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Last Modified: शनिवार, 4 जुलाई 2015 (11:12 IST)

दक्षिण ध्रुव तक साइकिल से पहुंचने वाली महिला

दक्षिण ध्रुव तक साइकिल से पहुंचने वाली महिला - cycling women south pole
- डेव सेमिनारा एवं एली कॉब (बीबीसी ट्रैवल)
 
चार साल पहले तक मारिया लिजरस्टाम के पास उनकी कामयाबी को दर्शाने के लिए सबकुछ था। आकर्षक नौकरी, कंपनी की ओर से कार, टेम्स नदी के किनारे लंदन में खूबसूरत अपार्टमेंट और एक बहुत अच्छा व रिश्तों को लेकर गंभीर ब्वॉय फ्रेंड। खूबसूरत मारिया के पास वो सब था, जिसके लोग सपने देखते हैं।
लेकिन मारिया खुश नहीं थीं। 31 साल की उम्र में उन्होंने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया। कंपनी की कार लौटा दी। अपने ब्वॉय फ्रेंड के साथ रिश्ता तोड़ लिया। अपने मां-बाप के पास वापस लौट गईं।
 
ये सब मारिया ने किया ताकि जीवन में कुछ नया हो। मारिया बताती हैं, 'करियर में रोमांच था। जब मैंने इस्तीफ़ा दिया तब मैं एक मल्टीनेशनल आईटी कंपनी की बिज़नेस डेवलपमेंट प्रमुख थी। लेकिन मुझे लगने लगा था कि जीवन में और कुछ होना चाहिए।'
 
उन्होंने आगे बताया, 'मैं घर में बैठकर सोचती थी कि आगे क्या करूंगी। उन पलों को समझने के लिए आपके पास अनुभव का होना जरूरी होता है। ये समझना होता है कि आप अपने जीवन बहुत बड़ा बदलाव लाने वाले हैं।'
मारिया अपने नए सफर के बारे में कहती हैं, 'मैं दुनिया का बड़ा नक्शा लेकर सोचती थी कि मैं यहां जाऊंगी, वहां जाऊंगी और वहां भी जाऊंगी।'
 
दक्षिण ध्रुव का सफर : मारिया ने इसके बाद 23 दिनों में पूरा न्यूजीलैंड साइकिल से नाप डाला। इसके बाद अपनी एडवेंचर स्पोर्ट्स कंपनी शुरू किया। देखते देखते वह दक्षिण ध्रुव पर साइकिल के जरिए पहुंचने वाली पहली महिला बन गईं। इस मुकाम तक पहुंचने में उन्होंने दो पुरुषों को पछाड़ दिया।
 
दक्षिण ध्रुव की अपनी यात्रा के बारे में मारिया कहती हैं, 'अंटार्कटिका में सालों से दिलचस्पी थी। मैं सोचती रही थी कि दक्षिण ध्रुव जाऊंगी। फिर मैंने देखा कि वहां साइकिल से कोई नहीं गया है। तो मुझे लगा मुझे करना चाहिए। मैंने इस विचार पर काम करना शुरू किया।'
मारिया ने इस विचार पर मार्च, 2012 में काम करना शुरू किया। इसके अभ्यास के लिए उन्होंने साइबेरिया के बैकाल लेक पर साइक्लिंग करने का फैसला किया। इसके बाद नार्वे और आइसलैंड में उन्होंने प्रशिक्षण हासिल किया।
 
मारिया ने योजना बनाई कि जून, 2013 में वह दक्षिण ध्रुव का अपना अभियान शुरू करेंगी। लेकिन दिसंबर, 2012 में उन्हें पता चला कि एक स्पेनिश और एक अमेरिकी भी इस अभियान की तैयारी कर रहे हैं।
 
रोमांच भरा सफ़र : वैसे मारिया के लिए ये चुनौती इसलिए भी मुश्किल साबित होने वाली थीं क्योंकि दोनों पुरुष उनके निकलने के करीब तीन- चार सप्ताह पहले अपनी यात्रा शुरू कर चुके थे।

मारिया बताती हैं कि उनका दोनों से किसी प्रतियोगिता का कोई इरादा नहीं था। वह बताती हैं, 'उन लोगों ने तीन या चार सप्ताह पहले अपना अभियान शुरू किया और मेरे अभियान के खत्म होने के कुछ सप्ताह बाद दक्षिण ध्रुव तक पहुंच पाए।'
इसकी सबसे बड़ी वजह ये थी कि मारिया लिजरस्टाम ने ज़्यादा मुश्किल रास्ता चुना था। ज्यादा चढ़ाई वाला, ज्यादा मुश्किल। मारिया लिजरस्टाम को दक्षिण ध्रुव तक पहुंचने के लिए 634 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ी जबकि स्पेनिश और अमरीकी यात्री को करीब एक हजार किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ी।
 
मारिया को दक्षिण ध्रुव तक पहुंचने के दौरान शून्य से 29 डिग्री नीचे के तापमान की सर्दी को झेलना पड़ा। मारिया बताती हैं, 'सर्दी से बचने के लिए तीन-तीन स्तर में कपड़ा पहना हुआ था। पूरा शरीर ढका हुआ था। लेकिन पूरी यात्रा के दौरान पांव में ठंड लगती रही। घुटने भी सर्दी की वजह से दर्द शुरू हो गया था।'
 
10 दिन का सफर : लेकिन इन सबने मारिया के हौसले को डिगाया नहीं। वे दस दिनों दक्षिण ध्रुव पर साइकिल चलाती रहीं। मारिया कहती हैं, 'मेरे पास एक टेंट था, जिसमें मेरे अलावा मेरे दोनों बैग आ जाते थे। मैं अपना खाना भी बनाती थी। पांच घंटे रात में सोती थी और 17 घंटे तक साइक्लिंग कर रही थीं। अंटार्कटिका में जून के महीने में चौबीसों घंटे रोशनी रहती है।'
 
इतना ही नहीं मारिया बीते चार सालों में साइक्लिंग, रनिंग, नौकायान, मैराथन सबमें हाथ आजमा चुकी हैं। सहारा के रेगिस्तान में सात दिनों के अंदर वो छह मैराथन दौड़ पूरी कर चुकी हैं। साइबेरियाई जमी हुई झील बैकाल के साथ 600 किलोमीटर की साइक्लिंग भी हो चुकी हैं।
 
इन सबके अलावा मारिया ब्रिटेन, पुर्तगाल, स्वीडन, नार्वे, चिली और आयरलैंड में होने वाले कई एडवेंचर्स स्पोर्ट्स इवेंट में शामिल हो चुकी हैं। मारिया मानती हैं कि किसी स्थान की खूबसूरती तब बढ़ जाती है, जब वहां पहुंचने में आपका खूब सारा पसीना निकल आए।
 
क्या है अगला मुकाम? : मारिया लिजरस्टाम अब नए सफ़र की तैयारी में जुटी हैं। वे पैडल से चलने वाली नाव के सहारे पूरे अटलांटिक महासागर को पार करना चाहती हैं। अगर कोई कहे कि ये मुमकिन नहीं तो मारिया का हौसला और बढ़ जाता है।
अपने नए मिशन के बारे में मारिया कहती हैं, 'अटलांटिक महासागर को पैडलिंग करने वाले नाव के साथ पार करना चाहती हूं। मुझे नाव की डिज़ाइन भी खुद तैयार करनी होगी, नाव को थोड़ा स्टेबल बनाने की जरूरत होगी और उसमें सोने की जगह हो।'
 
इसके अलावा मारिया आइसलैंड और ग्रीन लैंड में साइक्लिंग करते हुए पहुंचना चाहती है। साथ में वे मंगोलिया को भी पूरी तरह साइकिल से देखना चाहती हैं।
 
मारिया को अपने इस सफर की कीमत भी चुकानी पड़ रही है। उनके बचत किए हुए पैसे खत्म हो चुके हैं। दक्षिण ध्रुव की यात्रा के दौरान वे कर्जे में भी आ गई हैं। लेकिन वो कहती हैं कर्जे चुकाने के लिए उनके पास काफी समय है।
 
मारिया अब पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहतीं। मुश्किल से मुश्किल सफर को आसान बनाने मे वे जुटी हैं। उनका ये भी मानना है कि महिलाएं एडवेंचर्स स्पोर्ट्स के लिए पुरुषों के मुक़ाबले कहीं ज्यादा फिट होती हैं, क्योंकि प्राकृतिक रूप से भी वे ज्यादा तकलीफ झेल सकती हैं।