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Written By समय ताम्रकर

कंडक्टर-क्लर्क-वेटर- कुआं खोदने वाला : ये स्टार्स क्या थे और क्या हो गए

कंडक्टर-क्लर्क-वेटर- कुआं खोदने वाला : ये स्टार्स क्या थे और क्या हो गए - कंडक्टर-क्लर्क-वेटर- कुआं खोदने वाला : ये स्टार्स क्या थे और क्या हो गए

ये फिल्म स्टार्स फिल्मों में आने के पहले क्या थे, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और फिल्म इंडस्ट्री में अपना नाम सुनहरे अक्षरों में लिख दिया।


 
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अमिताभ बच्चन फिल्मों में आने से पहले एक प्राइवेट कम्पनी में सेल्समैन थे।


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धर्मेन्द्र एक ट्यूबवेल कम्पनी में कुआ खोदने का काम देखते थे।


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रजनीकांत तथा जॉनी वाकर मुंबई की बेस्ट-बस में कंडक्टरी करते थे।


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दिलीप कुमार फिल्मी सितारों के घर जाकर सूखे मेवे बेचते थे।


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देव आनंद मिलिट्री के सेंसर पोस्ट ऑफिस में क्लर्क थे।


अक्षय कुमार मार्शल आर्ट सीखने बैंकॉक गए और वहां शेफ तथा वेटर की नौकरी की। मुंबई लौटने पर मार्शल आर्ट के टीचर बन गए। ज्वेलरी बेचने का काम भी उन्होंने किया। 

संवाद अदायगी के लिए मशहूर अभिनेता राजकुमार फिल्मों में आने के पूर्व मुंबई पुलिस में सब इंस्पेक्टर थे। 

जीतेन्द्र नकली आभूषणों का व्यवसाय करते थे। एक बार फिल्म निर्माता-निर्देशक वी. शांताराम को अपनी फिल्म के लिए नकली आभूषणों की जरूरत पड़ी। जीतेन्द्र उन्हें आभूषण देने गए और शांताराम ने जीतेन्द्र को फिल्मों में मौका दे दिया। 

जैकी श्रॉफ फिल्मों में आने के पहले मुंबई स्थित मलाबार हिल के तीन बत्ती एरिया में दादागिरी करते थे।

नवाजुद्दीन सिद्दकी ने एक पेट्रोकेमिकल कंपनी में बतौर केमिस्ट कुछ समय तक काम किया।

भारत के बेहतरीन अभिनेताओं में से एक ओम पुरी ने चाय की दुकान पर काम किया है। 

बोमन ईरानी ने ताज महल पैलेस एंड टॉवर में वेटर और रूम सर्विस स्टॉफ के बतौर काम किया। फिर अपनी मां का हाथ बेकरी शॉप में बंटाया। कुछ समय फोटोग्राफी भी की। 

फिल्मो में आने के पहले प्रसिद्ध कॉमेडियन जॉनी वाकर मुंबई में 'बेस्ट' में बस कंडक्टर थे। अभिनेता बलराज साहनी की नजर पड़ी और जॉनी को फिल्मों में मौका मिल गया। 

मेहमूद ने कई छोटे-मोटे काम किए। राजकुमार संतोषी के पिता पीएल संतोषी के वे ड्राइवर भी रहे। मीना कुमारी को टेबल टेनिस सिखाने के बदले में भी उन्हें पैसे मिले। 

सुनील दत्त रेडियो सीलोन में अनाउंसर थे। 

कादर खान बायकुला स्थित एमएच साबू सिद्दिक कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में सिविल इंजीनियरिंग पढ़ाते थे। एक नाटक में दिलीप कुमार ने कादर खान का अभिनय देखा और कादर फिल्मों में आ गए।