहर, करण जौहर, अपूर्वा मेहता
निर्देशक : शकुन बत्रा 
संगीत : अमाल मलिक, बादशाह, फा‍जि़लपुरिया, आर्को, बेनी दयाल, तनिष्क बागची
कलाकार : सिद्धार्थ मल्होत्रा, आलिया भट्ट, फवाद खान, ऋषि कपूर, रजत कपूर, रत्ना पाठक शाह 
रिलीज डेट : 18 मार्च 2016 
 
पहले मिलते हैं फिल्म के मुख्य किरदारों से.. 
 
राहुल कपूर (फवाद खान)  
राहुल, जिसकी उम्र तीस साल के आसपास है, एक युवा साहित्यकार है। बड़ी तेजी से वह सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहा है। उसका पहला उपन्यास बहुत सफल रहा है। जिसकी अच्छी खासी बिक्री हुई है। उसकी जिंदगी अच्छी चल रही है। वह लंदन में रहता है और काफी सफल है। वह अपनी दूसरी किताब को जल्दी खत्म कर, भारत आकर एक प्रोजेक्ट से जुड़ कर वह काम करना चाहता है। वह फिट है। उसका ड्रेसिंग सेंस बेहतरीन है और अनुशासित जीवन है। वह अपने इमोशनंस जाहिर नहीं करता। उसका परिवार उससे बहुत प्यार करता है। उसके परिवार को उसमें कोई बुराई नजर नहीं आती। उसे भी अपना परिवार बहुत पसंद है। जब वह अपने घर भारत आता है, तो उसे तब झटका लगता है जब वह अपने माता-पिता की शादी टूटते हुए देखता है। इसी बीच वह अपने भाई की उसके नॉवेल के पब्लिश होने में मदद करता है। उनका रिश्ता भी इस बीच अच्छा होता जाता है। 
 

अर्जुन कपूर (सिद्धार्थ मल्होत्रा) 
अर्जुन एक सफल उपन्यासकार बनना चाहता है। वह राहुल से थोड़ा छोटा है। उसकी जिंदगी वैसी नहीं चल रही जैसा उसने हमेशा चाहा था। कुछ अच्छा हो इसके लिए वह कोशिश कर रहा है। अर्जुन अपने भाई की तरह जिदंगी को गंभीरता से नहीं लेता। वह जानता है कि उसका परिवार उसके बड़े भाई को परफेक्ट समझता है और उसने खुद को अच्छा बताने की कोशिश भी बंद कर दी है। अर्जुन को लापरवाह युवा समझा जाता है जिसकी जिंदगी का कोई उद्देश्य नहीं है। वह साफतौर पर ऐसा बेटा नहीं है जैसा उनका परिवार चाहता है। अर्जुन को मौज करना पसंद है। वह समय को अच्छे से बिताने में यकीन रखता है। वह काफी लोगों से घुलामिला हुआ है और लोगों के सामने मजाक करने से नहीं चुकता। उसका अपने दादाजी के साथ रिश्ता मजेदार है। वह उन्हें मजाक वाली चीजों में उलझाए रखता है। वह सोच-सोच कर चीजें नहीं करता। अर्जुन को उसके माता-पिता के झगड़ों पर कोई आश्चर्य नहीं होता। बल्कि उसे इस तरह के पुराने झगड़े भी याद हैं। वह अपने भाई का बहुत भरोसा नहीं करता। वह अपनी मां के बुरे दौर में उनका साथ देता है। पूरे परिवार में उसकी मां ही उसकी सबसे अच्छी दोस्त हैं। 
 
 

टिया (आलिया भट्ट) 
टिया कम उम्र की खूबसूरत लड़की है। मौज-मस्ती उसे पसंद है और वह हमेशा इंजॉय करने के लिए तैयार रहती है। उसकी उम्र की अन्य लड़कियों की तरह, उसके दोस्तों की राय उसके फैसलों पर प्रभाव छोड़ते हैं। खास तौर पर जब प्यार की बात हो। वह आत्मविश्वास से भरी है और बिंदास लगती है। वह चैलेंज के लिए हमेशा तैयार रहती है। 
 

दादाजी (ऋषि कपूर) 
दादाजी की उम्र 90 साल है। उन्हें पता है कि वह ज्यादा जिंदा नहीं रहेंगे। करीब एक सदी तक जीने के बाद भी, दादाजी लाइफ से भरे हुए हैं। वह मजाक में रूचि लेते हैं और उनका दिमाग भी तेज है। वह कभी कभी नर्सों पर गुस्सा दिखाते हैं परंतु पूरे परिवार में अकेले वही हैं जो जिदंगी को खुलकर जी रहे हैं। वह अपने पोतों के साथ खेलते हैं, सुंदर लड़कियों से मजाक करते हैं और हवाई जाने के प्लान बनाते हैं। जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ती है, अपनी मौत का इंतजार करते हुए दादाजी वह कड़ी बनकर उभरते हैं जो परिवार को जोड़े हुए है। दिल से दादाजी अभी भी जवान है जिन्हें 'राम तेरी गंगा मैली' की मंदाकिनी बहुत पसंद है।  
 
 

मां (रत्ना पाठक शाह) 
मां की सारी जिदंगी परिवार की देखभाल में निकल गई। कभी उन्हें अपने पति से बहुत प्यार था, परंतु जिंदगी के उतार चढ़ाव में, उनका रिश्ता बदल गया।
वह टूटी हुई लगती हैं क्योंकि उनके पति ने उनसे जो वादा किया था वह कभी पूरा नहीं हुआ। वह अपने परिवार की आर्थिक समस्याओं को सुलझाने की इच्छा रखती हैं। उन्हें पति की बेवफाई का अंदाजा है परंतु वह चीजों को एक साथ लाने की कोशिश में लगी रहती हैं। वह एक बेहतरीन मां है जिसे अपने दोनों बेटों से बहुत प्यार है। वह उनके बीच के अंतर को भी समझती हैं। जहां अपनी शादी से वह पूरी तरह से नाउम्मीद हो चुकी हैं उन्हें अपने बेटों से अभी भी बहुत आशाएं हैं। वह अपने बेटों के लिए हर खुशी चाहती हैं। जहां पिता अर्जुन में कमियां निकालते रहते हैं, वह अपने बेटे को बहुत प्यार करती हैं और उसका हमेशा साथ देती हैं। 
 
पिता (रजत कपूर) 
पिता की उम्र करीब 50 साल है, जो हालातों से टूटे हुए लगते हैं। उनकी सबसे बड़ी नाकामयाबी परिवार को जोड़ कर न रख पाना है। वह आर्थिक तौर पर भी मजबूत नहीं हैं और अपनी पत्नी के बार-बार इस मुद्दे को उठाने से परेशान है। कभी उनकी शादी बहुत अच्छी थी और उन्हें अपनी पत्नी से प्यार भी था परंतु अब अपनी पत्नी को देख ही वे चिड़चिड़े होने लगते हैं। उन्हें अपने परिवार से प्यार है और उनकी भरपूर कोशिश है कि वह अपने बेटों के लिए अच्छे से अच्छा करे। वह एक हद तक जिदंगी से नाखुश हैं और यह भी एक कारण है कि उन्होंने  अपनी शादी से दूरी बना रखी है। 
 
 

कहानी
कपूर एंड संस (1921 से) एक ड्रामेडी (ड्रामा एंड कॉमेडी) है जिसमें बुरे हालातों में मजाक पैदा किया गया है। राहुल और अर्जुन दो दूर रहने वाले भाई हैं जिन्हें अपने उस घर में उनके दादा को आए हार्टअटैक के कारण लौटना पड़ता है, जहां उन्होंने बचपन बिताया है। एक छत के नीचे रहते हुए, परिवार के राज बाहर आते हैं और गलतफहमियां और भी भयानक रूप लेने की कगार पर हैं। परिवार में होने वाले मजाक, अव्यवस्था, दु:ख, पछतावा जैसे तत्व दिखाए गए हैं। क्या कपूर परिवार धोखे और झूठ को पीछे छोड़ पाएगा? क्या ये लोग माफ कर पाएंगे? क्या ये सामान्य लोग साथ आकर एक परफेक्ट परिवार बना पाएंगे? जवाब मिलेंगे फिल्म में।