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Last Modified: गुरुवार, 21 मई 2015 (13:01 IST)

होटल लॉबी के दबाव में बेघर हुआ एक बाघ!

होटल लॉबी के दबाव में बेघर हुआ एक बाघ! - tiger_ustad_ranthambhaur
- नारायण बारेठ (जयपुर से)
 
कभी रणथंभौर के सूखे पतझड़ी जंगल के इलाक़े में उसकी दहाड़ गूंजती थी, अब वो एक अनजान से जंगली इलाके में अपनी खोई हुई बादशाहत तलाश रहा है।
वन्य अधिकारियों ने एक बाघ 'उस्ताद' (टी 24) को उसकी सल्तनत से बेदखल कर दिया है। इस बाघ पर नरभक्षी होने के आरोप के बाद रणथंभौर से दूर उदयपुर के निकट सज्जनगढ़ उद्यान में छोड़ दिया गया है। वन विभाग अपने इस फैसले को सही बता रहा है, जबकि वन्यजीव प्रेमी इसमें रणथंभौर की प्रभावशाली होटल लॉबी का दबाव देख रहे हैं।
 
जानकार कहते हैं कि अपने आकर्षक व्यक्तित्व और शिकारी अंदाज की पहचान वाले 'उस्ताद' को इंसान और बाघ के हितों के बीच टकराव की कीमत चुकानी पड़ी है। इस पर इंसानों पर लगातार हमले करते रहने का आरोप लगा है। वन विभाग के मुताबिक, 'इस बाघ के हमलों से अब तक चार लोग जान गवां चुके हैं।'
 
नरभक्षी होने का आरोप : विभाग के अनुसार, 'उस्ताद' ने बीती आठ मई को वन रक्षक रामपाल पर हमला कर दिया, इसमें वनरक्षक की मौत हो गई। रणथंभौर के वन अधिकारी सुदर्शन शर्मा कहते हैं, 'यहां उसकी मौजूदगी अब मानव जीवन के लिए खतरा बन गई थी। लिहाजा विशेषज्ञों की कमिटी की राय पर उसे बेदखल करना पड़ा है।'
 
उनके मुताबिक, 'इस इलाके में कई मंदिर हैं, श्रदालु आते जाते रहते हैं और उस्ताद उनके जीवन को संकट में डाल सकता था, लिहाजा उसे यहां से स्थानांतरित कर दिया गया है।'
 
सज्जनगढ़ में भी वन अधिकारी उसपर नजर रखे हुए हैं। हालांकि अभी तक 'उस्ताद' व्यवहार सामान्य बना हुआ है। लेकिन वन्यजीव प्रेमियों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। रणथंभौर क्षेत्र में गैर सरकारी संगठनों के एक समूह 'जन संवाद' के संयोजक हरिप्रसाद योगी कहते हैं, 'बाघ को होटल लॉबी के प्रभाव में बेदखल किया गया है।'
 
होटलों का जंगल : उसी इलाके के आलनपुर गांव के मूल निवासी योगी कहते हैं, 'बाघ और इंसान यहां सदियों से संग संग रहते रहे हैं, मगर पर्यटन उद्योग के कारण इंसान की आवाजाही इनकी मांद तक जा पहुंची है। इसीलिए वो अब निशाने पर हैं।'
 
वे कहते हैं, 'हर दिन कोई 120 वाहन सैलानियों को लेकर इस बाघों वाले इलाके में दाखिल होते हैं और फिर वीवीआईपी लोगों की गाड़ियां अलग से आती हैं। इससे बाघ के रोजमर्रा की जिंदगी में खलल पड़ता है।'
 
रणथंभौर में नेचर गाइड एसोसिएशन के प्रमुख यादवेन्द्र सिंह कहते हैं, 'रणथंभौर और उसके आस पास करीब सौ होटल बन गए हैं और हर साल ढाई लाख सैलानी यहां आते हैं।' यादवेंद्र सिंह के मुताबिक, 'बाघ अपने इलाके में मस्त घूमता है, न तो वो अन्य इलाके में दखल देता है और न ही अपने क्षेत्र में किसी का हस्तक्षेप सहन करता है।'
 
नरभक्षी होने पर सवाल : उनके अनुसार, 'मुझे नहीं लगता है कि उस्ताद नरभक्षी हो गया है। 'उस्ताद' ने बड़ी मुश्किल से अपना इलाका बनाया। वो बाघ है, शिकार उसकी फितरत है, लेकिन कभी दूसरे के घर नहीं गया, इंसान ने ही उसके घर में दखल की है।'
 
रणथंभौर के एक वन्य प्रेमी कहते हैं, 'वन रक्षक पर हमले की घटना के बाद उस बाघ को सैंकड़ों लोगों ने देखा है, उसने फिर किसी पर हमला नहीं किया।' वन्य प्रेमियों के अनुसार, उस्ताद के दो नर शावक अब भी रणथंभौर में हैं। उसकी गैर मौजूदगी में कोई दूसरा बाघ उन पर हमला कर सकता है।
 
करीब 392 वर्ग किलोमीटर के इलाके में फैले रणथंभौर को बाघों की बेहतरीन पनाहगाह माना जाता है। इस इलाके में नील गाय, चीतल, हिरण, लोमड़ी, बन्दर, जरख और चिंकारा जैसे जानवर पाए जाते हैं।