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Written By समय ताम्रकर
Last Updated : सोमवार, 10 नवंबर 2014 (14:38 IST)

हैप्पी न्यू ईयर और अभिषेक बच्चन

हैप्पी न्यू ईयर और अभिषेक बच्चन -
हैप्पी न्यू ईयर के पहले शो से ही जिस शख्स को सबसे ज्यादा फायदा मिला, वो हैं अभिषेक बच्चन। फिल्म पसंद आई या न आई, दर्शकों को अभिषेक का अभिनय जरूर पसंद आया। अभिषेक के कई दृश्यों पर दर्शक हंसते हैं, तालियां पीटते हैं। उनकी कॉमिक टाइमिंग की सभी सराहना कर रहे हैं। 
 
'हैप्पी न्यू ईयर' ने अभिषेक के करियर के वृक्ष को थोड़ा बहुत खाद-पानी दे दिया है। इसका ये मतलब भी नहीं है कि अभिषेक को लेकर निर्माता सौ करोड़ रुपये की फिल्म बनाने का साहस करेंगे। उनको सोलो हीरो लेकर फिल्म बनाना अभी भी जोखिम भरा है। हां, स्टार्स के साथ वे खप जाएंगे। बड़े सितारों की छाया में खड़े रहकर उन्होंने 'बोल बच्चन', 'धूम 3' और 'हैप्पी न्यू ईयर' जैसी फिल्में की हैं। अब वे निर्माता-निर्देशक अभिषेक को लेने के लिए उत्साहित रहेंगे जिनमें स्टार के समानांतर खास भूमिका में अभिषेक फिट हो। धूम 3 और बोल बच्चन की सफलता भी अभिषेक के लिए फायदेमंद इसलिए नहीं हुई क्योंकि दर्शकों ने उन्हें विशेष पसंद नहीं किया था, लेकिन 'हैप्पी न्यू ईयर' में उनके अभिनय को पसंद किया गया है। 
अभिषेक ने नंदू भिड़े और विक्की नामक डबल रोल किए हैं और दोनों में हास्य का पुट है। वे कॉमेडी दृश्यों में बेहद सहज नजर आए। वैसे भी अभिषेक अपने अच्छे सेंस ऑफ ह्यूमर के लिए जाने जाते हैं। शायद इसी वजह से उनमें नैराश्य का भाव उत्पन्न नहीं हुआ क्योंकि उनके घर में सिवाय उनके सभी अपने करियर में सफल रहे हैं। अपने माता, पिता और पत्नी की सफलता के आगे अभिषेक खुद को कमतर मानते होंगे, लेकिन इस अहसास को उन्होंने मजाक में उड़ा कर अपने पर हावी नहीं होने दिया है। अक्सर सफल कलाकार के भाई-बहन पर इसका असर होता है। आमिर खान की सफलता का बुरा असर भाई फैसल खान पर पड़ा। दूसरी ओर अनूप कुमार के दोनों भाई अशोक और किशोर अपने-अपने क्षेत्र में बेहद सफल थे, लेकिन अनूप ने इस बात को अपने पर हावी नहीं होने दिया।
 
सन् 2000 में अभिषेक ने 'रिफ्यूजी' से फिल्मों में कदम रखा था। सुपरस्टार के बेटे होने का उन पर बहुत ज्यादा दबाव था। इस अपेक्षा को कैसे बर्दाश्त करा होगा ये वे ही बेहतर जानते होंगे। फिल्मों के फ्लॉप होने पर उनकी खिल्ली कुछ ज्यादा ही उड़ाई गई होगी। सुपरस्टार के बेटे होने के फायदे हैं तो नुकसान भी हैं। तीन-चार वर्ष में ही अभिषेक को समझ में आ गया कि अपने पिता जैसी सफलता हासिल करना उनके बस की बात में नहीं हैं। सफलता जीन में नहीं मिलती है। लिहाजा उन्होंने प्रयास छोड़ दिए और अपनी सीमित प्रतिभा से समझौता कर लिया। ऐश्वर्या राय और अमिताभ के कारण वे लाइमलाइट में बने रहे और काम भी उन्हें मल्टीस्टारर फिल्मों में मिलता रहा। गुरु, सरकार, युवा, दोस्ताना और धूम जैसी फिल्मों से वे समय-समय पर चमक बिखेरते रहे। उन्होंने फिल्मों के अलावा खेलों की दुनिया पर भी अपना ध्यान केन्द्रित किया। कबड्डी और फुटबॉल में अपनी टीमों का उत्साहवर्धन करते दिखे। 'हैप्पी न्यू ईयर' में उन्हें जो प्रशंसा मिली है उससे एक बार फिर वे अभिनय और करियर के प्रति गंभीर हो सकते हैं। दर्शकों की सीटियां और तालियां ने उनके लिए टॉनिक साबित हो सकती हैं।