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Written By समय ताम्रकर

सनी देओल : बेस्ट फाइव मूवीज़

सनी देओल : बेस्ट फाइव मूवीज़ - सनी देओल : बेस्ट फाइव मूवीज़
सनी देओल बॉलीवुड के उन नायकों में से रहे हैं, जिन्हें उतनी चर्चा नहीं मिली, जितना कि वे हकदार हैं।  चर्चा करते हैं उनकी श्रेष्ठ पाँच फिल्मों की।

 

 

अर्जुन (1985)

पात्र का नाम : अर्जुन

निर्देशक : राहुल रवैल

 
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पढ़े-लिखे और बेरोजगार युवकों की कहानी ‘अर्जुन’ में पेश की गई थी। इस फिल्म की तारीफ मणिरत्नम जैसे निर्देशक ने भी की थी। सनी के पात्र का नाम अर्जुन था और वह लक्ष्यविहीन था। कम बोलने वाले और गंभीर किस्म के किरदार सनी पर हमेशा जँचे हैं। युवा अर्जुन का आक्रोश उन्होंने परदे पर बेहतरीन तरीके से पेश किया। ‘अर्जुन’ के बाद कई फिल्मों का निर्माण इसी थीम पर हुआ।


घायल (1990)

पात्र का नाम : अजय मेहरा

निर्देशक : राजकुमार संतोषी

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इस फिल्म के पहले ज्यादातर फिल्म समीक्षकों की राय थी कि सनी स्टार जरूर हैं, लेकिन अच्छे अभिनेता नहीं है। ‘घायल’ में सनी ने इस बात का जोरदार तरीके से जवाब दिया। अपने भाई की तलाश कर रहे सनी को जेल में बंद कर दिया जाता है। सलाखों के पीछे से वे जब अपना गुस्सा जाहिर करते हैं तो हॉल में बैठे दर्शक को भी गुस्सा आ जाता है। सनी का यही गुस्सा फिल्मकारों ने खूब भुनाया। इस फिल्म के लिए सनी को फिल्मफेयर के सर्वश्रेष्ठ ‍अभिनेता का पुरस्कार मिला था।


दामिनी (1993)

पात्र का नाम : गोविंद

निर्देशक : राजकुमार संतोषी

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बहुत कम ऐसा होता है कि किसी फिल्म में नायक पर चरित्र अभिनेता भारी पड़ता है। ‘दामिनी’ की जब चर्चा होती है तो नायक ऋषि कपूर के बजाय सहायक अभिनेता के रूप में सनी याद आते हैं। एक शराबी वकील जब अदालत में खड़ा होकर केस लड़ता है तो फिल्म में जान आ जाती है। इस फिल्म में सनी ने अद्भुहत अभिनय किया था। आज भी उनके द्वारा बोले गए संवाद लोकप्रिय हैं। इस अभिनय के लिए उन्हें फिल्मफेयर के साथ-साथ राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था।


घातक (1996)

पात्र का नाम : काशी नाथ

निर्देशक : राजकुमार संतोषी

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कायरता और हिंसा में से किसी एक को चुनना पड़ा तो मैं हिंसा चुनुँगा। इस वाक्य पर यह फिल्म बनी थी, जिसमें मनोरंजन के साथ संदेश भी था। मध्यांतर के पूर्व सनी उत्तर भारत के ठस दिमाग युवक की भूमिका में नजर आते हैं। मध्यांतर के बाद जब कात्या (डैनी) का आतंक बढ़ता है तो सनी उसकी राह में आ खड़े होते हैं। फिर शुरू होता है ‍जबर्दस्त एक्शन का दौर। सनी का किरदार कई तरह के शेड्स लिए हुए था, जिसे उन्होंने बखूबी जिया।


गदर : एक प्रेमकथा (2001)

पात्र का नाम : तारा सिंह

निर्देशक : अनिल शर्मा

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‘गदर’ की सफलता के पीछे ज्यादातर लोग इसका पाकिस्तानी विरोधी होना मानते हैं, लेकिन इसकी सफलता में प्रेमकथा का योगदान होना ज्यादा है। क्लायमेक्स के पहले तक इसमें प्रेमकथा चलती है। भोले-भाले तारा सिंह के रूप में सनी ने अपने अभिनय की रेंज दिखाई। फिल्म की अंतिम रीलों में सनी अकेले सैकड़ों पाकिस्तानी सैनिकों से लड़ते हुए विजयी होते हैं। फिल्म के अंत में कई अविश्वसनीय दृश्य हैं, लेकिन सनी की वजह से वे विश्वसनीय लगते हैं और यही एक सफल स्टार की पहचान है। यह भूमिका सनी से बेहतर शायद ही कोई अभिनेता निभा सकता था। ‘गदर’ सनी के करियर की सबसे बड़ी हिट के अलावा बॉलीवुड की सर्वाधिक सफल फिल्मों में से भी है।