रूसी संसद के ऊपरी सदन ने सीरिया में रूसी वायुसेना को हवाई हमले के लिए अपनी मंज़ूरी दे दी है। रूस के वरिष्ठ अधिकारी सर्गेई इवानोव के अनुसार सीरिया से सैन्य सहायता की अपील के बाद रूस ने ये फ़ैसला किया है।
इवानोव ने साफ़ किया कि सीरिया में थल सेना की तैनाती नहीं होगी, केवल वायुसेना ही वहां तैनात की जाएगी। रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने इसी हफ़्ते संयुक्त राष्ट्र में कहा था कि इस्लामिक स्टेट के ख़िलाफ़ हवाई हमले के बारे में रूस विचार करेगा।
पुतिन ने आईएस के ख़िलाफ़ एक वृहत आतंक विरोधी गठबंधन बनाने का सुझाव दिया था जैसा कि दूसरे विश्वयुद्ध के समय हिटलर के विरूद्ध मित्र राष्ट्रों ने गठबंधन बनाया था। सीरिया और इराक़ में आईएस के सैन्य ठिकानों पर अमेरिकी नेतृत्व में गठबंधन सेना पिछले एक साल से हवाई हमले कर रही है।
लेकिन राष्ट्रपति पुतिन के चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ इवानोव के अनुसार अमेरिका और फ़्रांस के ज़रिए सीरिया पर किए जा रहे हवाई हमले अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार नहीं हैं क्योंकि इसके लिए संयुक्त राष्ट्र या सीरियाई सरकार की कोई अनुमति नहीं है। इवानोव के अनुसार सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद ने आधिकारिक तौर पर रूस से सैन्य सहायता की अपील की है।
'राष्ट्रीय हित' : इवानोव ने कहा कि रूस अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए ऐसा कर रहा है। उनके अनुसार हज़ारों रूसी नागरिक आईएस में शामिल हो गए हैं और रूस लौटने के बाद ये लोग रूस के लिए एक ख़तरा बन सकते हैं।
इवानोव ने कहा कि ''ये न तो विदेश नीति के किसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए और न ही किसी इच्छा को पूरा करने के लिए किया जा रहा है जैसा कि हमारे पश्चिमी मित्र हम पर आरोप लगाते रहे हैं। ये सिर्फ़ और सिर्फ़ रूस के राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है।''
सीरिया में चल रहे युद्ध के बारे में अमरीका और रूस में एक लंबे समय से मतभेद रहे हैं। अमेरिका इस बात पर अड़ा हुआ है कि राष्ट्रपति असद को कुर्सी छोड़नी होगी। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इसी हफ़्ते संयुक्त राष्ट्र में कहा था कि ''इतने ख़ूनख़राबे'' के बाद अब युद्ध से पहले की स्थिति में नहीं लौटा जा सकता है।
'अमेरिका -रूस' : लेकिन पुतिन का कहना है कि चरमपंथियों से लड़ रही सीरियाई सरकार के साथ सहयोग नहीं करना 'बहुत बड़ी भूल' होगी। हाल के दिनों में बशर अल-असद के प्रति कुछ पश्चिमी नेताओं के रवैये में नरमी देखी जा रही है और वो इस बात के लिए तैयार हो रहे हैं कि राजनीतिक बदलाव के समय बशर सत्ता में बने रह सकते हैं।
पिछले चार साल से चल रहे युद्ध में अब तक ढाई लाख सीरियाई नागरिक मारे जा चुके हैं और दस लाख से ज्यादा लोग ज़ख़्मी हुए हैं। एक करोड़ से ज़्यादा लोग अपने घर छोड़ने पर मजबूर हुए जिनमें से लगभग 40 लाख सीरिया से बाहर जा चुके हैं। ज़्यादातर शरणार्थी यूरोप के देशों में जा रहे हैं।
कौन किसके साथ : राष्ट्रपति असद के समर्थकों और विरोधियों के अलावा आईएस के चरमपंथी भी इस लड़ाई में शामिल हैं। सीरिया में शुरू हुए गृहयुद्ध ने क्षेत्रीय शक्तियों के अलावा विश्व के दूसरे देशों को भी इसमें शामिल होने पर मजबूर कर दिया है।
ईरान, रूस और लेबनान के हिज़बुल्लाह बशर का समर्थन कर रहे हैं जबकि पड़ोसी मुल्क तुर्की, सऊदी अरब और क़तर के अलावा अमरीका, ब्रिटेन और फ़्रांस सुन्नी नेतृत्व वाले असद-विरोधी गुट का समर्थन कर रहे हैं।