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Written By BBC Hindi
Last Modified: शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2014 (12:49 IST)

तूफान में कैसे बचा रहा गंजम का गांव?

तूफान में कैसे बचा रहा गंजम का गांव? - cyclone_odhisha
- संदीप साहू गंजाम, ओडिशा से

समुद्र के किनारे रहने वाले मछुआरे तूफान की तीव्रता भांपने के लिए मौसम विभाग के पूर्वानुमान पर नहीं, बल्कि अपने पारंपरिक ज्ञान पर भरोसा करते हैं।


ओडिशा के गंजम जिले के पोडंपेटा गांव के लोगों को अपने इस ज्ञान पर इतना भरोसा है कि एक हफ्ते पहले से समुद्री तूफान 'हुदहुद' की चेतावनी के बावजूद लगभग 2000 लोगों के इस गांव का एक भी आदमी गांव छोड़कर कहीं नहीं गया।

लेकिन ठीक एक वर्ष पहले 'पायलिन' के दौरान इसी गांव के सभी लोग यहां से करीब पांच किलोमीटर दूर स्थित एक तूफान आश्रय स्थल में चले गए थे। उनका कहना है कि उन्हें पता था कि तूफान बेहद भयंकर होगा।

भरोसा :  आखिर कैसे भांप लेते हैं ये मछुआरे तूफान की तीव्रता?

पोडंपेटा के एल मुकुडु कहते हैं; 'हम समुद्र की लहरों, उसके पानी और आसमान के रंग से ही अनुमान लगा लेते हैं कि तूफान कितना शक्तिशाली होगा।'

मछुआरों के लिए काम कर रहे स्वंयसेवी संगठन 'यूनाइटेड आर्टिस्ट्स एसोसिएशन के कार्यकर्ता ए कालिया इस बात की पुष्टि करते हैं कि मछुआरों का पूर्वानुमान कभी गलत साबित नहीं होता।

उनका कहना है, 'मौसम विभाग का पूर्वानुमान गलत हो सकता है, लेकिन इनका नहीं।'

विज्ञान के इस जमाने में शायद कुछ लोग इसे ढकोसला करार देंगे। लेकिन मछुआरों को अपने 'विज्ञान' पर मौसम विभाग की भविष्यवाणी से ज्यादा भरोसा है।