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Written By वार्ता

शशि कपूर : रोमांटिक हीरो के रूप में बनाई पहचान

(जन्मदिन 18 मार्च के अवसर पर)

शशि कपूर : रोमांटिक हीरो के रूप में बनाई पहचान -
बॉलीवुड में शशि कपूर का नाम एक ऐसे अभिनेता के तौर पर शुमार किया जाता है जिन्होंने अपने रोमांटिक अभिनय के जरिये लगभग तीन दशक तक सिने प्रेमियों का भरपूर मनोरंजन किया। शशि कपूर (मूल नाम बलबीर राज कपूर) का रूझान बचपन से ही फिल्मों की ओर था और वे अभिनेता बनना चाहते थे। उनके पिता पृथ्वीराज कपूर भाई राजकपूर और शम्मी कपूर फिल्म इंडस्ट्री के जाने माने अभिनेता थे। उनके पिता यदि चाहते तो वह शशि को लेकर फिल्म का निर्माण कर सकते थे, लेकिन उनका मानना था कि शशि कपूर संघर्ष करें और अपनी मेहनत से अभिनेता बनें।

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शशि कपूर ने अपने सिने करियर की शुरुआत बाल कलाकार के रूप में की। चालीस के दशक में उन्होने कई फिल्मों में बाल कलाकार के रूप में काम किया। इनमें 1948 में प्रदर्शित फिल्म 'आग' और 1951 में प्रदर्शित फिल्म 'आवारा' शामिल हैं जिसमें उन्होंने अभिनेता राजकपूर के बचपन की भूमिका निभाई।

पचास के दशक मे शशि कपूर अपने पिता के थिएटर से जुड़ गए। इसी दौरान भारत और पूर्वी एशिया की यात्रा पर आई ब्रिटेन की नाटक मंडली शेक्सपियेराना से वह जुड़ गए जहां उनकी मुलाकात मंडली के संचालक की पुत्री जेनिफर केण्डल से हुई। वह उनसे प्यार कर बैठे और बाद में उनसे शादी कर ली।

शशिकपूर ने अभिनेता के रूप में सिने करियर की शुरुआत वर्ष 1961 में यश चोपड़ा की फिल्म 'धर्मपुत्र' से की। इसके बाद उन्हें बिमल राय की फिल्म 'प्रेम पत्र' में भी काम करने का अवसर मिला, लेकिन दोनों ही फिल्में टिकट खिड़की पर असफल साबित हुईृ।

इसके बाद शशि कपूर ने मेंहदी लगी मेरे हाथ, हॉलिडे इन बांबे और बेनेजीर जैसी फिल्मों में भी काम किया, लेकिन ये फिल्में भी टिकट खिड़की पर बुरी तरह नकार दी गईं। वर्ष 1965 शशि कपूर के सिने करियर का अहम वर्ष साबित हुआ। इस वर्ष उनकी 'जब जब फूल खिले' प्रदर्शितहुई। बेहतरीन गीत-संगीत और अभिनय से सजी इस फिल्म की जबरदस्त कामयाबी ने ने शशि कपूर को भी स्टार के रूप में स्थापित कर दिया।

वर्ष 1965 में शशि कपूर के सिने क रियर की एक और सुपरहिट फिल्म 'वक्त' रिलीज हुई। इस फिल्म में उनके सामने बलराज साहनी, राजकुमार और सुनील दत्त जैसे नामी सितारे थे। इसके बावजूद वह अपने अभिनय से दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में सफल रहे।

इन फिल्मों की सफलता के बाद शशि कपूर की छवि रोमांटिक हीरो की बन गई और निर्माता- निर्देशकों ने अधिकतर फिल्मों में उनकी रूमानी छवि को भुनाया। वर्ष 1965 से 1976 के बीच कामयाबी के सुनहरे दौर मे शशि कपूर ने जिन फिल्मो में काम किया, उनमें से अधिकतर हिट साबित हुईं।

अस्सी के दशक में शशि कपूर ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रखा और 'जुनून' फिल्म का निर्माण किया। इसके बाद उन्होंने कलयुग, 36 चौरंगी लेन, विजेता, उत्सव आदि फिल्मों का भी निर्माण किया, हालांकि ये फिल्में टिकट खिड़की पर ज्यादा सफल नहीं हुईं, लेकिन इन फिल्मों को समीक्षकों ने काफी पसंद किया।

वर्ष 1991 में अपने मित्र अमिताभ बच्चन को लेकर उन्होने अपनी महात्वाकांक्षी फिल्म 'अजूबा' का निर्माण और निर्देशन किया, लेकिन कमजोर पटकथा के कारण में फिल्म टिकट खिड़की पर नाकामयाब साबित हुई हालांकि यह फिल्म बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय हुई।

शशि कपूर के सिने करियर में उनकी जोड़ी अभिनेत्री शर्मिला टैगोर और नंदा के के साथ काफी पसंद की गई। इन सबके बीच शशि कपूर ने अपनी जोड़ी सुपर स्टार अमिताभ बच्चन के साथ भी बनाई और सफल रहे। यह जोड़ी सर्वप्रथम फिल्म दीवार में एक साथ दिखाई दी। बाद में इस जोड़ी ने इमान धर्म, त्रिशूल, शान, कभी कभी, रोटी कपड़ा और मकान, सुहाग, सिलसिला, नमक हलाल, काला पत्थर जैसी फिल्मों में भी काम किया।

नब्बे के दशक में स्वास्थ्य खराब रहने के कारण शशि कपूर ने फिल्मों में काम करना लगभग बंद कर दिया। शशि कपूर ने लगभग 200 फिल्मो में काम किया है। वह इन दिनों फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय नहीं है।(वार्ता)