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Last Modified: सोमवार, 4 मई 2015 (14:58 IST)

'...तो पूरा स्कूल कब्रिस्तान में बदल जाता'

'...तो पूरा स्कूल कब्रिस्तान में बदल जाता' - Earthquake Nepal
- नितिन श्रीवास्तव (नेपाल से)

एक टूटी-फूटी सफेद रंग की इमारत के सामने कुछ बच्चे कागज बटोर रहे हैं। काठमांडू से चार घंटे की दूरी पर स्थित इस इमारत के सामने एक हफ्ते पहले बच्चों के कहकहे गूंजते थे और स्कूल की घंटियां बजती थीं।


बिखरे पड़े कागजों में कई बच्चों के पहचान पत्र भी हैं जिसमें से एक रमेश गुरुंग का कार्ड हमें पड़ा मिला। पूछने पर पता चला कि उनका परिवार अब शहर छोड़ कर जा चुका है।

काठमांडू से चार घंटे की दूरी पर है सिन्धुपाल चौक जिला, जिसके प्रमुख शहर चौतारा और इसकी स्कूली इमारत का दृश्य में पेश कर रहा हूं।

मातम सा माहौल : भूकंप के बाद से शहर में मातम सा माहौल है क्योंकि मलबों में से कम से कम 200 शव निकाले जा चुके हैं। निवासी अपने घरों से बाहर रह रहे हैं क्योंकि अधिकांश इमारतें गिर चुकी हैं और जो बच गईं हैं वे टेढ़ी हो चुकी हैं।

सुनसान गलियों से होकर गुजरने में डर लगता है क्योंकि बिजली के तार और खम्भे सड़क की ओर झुक गए हैं। सुलोचना नेपाल शहर के सेकंडरी स्कूल में टीचर हैं और भूकंप के दिन को याद कर भावुक हो जाती हैं।

वो बताती हैं, 'मेरे स्कूल में 1,000 बच्चे पढ़ते हैं और भगवान का शुक्र है उस दिन शनिवार था। नहीं तो पूरा स्कूल कब्रिस्तान में तब्दील हो जाता। लेकिन यकीन मानिए इतने दिनों में सिर्फ एक बार पीने का साफ पानी मिला है और राशन की कमी हो गई है। तमाम जगहों पर अजीब सी दुर्गन्ध आ रही है और गुमशुदा लोगों के बारे में डर लग रहा है।'

राहत की कोशिशें :  नेपाल में पिछले हफ़्ते आए भूकंप में मृतकों की संख्या 7000 से ज्यादा हो गई है और हजारों अभी लापता है। चारों तरफ तबाही का मंजर है, जबकि नेपाल सरकार ने भूकंप प्रभावित इलाकों में राहत पहुंचाने की कोशिश भी की है और दावे भी किए हैं।

बहुत से इलाकों में अभी न तो बिजली बहाल हुई है और न ही पीने का साफ पानी पहुंच सका है।

'सब कुछ नए सिरे से' :  किट मियामोटो एक अंतरराष्ट्रीय संस्था से जुड़े इंजीनियर हैं जिनका काम उन इमारतों का निरीक्षण करना है जिन्हे भूकंप से नुकसान पहुंचता है। हमारे साथ-साथ किट ने भी तीन ऐसे शहरों और कस्बों का दौरा किया जहां स्कूलों को भयानक नुकसान पहुंचा है।

किट मियामोटो ने बताया, 'मैं हैरान हूं कि नुकसान उस तरह का नहीं हुआ जैसा मैंने चीन के शिन्जियांग में देखा था। नेपाल में ज्यादातर नई इमारतें नियमों का उल्लंघन करतीं दिखी हैं और ये बहुत दुखद है। इस सब को दुरुस्त करने से काम नहीं चलेगा, सब कुछ नए सिरे से बनाना होगा।'