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ये न सोचे कि लोग क्या कहेंगे: सूरज बड़जात्या

ये न सोचे कि लोग क्या कहेंगे: सूरज बड़जात्या - Sooraj Barjatya, Rajashri Production, Ek Shringaar Swabhiman
कलर्स चैनल हाल ही में एक शो शुरू हुआ है, नाम है 'एक श्रृंगार स्वाभिमान'। इस सीरियल में एक मां की कहानी है जो अपनी दोनों बेटियों को पढ़ाई की राह पर चलना और बेहतर बनना सिखाती हैं। यह सीरियल राजश्री प्रोडक्शन ने ऐसी महिलाओं के लिए बनाया गया है जो ज़िंदगी में करियर और घर दोनों संभालन चाहती हैं, लेकिन ससुराल उनके इस सपने की बीच की कड़ी बन जाता है। सीरियल के निर्माता सूरज बड़जात्या कहते हैं कि ये उनकी ज़िंदगी की सच्ची घटना पर बनाया गया सीरियल है। उनसे इस विषय पर और बातचीत कर रही हैं वेबदुनिया संवाददाता रूना आशीष। 
 
वर्षों पहले स्वाभिमान नामक सीरियल आया था। क्या आपको वो याद है क्योंकि आपके धारावाहिक का नाम भी स्वाभिमान है? (स्वाभिमान 1995 में दिखाया जाने वाला सीरियल था जिसका निर्देशन महेश भट्ट ने किया था)
मुझे ज़्यादा याद नहीं है। हां नाम स्वाभिमान ही था, लेकिन हमारे सीरियल का पूरा नाम एक श्रृंगार स्वाभिमान है। स्वाभिमान को लोग अलग-अलग तरीके से देखते हैं। कोई इसे गर्व से बोलता हैं तो कोई नकारात्मक तरीके से। मेरे शो में दिखाया गया है कि ये एक श्रृंगार की तरह है। इसे पहने और बिल्कुल न सोचें कि लोग क्या कहेंगे। एक ही जिंदगी है, इसे अच्छी तरह से जियो। 


 
आपने कहा कि इस सीरियल की प्रेरणा आपको अपने साथ हुए एक वाक़ये से मिली। क्या था वो वाक़या?
हां, ये मेरे साथ हुई एक बात से मुझे प्रेरणा मिली तो सीरियल बनाया। मेरे एक परिचित हैं और वो अपने घर की एक लड़की के लिए रिश्ता ढूंढ रहे थे। उनकी बेटी बड़ी होनहार और टॉपर थी। आज वह लाखों में कमा रही है, लेकिन उनके घरवालों को ये परेशानी हो रही थी कि उसकी बराबरी का लड़का नहीं मिल रहा था। जो मिलते थे या तो वो कम पढ़े लिखे थे या फिर उनकी कमाई लड़की से कम थी। उन्होंने मुझसे पूछा कि लड़की की नौकरी छुड़वा दें या शादी ना करें। तब मुझे ऐसे लगा कि कोई क्यों अपना स्वाभिमान छोड़े। क्यों वह नौकरी करने या ना करने के लिए ससुराल वालों पर निर्भर रहे? अपने इन रिश्तेदार के सवाल का जवाब तो मेरे पास आज भी नहीं है। 
 
आपकी फ़िल्मों में कई इमोशन्स को एक साथ गूंथ कर दिखाया जाता है तो सीरियल में कैसे अपनी इस परंपरा को कैसे निभा रहे हैं?
हमारी फ़िल्में हों या फिर सीरियल, हम कुछ बातें हैं जो साथ-साथ बता रहे हैं, जैसे कि हम एक तरह से ये भी कह रहे है कि कैसे हम घर में नए रिश्तों का आदर करें। जो लड़की बहू बन कर आई है उसका आदर करें। मैं मानता हूं कि घर में लक्ष्मी तभी आती है जब गृहलक्ष्मी को आदर और सम्मान दिया जाता है। आज के समय में लड़कों को लड़कियों को किस नज़रिए से
देखना होगा। उन लड़कों को भी समझना होगा कि लड़कियों के भी अपने-अपने मूड्स हो सकते हैं।  कई छोटी-छोटी बातें हैं जो हम दिखाने वाले हैं। हमारा जोर इस बात पर है कि कैसे रिश्तों को संभाला जाए। 
 
आपके शो में मैंने देखा है कि एक बार बड़ी लड़की कहती है कि मेरी मां का अपमान हुआ है तो परिवार को सीखा कर रहूंगी। वहीं छोटी बहन कहती है कि परिवार को जोड़ कर मां का स्वाभिमान लौटाएंगे, तो क्या एक लड़की को गुस्सा नहीं आना चाहिए. क्या वह गलत है?
किसी भी लड़की को गुस्सा आना जायज़ है, लेकिन एक मां है जो लड़कियों को कहती है कि मैं जानती हूं कि लड़कियां घर और करियर दोनों को संभाल सकती हैं। मैं आपके लिए ऐसा घर ढूंढ कर भी लाई हूं, लेकिन एक लड़की होने के नाते अब आपको भी कुछ समझौते करने के लिए तैयार होना होगा।  
 
तो कोई कैसे संभाले ऐसी स्थिति को.. सीरियल कैसे बता रहा है?
सीरियल कहते हैं कि एक कान से सुनो और दूसरे कान से निकाल दो। आप इन बातों पर ध्यान मत दो या प्रतिक्रिया मत दो, क्योंकि आपकी मंज़िल तो बहुत ही दूर है। हम एक आदर्श ससुराल दिखा रहे हैं। वो जब दिन भर का काम करके घर आए और अपने बच्चे को संभालने लगे तो उससे कह जाए कि तुम बैठो और बाकी के काम की चिंता मत करो। अब होता ये है कि लड़की या बहु घर आती है, उससे और काम कराया जाता है तो उसके अंदर एक ग्लानि भर जाती है।  गिल्ट फैक्टर आ जाता है जो हर बार समय के साथ कभी बढ़ता है तो कभी कम होता है,  लेकिन ज़िंदगी भर तक रहता है। आज की लड़की होगी तो कहेगी कि मुझे ये सब करना ही नहीं है। मैं क्यों इन सब मे पड़ूं तो वो भी तो आपको सही नहीं लगेगा। 
 
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय महिलाएं दुनिया की सबसे ज़्यादा तनावग्रस्त महिला है। 
मै तो ये मानता हूं। मुझे याद है कि मेरी बहन जो अमेरिका में रहती संयुक्त परिवार में रहती थी, मुझसे कई बार कहती थी कि मुझे कई बार तो ये याद नहीं रहता था कि मैंने दिन भर में स्नान भी किया है या नहीं। मुझे याद ही नहीं कि दिन भर में मेरे साथ क्या हुआ। अब क्या करें कि लोग अभी भी पुरानी परंपरा के निभा रहे हैं वो भी दूसरे देश में। 
 
अब कुछ फ़िल्मों के बारे में बताइए। कोई नया प्रेम आ रहा है या पुराने प्रेम की वापसी हो रही है?
अभी तो फ़िल्मों के लिए इंतज़ार करना होगा। फिलहाल दो-तीन शोज़ हैं जिस पर काम चल रहा है। मेरा बेटा देवांश इन दिनों टीवी शोज़ को ख़ुद देख रहा है। अगले साल हम फ़िल्में बनाएँगे। मेरे बेटे अवनीश को भी हमें लांच करना है। अभी अवनीश फ़िल्म लिख रहा है और उस फ़िल्म का वो निर्देशन भी करेगा। ये राजश्री की फ़िल्म होगी, लेकिन कुछ अलग होने वाला है। हम नए नज़रिए का स्वागत कर रहे हैं, यही हमारा नया लक्ष्य है।