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Last Modified: शुक्रवार, 9 सितम्बर 2016 (11:14 IST)

अपनी शादी के टिकट बेचने का अनुभव...

अपनी शादी के टिकट बेचने का अनुभव... - sell tickets for your wedding
- दिव्या आर्य
 
भारत में शादी का मतलब है धूमधाम, गीत-संगीत, नाचना-खाना और बहुत सारे रीति-रिवाज़। शायद आप भी मानते हों कि कई दिन चलने वाली इन शादियों में परिवारवालों और दोस्तों के अलावा किसी की रुचि नहीं होगी। पर अब तीन औरतों ने मिलकर एक वेबसाइट तैयार की है, जहां शादी करने वाला जोड़ा अपनी शादी के सभी आयोजनों की टिकटें बेच सकता है। विदेशी सैलानी टिकट ख़रीदकर शादी देखने आ सकते हैं। यह किसी को पैसे कमाने का हल्का ज़रिया लग सकता है, और किसी को व्यवहारिक।
ज्वाइन माई वेडिंग (JoinMyWedding) नाम की इस वेबसाइट पर शादी की टिकटें बेचने वाले सबसे पहले जोड़े नम्रता और नितिन के लिए यह दूसरे देश के लोगों से रिश्ता बनाने का नायाब तरीका था। पर शादी के आयोजनों से पहले वो टिकट खरीदने वाले किसी सैलानी से नहीं मिले थे। सिर्फ ईमेल के ज़रिए उनसे संपर्क हुआ था।
 
नम्रता ने मुझे बताया, 'मुझे और नितिन को जब इस वेबसाइट के बारे में पता चला तो हमने फ़ौरन तय कर लिया कि इसका हिस्सा बनेंगे। लेकिन परिवार को समझाने में समय लगा।' नम्रता और नितिन, दोनों के परिवारवालों के मन में यही सवाल था कि अनजान लोगों को अपने इतने अहम कार्यक्रमों में कैसे शामिल कर लें?
 
नम्रता भी डर रही थीं, पर विश्वास करने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। बेंगलुरु में हो रही नम्रता और नितिन की शादी के तीन आयोजनों में पहला था मेहंदी और संगीत। मैं जब वहां पहुंची तो पाया कि वे कुछ-कुछ घबराए हुए थे, कुछ वैसी ही झिझक वहां आने वाले विदेशी सैलानियों में भी थी।
ऑस्ट्रेलिया की रूबिया ब्रॉन और स्पेन की ले गात्रे वहां आए किसी मेहमान को नहीं जानती थीं, लिहाजा वे सीधे मेहंदी लगवा रही नम्रता के पास जा पहुंचीं। ले ने कहा, 'किसी के आयोजन में ऐसे दाख़िल हो जाना बद्तमीज़ी सी लग रही है, पर हमारे लिए यह भारतीय संस्कृति को बेहतर जानने का अच्छा तरीका है।'
 
जैसा भारतीय शादियों में अक़्सर होता है, रूबिया और ले को बहुत सारा संगीत और नृत्य देखने को मिला। मेहंदी लगवाने और कुछ मेहमानों के साथ फ़ोटो खिंचवाने के बाद, पूरी तैयारी के साथ भारतीय लिबास में आईं ये दोनों इतना घुल मिल गईं कि आखिर में खुद भी डांस-फ्लोर पर थिरकने पहुंच गईं।
 
अगले दिन जब न्यूज़ीलैंड से लूक सिंकलेर और आयरलैंड से जेम्स टूहर और नीव केली रिसेप्शन पर पहुंचे तो उन्होंने जीन्स-शर्ट-स्कर्ट ही पहन रखा था। पर मेहमानों की तादाद ही इतनी ज़्यादा थी कि उस एक हज़ार की भीड़ में वो मिल से गए।
 
सैलानियों की तरह खाली हाथ पहुंचे जेम्स को सबसे पहले इसी ग़लती का अहसास हुआ। मुझसे कहा, 'अब यहां थोड़ा अजीब लग रहा है, सब तोहफे लेकर आए हैं और हम खाली हाथ, चलिए अब अपनी मुस्कान ही तोहफ़े के रूप में बांट लेंगे।'
पर इतना भर देने के लिए भी एक लंबी कतार में लगना ज़रूरी था। क़रीब 20 मिनट बाद बारी आई तो आख़िरकार नम्रता और नितिन से मुलाकात हुई। दो मिनट की मुलाकात, दुआ-सलाम, शुक्रिया कहा, तस्वीर के लिए मुस्कुराए और बस स्टेज से उतर गए। 
 
जब रिसेप्शन में एक हज़ार लोगों के साथ तस्वीर खिंचवानी हो तो दो मिनट से ज़्यादा कहां होते हैं। विदेशी सैलानी तीसरे यानी शादी के दिन अलग-थलग ना महसूस करें, इसके लिए नम्रता और नितिन के दोस्तों ने ही उन्हें अपने भारतीय लिबास एक दिन के लिए उधार दिए।
 
शादी की पूजा और बाकी रीति-रिवाज़ उन्हें समझ आएं, इसके लिए उनके साथ हर व़क्त वो दोस्त रहे। नम्रता ने बताया, 'ज्वाइन माई वेडिंग का हिस्सा आप तभी बनने की सोचें जब आपकी मदद करने के लिए दोस्त या भाई-बहन तैयार हों, सिर्फ़ हमारे चाहने से यह नहीं हो सकता था क्योंकि हम तो सारा व़क्त स्टेज पर हैं।'
 
और वो सारी मेहनत रंग लाई। ल्यूक ने कहा, 'मुझे इस पूरे अनुभव में यहां के लोग सबसे ज़्यादा पसंद आए क्योंकि उन्होंने आगे बढ़कर हमारा इतना ख़याल रखा।' तो क्या वो अपने देश में लौटकर अपनी शादी पर अनजान लोगों को टिकट बेचेंगे?
 
इस पर किसी भी सैलानी ने सीधे-सीधे हामी नहीं भरी। नीव ने कहा, "एक हज़ार लोगों में तीन अजनबी घुल-मिल जाते हैं पर हमारे यहां तो शादी पर 100 लोग ही आते हैं, तो थोड़ा अजीब हो सकता है।'
 
और नम्रता और नितिन का क्या? उन्हें इस पूरी कवायद से फ़ायदा मिला? अनुभव तो मिला, पर ज़्यादा पैसे नहीं। विदेशी सैलानियों के खाने, गाड़ियों और मिठाई वगैरह का खर्च निकालकर उन्हें क़रीब 14,000 रुपए ही मिले। पर वेबसाइट चलाने वालों का मानना है कि समय के साथ ये प्रोजेक्ट जोड़ों के पैसे कमाने और अपनी शादी और बेहतर तरीके से आयोजित करने का रास्ता बन सकेगा।
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