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Written By समय ताम्रकर

राखी : सौंदर्य और प्रतिभा का संगम

Rakhi Gulzar | राखी : सौंदर्य और प्रतिभा का संगम

एक पारम्परिक चेहरा। पारम्परिक अभिनय। और तमाम पारम्परिक फिल्में। राखी को परिभाषित करने के लिए यह तीन बातें पर्याप्त हैं। राखी के सुन्दर चेहरे की सब तारीफ करते हैं। फिल्म लाइन में कमल हासन ऐसे अभिनेता हैं, जिन्होंने राखी के पोस्टर्स से अपने घर की दीवारों को सजाया था।


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संध्या राय : गॉडमदर
राखी के परिवार में कोई फिल्मी माहौल नहीं था। उन्होंने सोचा भी नहीं था कि वह कभी हीरोइन बनेंगी। एक बार उनके घर के पास संध्या राय एक बंगाली फिल्म की शूटिंग कर रही थी। बंगाली होने के कारण उन्हें मछली-झोल खाने की बहुत इच्छा रहती थी, जो शूटिंग के समय संभव नहीं था। राखी की मां ने संध्या के लिए माछी-झोल बनाया। संध्या ने खाया और वह अक्सर राखी के घर आने लगी। इस तरह से राखी को एक गॉडमदर जैसी मिल गई।

राखी के दो भाई उस दौर में नक्सलवादी हो गए। मां का कोई सहारा न रहा। राखी अपनी पढ़ाई के लिए कलकत्ता मौसी के घर आ गई। संध्या राय से उनका सम्पर्क बना हुआ था। जब मौसी के यहां खटपट हुई तो वह संध्या के पास रहने लगी। उनकी पढ़ाई और तमाम खर्चे उसी ने उठाए।

पन्द्रह साल की उम्र में राखी का विवाह अजय विश्वास के साथ हो गया। वह मुम्बई के फिल्मालय में काम करते थे। सास ने पति के पास रहने के लिए मुम्बई भिजवा दिया। राखी को अजय का साथ जरा भी नहीं जमा। उनकी संगत गलत लोगों के साथ थी। एक दिन अजय ने राखी को घर से निकाल दिया। उन्होंसने चांद उस्मानी के घर में शरण ली। उनके पति मुकुल दत्त लेखक थे।

राजश्री का न्यौता
एक दिन फिल्मकार सत्येन बोस ने बुलाया और कहा कि राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म में छोटा-सा रोल है। राखी ने इसके पहले अभिनय किया था। अपना और मां का पेट पालने के लिए हां कर दी। स्क्रीन टेस्ट हुआ। राखी का एक साइडपोज जिसमें बायां कान दिखाई दे रहा था, वह तस्वीर पांडिचेरी के ऑरोविले में मदर के पास भिजवाई गई।

वहां से मंजूरी मिलने पर ताराचंद बड़जात्या की फिल्म जीवन मृत्यु में छोटा-सा रोल मिला। नजदीकी लोगों तथा निर्माताओं ने राखी से कहा कि अपनी पहली फिल्म में विधवा का रोल कर रही हो, यह एक तरह से आत्मघाती कदम होगा, लेकिन राखी ने हर बार इसी तरह के आत्मघाती रोल निभाए और विजेता रही।

रेशमा और शेरा
इसके बाद अजंता आट्‌र्स यानी सुनीलदत्त की फिल्म रेशमा और शेरा में राखी को छोटी भूमिका मिली। एक राजस्थानी युवती के रोल में उसकी शादी होती है और परिवार के संघर्ष में उसका पति मारा जाता है। इस तरह शुरुआत की दोनों फिल्मों में उसे विधवा बनना पड़ा।

राखी ने रोल छोटा है या बड़ा, इस बारे में कभी नहीं सोचा। उन्होंने हमेशा यह देखा कि रोल कितना पॉवरफुल है और दर्शक पर उसका कितना प्रभाव होगा। रेशमा और शेरा 1972 में रिलीज हुई। कुछ अजीब-से संयोग बने और -973 में वह गुलजार के साथ शादी के बंधन में बंध गईं। गुलजार की पहली शर्त थी कि शादी के बाद फिल्मों में काम नहीं। फिर से घर में बैठा दिया गया।

शादी से पहले राखी ने यश चोपड़ा की फिल्म दाग में शर्मिला टैगोर के साथ काम किया था। राखी हर सीन में शर्मिला पर भारी साबित हुई। राखी-गुलजार शादी तीन साल तक चली। बाद में फिल्मों में काम वहीं से शुरू किया, जहां छोड़ा था। अंतर सिर्फ इतना आया कि उसकी गोद में मेघना बिटिया आ गई।

उजली छवि की भूमिकाएं
राखी के करियर की सबसे बड़ी विशेषता है कि वह फिल्मों या रोल के पीछे दूसरी तारिकाओं की तरह कभी नहीं दौड़ी। उन्होंने हमेशा ऐसे रोल किए, जिससे उनकी सही इमेज दर्शकों के दिल-दिमाग में हमेशा दर्ज रह सकें।

राखी की पहली सुपरहिट फिल्म शर्मीली रही जिसमें उन्होंने डबल रोल किया था। रमेश तलवार की फिल्म दूसरा आदमी में वह अधेड़ उम्र की औरत हैं, जो एक शादीशुदा खुशहाल व्यक्ति की ओर आकर्षित होती है।

अपर्णा सेन की बांग्ला-हिंदी में बनी फिल्म परमा (पारोमा) में भी उनका ऐसा ही रोल है। अपने पति और बच्चों के संयुक्त परिवार में सुबह से देर रात तक खटती एक चालीस वर्षीय पत्नी, जो एक अजनबी मेहमान के घर आने और उसके साथ घूमने-फिरने से यह अनुभव करती है कि जीवन घर की चारदीवारी के बाहर भी है।

राखी की पाकीजा : कभी कभी
राखी के जीवन की यादगार फिल्म है यश चोपड़ा की कभी कभी। इस फिल्म के रोल को वह उतना ही महत्व देती हैं, जितना मीना कुमारी के करियर में फिल्म पाकीजा अथवा वैजयंतीमाला के जीवन में फिल्म मधुमति का है। इस फिल्म से राखी की एक अलग इमेज बनती है।

राखी : दिग्गज निर्देशकों का साथ
राखी ने अपने दौर के तमाम दिग्गज डायरेक्टर्स के साथ काम किया। रमेश बहल, रमेश तलवार, यश चोपड़ा, ऋषिकेश मुखर्जी, लेकिन गुलजार ने कभी राखी को अपनी फिल्म की हीरोइन नहीं बनाया। यह मलाल आज भी उनके दिमाग में बना हुआ है।

राखी ने मुख्यधारा के सिनेमा में रहते हुए अवतार कृष्ण कौल की ऑफबीट फिल्म 27 डाउन भी की है। यह फिल्म इन्दौर के कथाकार रमेश बक्षी की कहानी मेज पर टिकी कुहनियां पर आधारित है।

राखी ने अमिताभ बच्चन के साथ 11 फिल्में की हैं। फिल्म कस्मे वादे में वह अमिताभ की प्रेमिका हैं तो फिल्म शक्ति में मां की भूमिका में हाजिर हैं। रूदाली फिल्म में वह डिम्पल की भी मां बनी हैं।

राखी ने हीरो के मां के रोल में कई यादगार भूमिकाएं निभाई हैं जिनमें बाजीगर, करण अर्जुन, सोल्जर के नाम लिए जा सकते हैं। उस दौर में वह सबसे अधिक पारिश्रमिक लेने वाली मां थीं। वे खाना बहुत अच्छा बनाती हैं और कई बार आउटडोर शूटिंग के दौरान यूनिट के लोगों के लिए उन्होंने खाना बनाया।

1951 में जन्मी राखी इस समय एकाकी रहती हैं। बेटी मेघना बड़ी होकर ससुराल चली गईं और फिल्म डायरेक्टर के साथ लेखक भी बन गई हैं। राखी का मन टीवी से जुड़ने का नहीं हुआ। अपनी शांत जिंदगी जीना उन्हें पसंद हैं।

प्रमुख फिल्में
27 डाउन, बरसात की एक रात, बसेरा, बाजीगर, बेमिसाल, दाग, दूसरआदमी, हमारे तुम्हारे, जीवन मृत्यु, जुर्माना, कभी कभी, काला पत्थर, करण अर्जुन, कस्मे वादे, मुकद्दर का सिकंदर, पारोमा, राम लखन, रेशमा और शेरा, रुदाली, शक्ति, शर्मीली, सोल्जर, तपस्या, त्रिशूल।