दांव-पेंच सीख गई नरगिस फाखरी
रॉक स्टार (2011) के लिए इम्तियाज अली ने नरगिस फाखरी को साइन किया तो लगा कि बॉलीवुड को एक ऐसी नई हीरोइन मिल गई है जो तेजी से तेजी आगे बढ़ेगी। रॉक स्टार का प्रदर्शन बॉक्स ऑफिस पर उम्मीद से कम रहा। इसके बावजूद रणबीर कपूर को फिल्म से फायदा मिला, लेकिन नरगिस को भूला दिया गया। इम्तियाज अली ने भी बाद में स्वीकारा कि नरगिस को रॉक स्टार के लिए चुनना उनकी भूल थी। नरगिस का करियर डांवाडोल हो गया। विदेश से आई इस लड़की का ना यहां कोई दोस्त था और न ही वे भाषा तथा संस्कृति से परिचित थीं। लिहाजा नरगिस का करियर ठहर-सा गया। नरगिस बॉलीवुड के नियम-कायदों से परिचित भी नहीं थीं। यहां काम पाने के लिए फिल्म पार्टियों में शिरकत करना होती है। लोगों से मेल-मिलाप बढ़ाना होता है। नरगिस का मिजाज अलग है। कम बोलने के साथ-साथ लोगों से कम घुलना-मिलना भी उनके करियर के लिए घातक सिद्ध होने लगा। नरगिस ने यह बात समझ ली और सबसे पहले उन्होंने हिंदी सीखना शुरू किया ताकि लोग क्या कह रहे हैं वे समझ सकें। ऐसे वक्त उन्हें सुजीत सरकार की 'मद्रास कैफ' का ऑफर मिला। इस फिल्म के लिए चुनी गई हीरोइन ने फिल्म अंतिम समय पर छोड़ दी। ताबड़तोड़ हीरोइन की तलाश शुरू की गई। यह एक विदेशी लड़की का किरदार था। नरगिस फुर्सत में थी और रोल भी उन पर सूट कर रहा था। लिहाजा नरगिस को मौका मिल गया। 'मद्रास कैफ' न केवल बॉक्स ऑफिस पर सफल रही बल्कि नरगिस ने भी सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। फिल्म समीक्षकों को नरगिस का अभिनय पसंद आया। नरगिस फाखरी के आत्मविश्वास को मद्रास कैफे ने बढ़ाया और काम में रूचि पैदा की। कमर कस ली कि वे अब बॉलीवुड में अपनी छाप छोड़ेगी। कैटरीना कैफ का उदाहरण उनके सामने था कि जब वे हिंदी न आने के बावजूद अपनी मेहनत के बल पर हिंदी सीख बहुत आगे जा सकती हैं तो वे क्यों नहीं? अब नरगिस हिंदी अच्छी तरह समझ लेती हैं और लोगों से घुलने-मिलने भी लगी हैं।