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सलाद के कारण मिली फिल्म 'एक हसीना थी, एक दीवाना था': नताशा फर्नां‍डीस

सलाद के कारण मिली फिल्म 'एक हसीना थी, एक दीवाना था': नताशा फर्नां‍डीस - Ek Haseena Thi Ek Deewana Tha, Natasha Fernandez, Sunil Darshan
5 फुट 8 इंच लंबी खूबसूरत हसीना नताशा फर्नांडीस वेटरन फिल्म मेकर सुनील दर्शन की फिल्म ‘एक हसीना थी, एक दीवाना था’ से बॉलीवुड में अपने कदम रख रही हैं। एक मध्यमवर्गीय परिवार से निकली नताशा के हौसले काफी बुलंद हैं। उसे एक्शन पसंद है। पेश है इस चुलबुली अभिनेत्री से बातचीत के अंश... 


 
इस फिल्म के जरिए बॉलीवुड में आपकी धमाकेदार एंट्री हुई है, कितनी एक्साइटेड हैं आप?
 इतनी ज्यादा कि मैं बता नहीं सकती। बस यही सोच रही हूं कि कब फिल्म रिलीज हो और लोग अपना रिस्पॉन्स दें कि उन्हें मेरा काम कैसा लगा!
 
क्या आप बचपन से ही फिल्मों में आना चाहती थीं?
जी हां, मैंने स्कूल और कॉलेज में काफी ड्रामा और प्लेज किए हैं। एक्टिंग का कीड़ा बचपन से ही था और सोचती थी कि आगे चलकर फिल्मों में काम करूंगी। अब यह सपना सच हो गया। 
 
आप मध्यम वर्ग परिवार से आती हैं, क्या आपको परिवार का पूरा सपोर्ट मिला?
डैड को समझाना काफी मुश्किल था। मैंने शुरू में 'मिस इंडिया' के लिए तैयारी भी की थी, पर उन्होंने मना कर दिया था। मुझे डर था कि इस बार भी कुछ ऐसा ही हो सकता है, पर आखिर में वे मान गए।
 
कैसे मिला आपको यह बिग ब्रेक?
सलाद के कारण। क्रेडिट गोज टू सलाद।
 
क्या मतलब? सलाद से इस फिल्म का क्या संबंध?
वो ऐसे कि बांद्रा के एक रेस्टॉरेंट में मैं अपनी फ्रेंड का बर्थडे सेलिब्रेट कर रही थी। थोड़ी दूर पर सुनीलजी (सुनील दर्शन) बैठे मेरी हरकतों को देख रहे थे। मैं अपनी सहेलियों के साथ मौज-मस्ती के मूड में थी। उन्हें सलाद का महत्व बता रही थी। फिर सुनीलजी ने मुझे अपने पास बुलवाया और सीधे पूछा कि क्या मैं फिल्म में काम करना चाहूंगी? बाद में उन्होंने बताया कि उन्होंने मुझ में हंड्रेड लुक्स देखे थे। मैं उन्हें जानती तक न थी फिर परिचय हुआ तो मुझे पता चला कि मैं एक बहुत बड़े मेकर के सामने खड़ी हूं और यह किसी सपने के सच होने जैसा था। मैंने उनकी 'लुटेरे' और 'जानवर' फिल्में देखी थीं। मैं तो घर जाकर रोने लगी। 2 घंटे किसी से कुछ बोली नहीं। फिर मैंने मां को बताया कि मां मुझे फिल्म मिली है तो वे चौंक गईं। 
 
यानी आपको बड़ी आसानी से यह फिल्म मिल गई।
नहीं, यह इतना आसान नहीं था। अभी तो डैड को राजी करना था, जो काफी मुश्किल था। जब मैंने उन्हें बताया तो वे चाय पी रहे थे। उन्होंने अपना कप नीचे रख दिया और मुझसे बात बंद कर दी। मां का सपोर्ट था मुझे, पर डैड नहीं चाहते थे कि मैं एक्टिंग करूं लेकिन मैंने उन्हें काफी मशक्कत के बाद मना ही लिया। फिर डैड यहां आए और सुनीलजी के साथ 2 घंटे तक उनकी मैराथन मीटिंग चली, तब तक मेरे दिल की धड़कन काफी बढ़ चुकी थी। 
पहली बार कैमरे को फेस करते वक्त कैसा महसूस हुआ?
इसकी काफी तैयारी हुई थी। मैं सुनीलजी के सामने एक ब्लैंक कैनवास थी। उन्होंने मेरे टैलेंट को निखारा उसे पॉलिश किया। 2 महीने का हमारा वर्कशॉप हुआ। सरोज खान ने डांस सिखाया। एक्टिंग का कीड़ा तो पहले से था ही।
 
इस फिल्म में आपकी क्या भूमिका है?
आपको एक बात बताऊं। इस फिल्म में भी मेरा स्क्रीन का नाम 'नताशा' ही है। नताशा बहुत हसीन है। ऑनेस्ट है। आज की लाइफ और प्यार में सब कन्फ्यूज होते हैं, पर ये नताशा दिल से सोचती है। 
 
किस तरह की भूमिकाएं करना आपको ज्यादा पसंद है?
झे एक्शन रोल पसंद है, पर मेरा एक ड्रीम है कि कोई प्रिंसेस डायना पर फिल्म बनाए और मैं उसमें लीड रोल करूं। 
 
बॉलीवुड में आपका पसंदीदा एक्टर कौन है?
बचपन से ही बिग बी की बड़ी फैन हूं। उनकी फिल्म 'पिंक' मुझे बहुत पसंद आई। मैं जया बच्चन की भी फैन हूं। वैसे एक राज की बात बताती हूं, एक आशा है कि कोई मुझे बिग बी या ऐश्वर्या बच्चन के साथ कास्ट करे। 
 
आजकल बॉलीवुड में सफल होने के लिए एक्सपोज करना ही पड़ता है, आपकी क्या राय है?
होता होगा। देखिए, सिनेमा एक मैसेज है। उसे अच्छे कपड़ों के साथ भी तो किया जा सकता है। टैलेंट को एक्सपोज की जरूरत नहीं पड़ती। 
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