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Last Modified: बुधवार, 13 जुलाई 2016 (13:05 IST)

बीबीसी संवाददाता का दक्षिण चीन सागर का दौरा

बीबीसी संवाददाता का दक्षिण चीन सागर का दौरा - light over south china sea
- रूपर्ट विंगफ़िल्ड हायस (बीबीसी संवाददाता)
 
पिछले साल बीबीसी संवाददाता विंगफ़िल्ड-हेज़ ने मछलीमार नौका में दक्षिणी चीन सागर की यात्रा की थी और वे दुनिया के ऐसे पहले पत्रकार बन गए थे, जिसने चीनी सरकार द्वारा कोरल रीफ़ पर नया टापू बनाने की गतिविधियों को नज़दीक से देखा।
कुछ दिन पहले उन्होंने इस इलाक़े की दोबारा यात्रा की, इस बार एक छोटे नागरिक विमान में। पर इस दौरान चीनी नेवी की ओर से उनके विमान को लगातार कड़ी चेतावनी मिलती रही। दक्षिणी चीन सागर में बिखरी प्रवालों, मूंगे की चट्टानों और रेतीली ज़मीनों का टुकड़ा बहुतायत में है। यहां पहुंचना काफ़ी मुश्किल है।
 
इनमें से कुछ पर वियतनाम, कुछ पर फ़िलीपींस और एक पर ताइवान का क़ब्ज़ा है, जबकि बाक़ी चीन के नियंत्रण में हैं। यहां जाने के लिए हमने बीजिंग से इजाज़त लेने की कोशिश की। फ़िलीपींस ने अपने एक 400 मीटर लंबे टापू पगासा से उड़ान भरने की इजाज़त दी। अंत समय में यह इजाज़त भी रद्द हो गई। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग मनीला आने वाले थे। हो सकता है कि फिलीपींस ऐसे समय किसी बखेड़े से बचना चाह रहा था।
पर बात बढ़ चुकी थी। चीन को पता चल चुका था कि हम ऐसा करने वाले हैं और लंदन में मेरे संपादक को चीनी दूतावास से फ़ोन आया। चीनी राष्ट्रपति आए और चले गए। हमें एक हफ़्ते और इंतज़ार करना पड़ा और आखिर बहुत मुश्किल से फ़िलीपींस ने हमें जाने की इजाज़त दी।
 
फ़िलीपींस के पलवान टापू की हवाई पट्टी पर एक इंजन वाले सेसना 206 विमान में हम पांच लोग थे- दो पॉयलट, एक इंजीनियर, मैं और कैमरामैन जीरो। हम लोग तनाव में थे और इसका कारण भी था। किसी ने अभी तक ऐसा नहीं किया था। यहां से हमें साढ़े तीन घंटे की यात्रा कर पगासा में ईंधन लेने रुकना था। यहां से हमारी योजना थी- चीन नियंत्रित मूंगे की चट्टानों के इलाक़े का चक्कर लगाना, जहां वह एक बड़ा हवाई और नेवी बेस बना रहा है।
 
वापसी में हम पगासा में फिर ईंधन के लिए रुकते और चीनी क़ब्जे वाले एक और इलाक़े मिसचीफ़ रीफ़ से होते हुए पलवान लौटते। मिसचीफ़ रीफ़ फिलीपींस से काफ़ी क़रीब है और यहां इसी साल बड़े पैमाने पर समंदर में ज़मीन बनाई जा रही है। यहां जाने के हमारे दो मक़सद थे। पहला, यह देखना कि किस पैमाने पर निर्माण कार्य चल रहा है, दूसरा, चीन की प्रतिक्रिया क्या है।
लॉ ऑफ़ द सी नामक संयुक्त राष्ट्र की संधि के अनुसार समंदर में डूबे किसी ढांचे (चट्टानें) पर स्वतंत्र तट के रूप में दावा नहीं किया जा सकता, और न इन पर बना कोई ढांचा ही इन्हें क़ब्जे में तब्दील कर सकता है। इस संधि में चीन भी शामिल है।
 
प्राकृतिक टापू पर मालिकाना हक़ वाला कोई देश इससे 12 नॉटिकल माइल दूर तक हवा और समंदर में अपना दावा कर सकता है। लेकिन किसी कृत्रिम ढांचे पर यह लागू नहीं होता है। इसलिए हम इस इलाक़े में उड़ान भरते हुए किसी अंतरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन नहीं कर रहे थे।
 
जब हम पगासा से चले, तो मेरा दिल तेज़ी से धड़क रहा था। आधे घंटे उड़ने के बाद मुझे खिड़की से नीले समंदर में पीले रंग की ज़मीन का एक टुकड़ा दिखा। मैंने जीरो को बताया कि यह गैवेन रीफ़ है, पिछले साल हम यहीं से नाव से गुज़रे थे।
 
तभी रेडियो पर एक आक्रामक चेतावनी आई, 'यह चीनी नेवी है। नानशुन रीफ़ के पश्चिम में एक अज्ञात सैन्य विमान। आप हमारी सुरक्षा को ख़तरे में डाल रहे हैं। ग़लतफ़हमी रोकने के लिए तुरंत इस इलाक़े से चले जाएं।'
 
हम वहां से दूर चले गए, पर चेतावनी आती रही, चीनी और अंग्रेज़ी दोनों में। हमने दक्षिण पश्चिम में फ़ियरी रीफ़ (चीनी भाषा में यांग्शू) का रुख किया। एक घंटे बाद हमें समंदर की सतह पर एक बड़ा सा ज़मीन का टुकड़ा दिखा। जैसे ही हम 20 नॉटिकल माइल्स दूर हुंचे, रेडियो पर फिर शोर शुरू हो गया। इस बार हमारे पॉयलटों की प्रतिक्रिया तत्काल हुई और उन्होंने जहाज दूसरी तरफ़ मोड़ लिया। और क़रीब जाने के लिए मैंने कैप्टन की खुशामद की लेकिन पहली चेतावनी से ही पॉयलट डर गए थे।
हम ईंधन के लिए पगासा लौटे और फिर मैंने कैप्टन को समझाया कि हम किसी क़ानून का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं, यह अंतरराष्ट्रीय वायु सीमा है। घंटों मनाने के बाद आखिर वो एक कोशिश और करने को तैयार हो गए।
 
हम फिर उड़े, इस बार फ़िलीपींस की ओर। ज़ल्द ही हम मिसचीफ़ रीफ़ (चीनी भाषा में मेइजी) से 12 नॉटिकल माइल दूर थे। पॉयलट विमान को 5000 फ़ुट की उंचाई तक ले आए। चेतावनी फिर शुरू हो गई। इस बार हमारे पॉयलट ने जवाब दिया, 'चीनी नेवी, यह फ़िलीपींस का एक नागरिक विमान है, जो यात्रियों को पलवान ले जा रहा है। यह सैन्य विमान नहीं बल्कि एक इंजन वाला नागरिक विमान है।'
 
लेकिन चेतावनी आती रही। इस बार 12 नॉटिकल माइल्स की दूरी बनाए रखते हुए हम इस नए टापू के उत्तर में चले गए। यहां से हम नीचे एक चौड़ी खाड़ी में ठहरे जहाज़ों को देख सकते थे। इस नई ज़मीन पर सीमेंट प्लांट और इमारतों की नीवें दिख रही थीं। हम यहां से चीन के उस रनवे को पहली बार साफ़-साफ़ देख सकते थे, जिसे वहां बनाया जा रहा है और जो फ़िलीपींस तट से महज़ 140 नॉटिकल माइल्स दूर है।
 
मैंने अंदाज़ा लगाया कि अगर यहां से एक चीनी लड़ाकू विमान उड़ान भरे, तो वह आठ से नौ मिनटों में फ़िलीपींस पहुंच सकता है। जब हम वापस फ़िलीपींस की ओर उड़े तो हमें संतोष था कि जिस काम के लिए आए थे वह सफलतापूर्वक पूरा हो गया।
 
जब हम वापस फ़िलीपींस की ओर उड़े तो हमें संदेश मिला। चीनी नेवी को संबोधित करने वाला ये ऑस्ट्रेलियाई नेवी का संदेश था। इसमें कहा गया था कि ऑस्ट्रेलियाई विमान इंटरनेशनल फ़्रीडम ऑफ़ नेविगेशन राइट्स के तहत उड़ान भर रहे हैं।
 
पिछले महीनों में अमेरिका ने भी दक्षिणी चीन सागर में ऐसी कई उड़ानें भरी हैं, जिनमें बी-52 बम गिराने वाले विमान भी थे। इनका मक़सद चीन को यह जताना है कि अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया चीन के बनाए इस कृत्रिम टापू को मान्यता नहीं देते। लेकिन चीन पहले से 12 नॉटिकल माइल सीमा लागू करने की कोशिश में है।
 
चीन ने नए तथ्य और आधार बनाने में क़ामयाबी हासिल कर ली है। वह एक नया रनवे, उच्च क्षमता वाला राडार स्टेशन और पोर्ट सुविधा बना रहा है। पिछले महीने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने मनीला में कहा था कि चीन को हर तरह के निर्माण तत्काल बंद करने और इलाक़े का सैन्यीकरण बंद करना चाहिए। लेकिन जो हमने सुना और देखा, उससे लगता है कि निश्चित रूप से अब बहुत देर हो चुकी है।
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