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प्रियंका चोपड़ा... ऐसी विदेशी 'बेवॉच' से तो देसी फिल्में भली

प्रियंका चोपड़ा... ऐसी विदेशी 'बेवॉच' से तो देसी फिल्में भली - Priyanka Chopra, Baywatch, Hollywood
पिछले कुछ महीनों में प्रियंका चोपड़ा के मुंह से 'क्वांटिको' और 'बेवॉच' नाम ही सबसे ज्यादा निकले हो। बेवॉच की हवा उन्होंने ऐसी बना दी मानो कोई महान फिल्म आने वाली हो या प्रियंका‍ फिल्म का सेंट्रल कैरेक्टर हो। समझने वाले तो समझ ही गए थे कि जितनी हवा ये बॉलीवुड वाले अपनी हॉलीवुड वाली फिल्मों की बनाते हैं, मामला उससे विपरीत होता है। पहले भी कई बार ऐसा हो चुका है। इसलिए जानकार लोग मानकर बैठे थे कि 'बेवॉच' में प्रियंका का रोल ज्यादा लंबा नहीं होगा और वे गलत साबित नहीं हुए। 
 
बेवॉच में प्रियंका 'विलेन' हैं। ज्यादातर 'बीच' पर फिल्माई गई इस फिल्म में वे बीच-बीच में आती रहती हैं ताकि दर्शकों को याद रहे कि वे भी फिल्म में हैं। रोल दमदार नहीं है। यदि ऐसा रोल लेकर कोई हिंदी फिल्म निर्माता प्रियंका के पास जाता तो बाहर का रास्ता दिखाने में वे देर नहीं लगाती। आखिर प्रियंका को इस रोल में ऐसा क्या नजर आया कि उन्होंने हामी भर दी। बहुत ज्यादा समय भी खर्च किया। इतने समय में तो वे दो बॉलीवुड फिल्म कर सकती थी और वो भी दमदार रोल के साथ। 
 
प्रियंका ने शायद यह सोच कर भी 'बेवॉच' साइन की हो कि यह फिल्म ब्लॉकबस्टर हो जाएगी। हजार करोड़ कमाएगी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम होगा, लेकिन 'बेवॉच' इस कसौटी पर भी खरी नहीं उतरी। स्क्रिप्ट सुन कर ही समझ में आ जाता है कि फिल्म का हश्र क्या होगा। 
 
प्रियंका ने जब हॉलीवुड की उड़ान भरी तब बॉलीवुड में उनका करियर शिखर पर था। न केवल उनकी फिल्में हिट हो रही थीं बल्कि उनके लिए रोल भी लिखे जा रहे थे। यह मौका हर किसी को नहीं मिलता। हॉलीवुड के मोह में उन्होंने बॉलीवुड छोड़ दिया। हॉलीवुड से उन्होंने जो उम्मीद पाल रखी थी उससे कम ही उनको मिला। 
 
हॉलीवुड भारतीयों की कमजोरी है। यहां के ज्यादातर कलाकार हॉलीवुड वालों को अपने से श्रेष्ठ मानते हैं। शायद यह गोरे रंग के प्रति मोह भी हो सकता है। वर्षों की गुलामी का नतीजा भी हो सकता है। यही कारण है कि गोरों की फिल्मों में तुच्छ रोल करने के लिए ये कलाकार तैयार हो जाते हैं। 
 
अमिताभ बच्चन और शाहरुख खान जैसे सितारें कभी इस मोहजाल में नहीं फंसे। वे अच्छे रोल का ही इंतजार कर रहे हैं। यदि मिला तो करेंगे नहीं तो बॉलीवुड में क्या बुराई है। अब तो बेहतरीन फिल्में बन रही हैं। करनी हो तो ओम पुरी ने जिस तरह की फिल्में की वैसी करो। दो दर्जन से ज्यादा अंग्रेजी फिल्मों में भारत के इस श्रेष्ठ कलाकार ने दमदार रोल निभाए। 
 
'बेवॉच' के जरिये प्रियंका को कुछ हाथ नहीं आया।