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Last Updated : बुधवार, 22 अप्रैल 2015 (14:31 IST)

5 आदतें जो रेप्यूटेशन को राख कर देंगी

5 आदतें जो रेप्यूटेशन को राख कर देंगी - work_habits_hate
हर दफ्तर में ऐसे लोग होते हैं, जिन्हें अधिकतर लोग नापंसद करते हैं। हम लोग काम के दौरान इस बात की चिंता करते रहते हैं कि कहीं कोई बड़ी गलती न हो जाए। लेकिन जिन लोगों को नापसंद किया जाता है, उन्हें उनके काम या गलतियों के कारण नापसंद नहीं किया जाता है।
आपकी रेप्यूटेशन को सबसे ज्यादा नुकसान उन आदतों या व्यवहार के छोट-छोटे पहलुओं से होता है जिन्हें अकसर लोग नजरअंदाज कर देते हैं। कई लोग झटके खाने के बाद इसे सीख जाते हैं। कई लोग कभी नहीं सीख पाते। बहरहाल लिंक्डइन इंफ्लूएंशर्स पर बीते हफ्ते इसी टॉपिक पर चर्चा हुई। हम दो विशेषज्ञों की राय को आपके सामने रखते हैं।
 
डॉ. ट्रेविस ब्रैडबेरी, टैलेंटस्मार्ट के प्रेसीडेंट : आप कितने भी प्रतिभाशाली क्यों न हों या फिर आप कितने भी निपुण क्यों न हों, कुछ ऐसे व्यवहार होते हैं जिनको लेकर लोगों का नजरिया आपके प्रति बदल सकता है और आपके व्यक्तित्व के नाकारात्मक पहलू को जाहिर कर सकता है। तो क्या हैं वो गलतियां? जानिए इन गलतियों में इतना बुरा क्या है?
 
1.बैकस्टैबिंग यानी पीछे से वार करना : किसी भी उद्देश्य से, अनजाने में या फिर जानबूझकर अपने सहकर्मी को धोखा देना बैकस्टैबिंग कहलाता है। दफ्तरों में ये खूब होता है और इससे दफ्तर में झगड़े भी खूब होते हैं। अकसर लोग किसी समस्या का समाधान खोजने के लिए उक्त व्यक्ति को बताए बिना, उससे ऊपर काम कर रहे व्यक्ति से संपर्क साधकर काम कराने की कोशिश करते हैं। लोग सोचते हैं कि ऐसा करने से संघर्ष किए बिना समस्या का हल निकाल आएगा, लेकिन इससे स्थिति और भी तनावपूर्ण हो जाती है।
 
2.गॉसिपिंग यानी पीठ पीछे बुराई करना : दूसरे लोगों के खिलाफ गॉसिप करते हुए लोग कई बार अति कर देते हैं। किसी दूसरे की खराबी के बारे में बात करते हुए हम बहुत ही नीचे गिर जाते हैं। जब उस व्यक्ति को इसका पता चलता है, जो कहीं न कहीं से पता चल ही जाता है, तो वह बहुत आहत हो जाता है। हम भूल जाते हैं कि गॉसिंपिंग हमें हर बार खासी निगेटिव व्यक्ति के तौर पर दर्शाती है। और, ये गारंटी से कहा जा सकता है।
 
3.अपने काम से नफरत : कामकाजी दफ्तर में कोई भी शख्स एक बात कभी सुनना पसंद नहीं करता है। वो बात है ये शिकायत या घोषणा करने कि आप जो काम कर रहे हैं, उससे कितनी नफरत करते हैं। ऐसा करने से आपकी नाकारात्मक छवि तो बनती ही है, साथ में आप पूरी टीम का मनोबल गिराते हैं। बॉस ऐसे लोगों की पहचान तुरंत कर लेते हैं और उनकी जगह टीम का उत्साह बढ़ाने वाले कर्मचारी को रख लेते हैं।
 
4.तेज गंध वाला खाना : अगर आप समुद्री जहाज में काम नहीं करते हैं, तो फिर तेज गंध के खाने से आपके सहकर्मी परेशान हो सकते हैं। अगर दफ्तर में खाना ले जाना हो तो इसका ध्यान रखें कि सहकर्मी इस पर एतराज न करें।
 
5.झूठ बोलना : कई बार झूठ बोलने की शुरुआत अच्छे उद्देश्य से होती है। लोग या तो खुद या फिर दूसरे को बचाने के लिए झूठ बोलते हैं। लेकिन झूठ की प्रकृति होती है कि वो तेजी से बढ़ता और फैलता है। जब सबको मालूम होता है कि आपने झूठ बोला था, तो फिर आप उसे वापस नहीं ले सकते।
 
अगले पन्ने पर पढ़िए क्लिंटन बूएल्टेर (संस्थापक हार्ड टू फिल डॉटकॉम) की तीन सलाह...
 

क्लिंटन बूएल्टेर, संस्थापक हार्ड टू फिल डॉटकॉम
 
अगर आप मेरी गलतियों से कुछ सीख पाते हैं तो आप लकी हैं। क्योंकि अनुभव से सीख लेना कई बार पीड़ादायक होता है। मैंने उन 12 चीजों के बारे में एक पोस्ट लिखी जो मैंने बहुत मुश्किल से सीखीं। मैंने बताया है कि नियोक्ता के तौर पर मुझसे क्या गलतियां हुईं और उन गलतियों को सुधारने में कैसे सालों लग गए। मेरे अनुभव से आप ये अहम बातें सीख सकते हैं।
1. दूसरों से खुलिए : आप अपने समय के 80 फीसदी हिस्से में यही सोचते हैं कि कोई दूसरा आपको किस तरह मूर्ख बनाएगा। इसे बंद कीजिए। संदेह करने और निराशावादी नजरिया अपनाने से बचें और दूसरे लोगों के साथ खुलिए। आप जिन लोगों की मदद करना चाहते हो और जिन से मदद लेना चाहते हो, अपने इर्द-गिर्द उन लोगों का नेटवर्क बनाएं, उनके लिए उपलब्ध रहिए।
 
2.कैयुएल अप्रोच रखिए : कॉलेज पास होने के बाद आप समझने लगते हैं कि आपसे उम्मीद की जाएगी कि स्टाइलिश तरीके से लिखें, बात करें। शायद हम ये भी सोचते हैं कि कॉर्पोरेट तौर-तरीके में भी ऐसा करना होता है। लेकिन आप अपनी बातचीत, ईमेल और रोजमर्रा के जीवन में कैयुएल रहें, बेतकल्लुफ रहें। आप अपने दोस्त या घर वालों से कॉर्पोरेट शैली में बात करते हैं? नहीं ना...आम तरीके से बात करते हैं। और आपको उनसे जवाब भी मिलता है। तो फिर, आप अपने ईमेल, संदेश, जवाब में कैयुएल टोन रखें। इससे लोगों से जुड़ना आसान होता है।
 
3. वर्क स्टेशन से कुछ देर के लिए उठें : काम करते समय तनाव में आना या फिर निराश होना आम बात है। जब आपके साथ ऐसा होने लगे तो वर्क स्टेशन को छोड़ दीजिए। वहां बैठे रहने से आप हर मिनट आपका चिढ़चिढ़ापन बढ़ेगा। आपको बिग पिक्चर यानी पूरा प्लान या पूरी तस्वीर तब ही समझ में आएगी जब आप उस समय कर रहे काम से अलग होंगे या ब्रेक लेंगे।
 
इसलिए काम छोड़ने का समय तय कीजिए और डेस्क छोड़ दीजिए। आप कहीं जाकर सुस्ताइए मत। इस समय का इस्तेमाल फोकस्ड होकर, तनाव और निराशा के कारणों को नजर डालने के लिए इस्तेमाल करें।