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अलोन में पहली बार भूत बनी हूं : बिपाशा बसु

अलोन में पहली बार भूत बनी हूं : बिपाशा बसु - Alone, Bipasha Basu
अलोन नामक एक और हॉरर फिल्म बिपाशा बसु की रिलीज होने जा रही है जिसमें वे डबल रोल में हैं। क्यों करती हैं बिपाशा इतनी हॉरर फिल्म? क्या बिपाशा भूत-प्रेत पर यकीन करती हैं? क्या बिपाशा डरती हैं? पेश है बिपाशा से इन सवालों के जवाब। 
आपको हॉरर फिल्मों के लिए लकी माना जाने लगा है?
अच्छा! यह तो मुझे भी पता नहीं, मगर फिल्म 'अलोन' हम सभी के लिए लकी हो जाए तो अच्छा होगा। मगर हम 'लकी' कहकर कलाकार की मेहनत को नजरअंदाज कर देते हैं। 'लकी' शब्द का उपयोग होते ही हमारी सारी मेहनत पानी में चली जाती है। मेरा मानना है कि कलाकार के तौर पर 'हॉरर' फिल्म में हमें परफॉर्म करने का बेहतरीन मौका मिलता है। अलग-अलग तरह के चरित्र लिखे जाते हैं। हॉरर फिल्मों के पात्र हमेशा रोचक होते हैं। खासकर हीरोइनों को अच्छे किरदार निभाने के मौके मिलते हैं। 
 
'अलोन' में तो आपकी दोहरी भूमिका है?
फिल्म 'अलोन' में मेरी सिर्फ दोहरी भूमिका ही नहीं है। मैंने इसमें अंजना और संजना नामक ऐसी जुड़वां बहनों का किरदार निभाया है, जो कि शारीरिक रूप से जुड़ी हुई हैं जबकि दोनों में बहुत अंतर भी है। फिल्म के चलते-चलते बीच में ऑपरेशन से दोनों अलग भी की जाती हैं, पर उसमें से एक संजना जिंदा रहती है तथा अंजना की मौत हो जाती है। अंजना और संजना बचपन से एक ही पुरुष कबीर (करण सिंह ग्रोवर) से प्यार करती आ रही हैं। इस वजह से इस फिल्म के अंदर बहुत-सी चीजें करनी पड़ीं। शूटिंग के दौरान हमेशा मुझे बॉडी डबल के साथ जुड़े रहना पड़ता था। कभी दाहिनी तरफ, तो कभी बाईं तरफ बॉडी डबल होती थी। पहले संजना बनकर मैं सीन की शूटिंग करती थी। उसके बाद पूरा मैकअप बदलकर अंजना बनकर शूटिंग करती थी। हर बार बॉडी डबल मेरे साथ चिपकती थी। इस हिसाब से इस फिल्म की शूटिंग करना मेरे लिए बहुत नया अनुभव रहा। इसी के साथ मैं पहली बार भूत बनी हूं अन्यथा अब तक तो मैं भूतों से डरने वाली बना करती थी। निजी जिंदगी में मैं डरती जरूर हूं, मगर मुझे लोगों को डराना आता नहीं है। 
 
तो फिर पर्दे पर डर पैदा करना कहां से सीखा?
सच कहूं तो मैं बचपन से बहुत डरती आ रही हूं। मुझे बहुत डर लगता है। मैं रोज डरती हूं। मैं जिम में ट्रेड मिल पर दौड़ती हूं, पर मुझे डर भी लगता है। अपने इस डर को भगाने के लिए मैंने बहुत कोशिश की, पर भगा नहीं पाई। जहां तक पर्दे पर लोगों को डराने का सवाल है तो यह ईश्वर प्रदत्त है। मेरा मानना है कि जो भावनाएं आपके अंदर होती हैं, उन्हें आप बेहतर तरीके से पर्दे पर दिखा सकते हैं। डर हो या कोई दूसरा इमोशन हो, उसे जितना आप महसूस करेंगे, उतना ही पर्दे पर दिखा सकेंगे। मैं बहुत डरती हूं इसलिए लोगों को पर्दे पर डरा सकती हूं, पर निजी जिंदगी में मैं किसी को डरा नहीं पाती, क्योंकि मैं खुद ही डरपोक हूं। इस कारण इस किरदार को निभाना मेरे लिए बहुत कठिन था। एक तो एक-दूसरे से जुड़ी हुई बहनों का ही किरदार निभाना ही कठिन था। एक ही फिल्म के लिए एक ही दिन में दो किरदारों को निभाना बहुत मुश्किल होता है। उसके बाद भूत बनना भी मुश्किल होता है। तो मेरे लिए फिल्म 'अलोन' में अभिनय करना बहुत चुनौती थी। पर मुझे लगता है कि 14 साल तक अभिनय करने के बाद जब हम खुद कुछ अलग करने की कोशिश करते हैं तो मजा आता है। 

क्या वजह है कि आप ज्यादातर हॉरर फिल्में ही कर रही हैं?
इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि मेरे पास सुपर नेचुरल पॉवर वाली स्क्रिप्ट के ही ऑफर आते हैं। मेरे पास जो ऑफर आते हैं, उन्हीं में से मैं कुछ चुनती हूं।
 
क्या आप निजी जिंदगी में भूत-प्रेत सुपर नेचुरल पॉवर में यकीन करती हैं?
मुझे पता नहीं। पर इस ढंग की चीजें होती होंगी तभी तो इतनी कहानी बनती है।

'अलोन' को करने की खास वजह क्या रही?
मेरे लिए 'अलोन' सिर्फ हॉरर फिल्म नहीं है। मैंने इस फिल्म में इसलिए अभिनय किया, क्योंकि लंबे समय से मैंने किसी प्रेम कहानी वाली फिल्म में अभिनय नहीं किया था। 'अलोन' एक प्रेमकहानी वाली फिल्म है। यह एक त्रिकोणीय पैशिनेट प्रेमकहानी है जिसमें पति-पत्नी के अलावा एक प्रेत आत्मा है, जो कि जब वह जिंदा थी, तब पत्नी की बहन थी। इस फिल्म में बहुत ही यथार्थपरक तरीके से पति-पत्नी के रिश्ते और उनकी जिंदगी का चित्रण किया गया है। संजना और कबीर महज पति-पत्नी नहीं हैं, बल्कि पैशिनेट लवर भी हैं। इस वजह से इस फिल्म को करना मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती थी। सच कहूं तो मुझे रॉम-कॉम वाली फिल्में पसंद नहीं आती हैं। वे मुझे बहुत अविश्वसनीय लगती हैं। 
 
करणसिंह ग्रोवर को लेकर क्या कहेंगी?
उसके अंदर बहुत टैलेंट है। वह फिल्मों में हीरो बनने योग्य है। वह इमोशनल किरदारों को बड़ी संजीदगी के साथ निभाता है। फिर टीवी में उसने 10 साल काम किया है, तो उसके पास अनुभव है। मुझे पता चला है कि उसके प्रशंसकों की संख्या बहुत ज्यादा है।

करणसिंह ग्रोवर के साथ इंटीमेट सीन करना कितना सहज रहा?
करण बहुत बक-बक करता है। ऐसे कलाकार के साथ हर सीन करना आसान हो जाता है। ऐसे में दो कलाकार आपस में बहुत जल्दी कम्फर्टेबल हो जाते हैं। करण तो हर चीज का फन बनाता रहता था।
 
फिल्म 'अलोन' के निर्देशक भूषण पटेल को लेकर क्या कहेंगी?
वे ऑलराउंडर डायरेक्टर हैं। सिर्फ हॉरर ही नहीं, बल्कि हर तरह के जॉनर की फिल्में निर्देशितकर सकते हैं। उन्होंने इस फिल्म में इमोशनल सीन को भी बहुत बेहतर तरीके से फिल्माया है। मजेदार बात यह है कि वे खुद भी अभिनय करके सीन के बारे में समझाते हैं।