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Last Updated : गुरुवार, 24 सितम्बर 2015 (17:14 IST)

'पेशाब करने का हिंदू तरीका सबसे अच्छा'

'पेशाब करने का हिंदू तरीका सबसे अच्छा' - sanathan sanstha in MH
- शिवम विज (वरिष्ठ पत्रकार)
 
तर्कवादी गोविंद पानसारे की इस साल फरवरी में हुई हत्या के तार सनातन संस्था से जुड़ रहे हैं। संस्था के सदस्यों पर गोवा के एक चर्च के नजदीक बम विस्फोट करने का भी आरोप है। इस मामले में गिरफ्तार लोगों को बाद में रिहा कर दिया गया।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में केंद्र सरकार को संस्था पर प्रतिबंध लगाने के लिए लिखा था। कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए की केंद्र सरकार ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। सनातन संस्था अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार करती है। संस्था की वेबसाइट पर नजर डालने पर काफी दिलचस्प बातें दिखाई देती हैं। आप भी पढ़िए...
 
1. लंबे बालों वाले मर्द नपुंसक : 2014 को अपडेट किए गए एक लेख में सनातन साहित्य के हवाले से संस्था का कहना है कि औरतों के लिए छोटे बाल और मर्दों के लिए लंबे बाल रखना नुकसानदेह है। मर्दों के लंबे बाल रखने पर संस्था का कहना है, 'लंबे बाल चंचलता के प्रतीक हैं, इससे एक खास तरह की तरंगों का उत्सर्जन होता है जो वातावरण को दूषित करते हैं।'
 
लेख में कहा गया है, 'यह नकारात्मक ऊर्जा से पैदा होने वाले तनाव को दिखाता है। बाल से निकलने वाली एक खास तरह की तरंग के कारण शरीर में गर्मी पैदा होती है। इस गर्मी के कारण शुक्राणुओं की संख्या में गिरावट आती है।' हालांकि लेख में संन्यासियों और सिखों के लंबे बाल रखने को उचित ठहराया गया है।
 
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2.बाल में तेल लगाने से नजर तेज होती है : लिंक पर मौजूद लेख 'हेयर केयर' में संस्था बालों की देखभाल करने के तरीकों के बारे में बताती है। वे बालों में तेल लगाने की सलाह देते हैं और इसके फायदे गिनवाते हैं।
 
इनमें से एक फायदे का जिक्र करते हुए संस्था कहती है कि बालों में तेल लगाने से आपकी नजर तेज होती है। वे सबूत के तौर पर इस 'आध्यात्मिक अनुभव' से गुजर चुके लोगों के बारे में भी बताते हैं।
 
मिसाल के तौर पर रायगढ़, महाराष्ट्र के रहने वाले बलंवत पाठक की बात करते हैं। उनका कहना है, 'पिछले 15 सालों में मैंने कभी अपने बालों में तेल नहीं लगाया था। जब मैंने मराठी पवित्र लेख 'हेयर केयर' पढ़ा तो अपने बालों पर हर दिन तेल लगाना शुरू किया। तेल लगाने से पहले मैं तेल के साथ विभूति (पवित्र राख) मिलाता हूं और श्रीकृष्ण के चरणों में अर्पित कर प्रार्थना करता हूं कि बालों में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट कर दें।'
 
'इस तरह से पिछले दो महीनों से मैं तेल लगा रहा हूं। तेल लगाने के बाद सिर एक दम ठंडा हो जाता है। इस दौरान जब मैंने अपने चश्मे का नंबर चेक किया तो वे 0.5 कम हो गया था।'
 
3.तेल लगाकर भगवान के दर्शन : तेल लगाने के अनेक फायदे बताए गए हैं जिनमें भगवान का दर्शन मिलना भी शामिल है। गोवा की रजनी अपना अनुभव बताती हैं, 'तुलसी का तेल लगाने से मेरे आंखों की जलन दूर हो गई। जब मैंने तुलसी का तेल बालों में लगाना शुरू किया तो मेरे सिर के नस तनावमुक्त हो गए। मुझे लगा कि उन्हें मेरे शरीर से खींचकर बाहर निकाल दिया गया है।'
 
वो कहती हैं, 'जब मैंने तेल की शीशी खोली तो मुझे 'उसके अंदर श्रीविष्णु' के दर्शन हुए।' जब मैं अपने सिर में तेल लगाती हूं तो मुझे लगता है, 'सिर की सारी कोशिकाएं शांत हो गई हैं और मैं संतुष्ट हो गई हूं। इसके बाद मंत्रोच्चारण शुरू हो जाता है। जब मैं अपने बाल झाड़ रही होती हूं तो लगता है कि मेरे कंघे से नीली रोशनी निकल रही है।'
 
जब मैं अपनी अंगुली अड़हुल मिले नारियल तेल में डालती हूं तो मुझे 'लाल रंग में गणपति का एहसास' होता है।
 
अगले पन्ने पर चौथी दिलचस्प बात...
 
4.पेशाब करने का हिंदू तरीका सबसे अच्छा : खड़े होकर पेशाब करने का तरीका खराब होता है। वेबसाइट पर मौजूद एक लेख में इसका वर्णन किया गया है।
 
इसमें कहा गया है कि खड़े होकर पेशाब करने से रज-तम तरंगें इकट्ठा होकर नीचे पैर की तरफ बढ़ने लगती हैं। पैरों में नकारात्मक ऊर्जा इकट्ठा होने के कारण पाताल से निकलने वाली कष्टदायक तरंगें पैरों के रास्ते शरीर में तेजी से आ सकती हैं।
 
यह जमीन से जुड़ी काली शक्तियों के प्रवाह को भी सक्रिय कर देता है जो किसी आदमी के पूरे शरीर को रज-तम तरंगों से भर देता हैं। यह सारी बातें 'डेली कंडक्ट एंड द साइंस अंडरलाइंग इट्स एक्ट' लेख में कही गई हैं।
 
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5.टॉयलेट पेपर सात्विक नहीं है : वे बताते हैं कि शौच के बाद पेपर के बजाए पानी का इस्तेमाल करना क्यों बेहतर होता है। 'टॉयलेट पेपर सात्विक नहीं होते हैं। यह पृथ्वीतत्व के साथ जुड़ा होता है। इसलिए शौच के बाद ये मल में मौजूद पृथ्वीतत्व से जुड़े रज-तम तत्वों को नष्ट नहीं कर पाता।'
 
6.केवल हिंदू कपड़े ही पहने : सनातन संस्था के अनुसार कपड़े पहनने की जरूरत सिर्फ मौसम से बचने तक ही सीमित नहीं है। वेबसाइट की लिंक पर मौजूद एक लेख में कहा गया है, 'कपड़े पहनने का मकसद माया को अपने वश में रखकर ब्रह्म की अवस्था प्राप्त करना है।'
 
उनका कहना है कि कुर्ता-पायजामा पहनने से आपके शरीर के चारों तरफ एक अंडाकार (दिया के लौ की तरह) सुरक्षा कवच तैयार होता है, लेकिन पूजा के दौरान पहनी जाने वाली सिल्क या सूती धोती 'अधिक सात्विक' होती है। इस धोती से आपके चारों तरफ पैदा होने वाली सुरक्षा कवच गोलाकार होती है।
 
सात्विकता को सोखने वाले और उत्पन्न करने वाले कपड़ों की पूरी सूची इस वेबसाइट पर मौजूद है। सबसे अधिक सात्विक नौ गज की धोती और साड़ी को माना गया है।
 
दुपट्टा भी सात्विकता को सोख और उत्सर्जित कर सकता है लेकिन एक कंधे पर होने के मुकाबले यह दोनों कंधों पर होने पर अधिक सात्विकता फैलाएगा।
 
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7.कपड़े धोने का अध्यात्मिक कारण: साफ और गंदे कपड़े पहनने को लेकर संस्था की वेबसाइट पर एक पूरा लेख मौजूद है। यह लेख कहता है, 'इस्तेमाल किए गए, लेकिन धुले कपड़े में कपड़ों से निकलने वाली तेज तरंग के कारण पसीना होता है। गंदा कपड़ा शरीर में गर्मी पैदा कर सकता है।'
 
लेख में कहा गया है, 'गंदे कपड़ों पर ज्यादा मात्रा में धूल के जमा होने से सात्विकता का प्रवाह बाधित होता है।'
 
8. सूती से बेहतर सिल्क : सिल्क, सूती से बेहतर कपड़ा होता है, लेकिन सबसे अच्छा 'वल्कल (पेड़ की छाल से बना कपड़ा)' होता है। यह सलाह 'एक विद्वान' की तरफ से अंजली गाडगिल के माध्यम से दी गई है।
 
इस लेख में कहा गया है, 'वल्कल नकारात्मक ऊर्जा को काटता है और चैतन्य का प्रवाह करता है। यह आध्यत्मिक दृष्टिकोण से वल्कल पहनने के महत्व को दर्शाता है। यह संतों के सामर्थ्य और साथ ही साथ हिंदू धर्म के प्रभुत्व को भी दिखाता है।'
 
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9.धार्मिक शादी करने से चेहरा चमकता है : सनातन संस्था का कहना है कि रजिस्ट्रड शादी 'अध्यात्मिक तौर से व्यर्थ' है। रीति-रिवाज से की हुई शादी आपको अच्छा और सुंदर चेहरे वाला बना सकता है।
लेख में रंजना गाडेकर की शादी के बाद और शादी के पहले की तस्वीर दिखाई गई है। शादी के हफ्ते भर बाद की तस्वीर में उन्हें ज्याद चमकता हुआ दिखाया गया है।
 
अंत में 10वीं दिलचस्प बात...
 
10.नंगे होकर नहीं नहाना चाहिए : संस्था का कहना है कि किसी को भी नंगे नहीं नहाना चाहिए। नहाते वक्त अंडरगार्मेंट्स पहने रहना चाहिए। वो यह भी कहते हैं कि पालथी मार कर बैठकर नहाना चाहिए। सिर से लेकर पैर तक नहाते वक्तत श्लोक का उच्चारण करना चाहिए। नहाने के लिए पीतल के लोटे का इस्तेमाल करना चाहिए।
 
लेख का कहना है, 'जब आप पालथी मार कर नहाने के लिए बैठते हैं तो शरीर का ढांचा त्रिकोणात्मक बन जाता है। यह नहाने के दौरान सुरक्षात्मक आवरण बनाता है।'