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देश की फिल्में कर गर्वित होता हूं : नवाजुद्दीन सिद्दीकी

कैमरे के सामने ईमानदार हो जाता हूं

देश की फिल्में कर गर्वित होता हूं : नवाजुद्दीन सिद्दीकी - Nawazuddin Siddiqui, Mom, Sridevi, Munna Miachel
नवाजुद्दीन सिद्दीकी फिल्म 'मॉम' में एक अलग ही लुक और अंदाज में नजर आने वाले हैं। वे कहते हैं- 'मैं और मेरे निर्देशक मेरे मॉम के कैरेक्टर को कुछ नया दिखाना चाहते थे। जब मेरा ये वाला लुक फायनल हो गया और मैं दिल्ली में शूट करने गया तो वैनिटी वैन में बैठ कर फिर मैंने अपनी आवाज और संवाद अदायगी के बारे में सोचा। उस वक्त मुझे हबीब तनवीर  साहब की याद आई। मैंने उनकी तरह बोलना शुरू किया। मैंने तो उनको भोपाल में देखा भी है और उनके घर पर भी रूका हूं। मुझे उनके बारे में काफी जानकारी है। फिर मेरे दिमाग में पियूष मिश्रा भी आए। मैंने अपनी आवाज और बोलने के तरीका इन लोगों से प्रेरित होकर किया। पेश है नवाजुद्दीन से वेबदुनिया संवाददाता रूना आशीष की बातचीत। 
 
आपने कई तरह के रोल कर लिए हैं। आप अपने आप को अब किस तरह आंकते हैं? 
मैं कभी अपने आप को ग्लोरिफाई करके नहीं देखता कि मैं क्या था और अब क्या हो गया हूं। ये मायने नहीं रखता। मायने ये रखता है कि मैं क्या और किस तरह कर रहा हूं। जब मैं थिएटर करता था तो एक साथ 4-5 नाटकों की प्रैक्टिस करता था, क्योंकि रोज़ कोई ना कोई नाटक का प्रदर्शन रहता था। दिल्ली में था तो तब हम स्ट्रीट प्ले भी किया करते थे। औऱ आज भी ये लगता है कि अभी भी मैं वैसा ही कर रहा हूं। मुझे काम करने में मजा आता है। मैं क्या था, मेरी हालत कितनी खराब थी, मैं आज कहां आ या हूं, ये सब सोचने का समय नहीं है मेरे पास। 
 
लेकिन कैमरा तो आपको प्यार करता है। 
मुझे पहले भी ये बात कुछ लोग कह चुके हैं। सबसे पहले मुझे ये बात श्याम बेनेगल साहब ने बोली थी औऱ बाद में जेम्स वॉटकिन नाम के एक निर्देशक ने कहा था। ये बाहर के निर्देशक हैं औऱ उनके साथ मैं एक सीरिज़ कर रहा हूं। शायद ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि मैं जब कैमरा पर होता हूं तो बहुत ईमानदार हो जाता हूं। असल ज़िंदगी में तो आप तोड़-मरोड़ करते रहते हैं, झूठ बोलते हैं, लेकिन कैमरे के सामने आता हूं तो मुझे लगता है कि जो कैरेक्टर का अंदरूनी सच है वो सामने आना चाहिए। वो एक मिनिट या पांच सेकेंड का शॉट है यहां आप ब्रूटली न्यूड हो जाओ। 
मुन्ना मायकल में आपने टाइगर के सामने डांस किया है? 
टाइगर तो बहुत ही बेहतरीन डांसर है और अगर मैं उसके मुकाबले 1-2 प्रतिशत भी कर सका तो मेरे लिए बहुत ही बड़ी बात होगी। वैसे आप चाहें तो मुझे सनी देओल की श्रेणी में रख दें तो अच्छा होगा। मुझे तो वे भी बहुत अच्छे लगे। अगर उनसे नीचे की श्रेणी में भी आप मुझे रख सकते हैं। 
 
श्रीदेवी के बारे में क्या कहेंगे?  
मैं उन्हें परफॉर्मर के रूप में याद करता हूं। उनकी कमर्शियल फिल्म हो या आर्टिस्टिक, उनकी परफॉर्मेंस में बहुत छोटी-छोटी डिटेलिंग्स होती हैं, जो बहुत अमेज़िंग बात है। चाहे सदमा हो, चांदनी हो,  चालबाज़ हो। आप जिन एक्टर्स को देख कर बड़े होते हैं औऱ एक दिन वो आपके सहकलाकार बन जाते हैं तो एक-दो सेकंड के लिए झटका तो लगता है। लेकिन उनके साथ अभिनय करते समय ये बातें साइड में रखना होती है। मेरे साथ जब वे 'मॉम' में थीं तो वे श्रीदेवी नहीं बल्कि वो किरदार थीं जो वे निभा रही थीं। अगर ये बात न हो तो लगता है कि मैं करप्ट हो गया हूं। 
 
अब तो आपको हॉलीवुड फिल्म भी करना चाहिए। 
क्यों? मैं जब अपने देश की फिल्में कर रहा हूं तो बहुत गर्वित होता हूं। ये ठप्पा मुझे नहीं चाहिए। मेरे अंदर कैलिबर है तो वो आएं मैं क्यों जाऊं? कई साल पहले दिलीप कुमार साहब को लॉरेंस ऑफ अरेबिया में पीटर ओटूल के बराबर का रोल दिया जा रहा था। उन्होंने कहा कि मैं तो मुख्य भूमिका करूंगा। ये साहस है हमारे पास आज? हमें हॉलीवुड में कुछ मिल जाए तो हम सब कुछ करने के लिए तैयार हो जाते हैं। यानी हम पहले से ही स्वीकार कर चुके हैं कि हिंदी फिल्में कमतर हैं।