गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. बीबीसी हिंदी
  3. बीबीसी समाचार
  4. Christian priest in
Written By
Last Modified: सोमवार, 2 नवंबर 2015 (12:34 IST)

आईएस की पकड़ से भाग निकलने वाला पादरी

आईएस की पकड़ से भाग निकलने वाला पादरी - Christian priest in
इस्लामिक स्टेट के चरमपंथियों के कब्जे में तीन महीने तक रहने के बाद किसी तरह भागने में सफल रहे एक सीरियाई कैथोलिक पादरी ने पहली बार अपनी व्यथा सुनाई है। फादर जैक मुराद का मध्य सीरिया के अल-किरियातेन शहर से अपहरण कर लिया गया था। उनके साथ संत इलेन मोनेस्ट्री में काम करने वाले एक वालंटियर बोरटोस हाना का भी अपहरण किया गया था।
बीबीसी अरबी को फादर मुरा‍द ने बताया कि उन्हें और बोरटोस की आंखों पर पट्टी और हाथों को कसकर बांधकर उन्हें एक कार में डाल दिया गया और अल कारियातेन के पहाड़ों में एक अनजान सी जगह ले जाया गया।
 
यहां से किसी दूसरी जगह भेजे जाने से पहले चार और लोगों को इसी तरह लाया गया। इन सभी लोगों को आईएस के गढ़ रक्का के किसी जगह पर 84 दिनों तक रखा गया।
 
जैक बताते हैं कि अपहरण कर लाए गए लोगों को खाना दिया जाता था और उनके इलाज की भी व्यवस्था थी और कभी भी उन्हें टॉर्चर नहीं किया गया। उन पर शाब्दिक हमले हुए और उन्हें और बोरटोस को काफिर कहा गया। उनसे कहा गया कि उन्होंने एकमात्र सच्चे धर्म ‘इस्लाम’ को छोड़ दिया है।
हालांकि, जैक कहते हैं कि ईसाई मान्यताओं को जानने को लेकर वो काफी उत्सुक दिखे, 'वो धर्म ग्रंथों, ईसा मसीह, होली ट्रिनिटी और सूली पर चढ़ाने के बारे में पूछते।' वो कहते हैं, 'लेकिन ऐसे लोगों से क्या बहस कहना जो आपको कैद में रखकर आपकी ओर राइफल ताने हुए हैं।'
 
जैक बताते हैं कि जब वो जवाब देने के लिए दबाव डालते तो, 'मैं कहता कि अपना धर्म बदलने के लिए मैं तैयार नहीं हूं।' जिन चरमपंथियों से मिलते वो कैदियों को धर्म बदलने के लिए दबाव डालते और मारने की धमकी देते।
 
जैक के अनुसार, 'उनके लिए मेरा इस्लाम धर्म स्वीकार न करना मेरी मौत का कारण बनेगा। हमें डराने के लिए वो बताते कि हमारी हत्या कैसे होगी। हमें डराने के लिए काल्पनिक चित्र बनाने में वो वाकई पारंगत थे।'
वो बताते हैं, '84वें दिन एक अमीर पहुंचा, बोला, अल कारियातेन के सभी ईसाई हमें दोषी मान रहे हैं और तुम्हारी वापसी की मांग कर रहे हैं।' हम पल्मायरा और सवानेह गए इसके बाद कार एक सुरंग में चली गई। हमें कार से बाहर निकाला गया और अमीर मेरा हाथ पकड़कर एक लोहे के दरवाजे के भीरत ले गया। वहां दो लोग खड़ थे।
 
उन्होंने गले लगाया, जैक हैरान होकर देखते रहे, 'मेरे इलाके के सभी ईसाई, आसपास के सभी लोग और मेरे बच्चे वहां मौजूद थे। मैं हैरान था। वो भी हैरान थे लेकिन खुश थे। वो मेरा स्वागत करने आए थे।'
 
इस कैद के दौरान, पूरे अल-कारियातेन पर आईएस का कब्जा हो गया था। इन सभी को अगले 20 दिनों तक बंधक बनाए रखा गया। आखिरकार 31 अगस्त को जैक को आईएस के कई मौलवियों के सामने ले जाया गया।
 
वो सभी बताना चाहते थे कि आईएस नेता अबू बकर अल बगदादी ने इलाके के ईसाईयों के लिए क्या तय कर रखा है। इसमें आदमियों को खत्म कर देने और महिलाओं को गुलाम बनाने तक के प्रस्ताव थे।
 
जो कुछ जैक से पूछा गया, उन्होंने बता दिया, सिर्फ संत इलेन की कब्र को नष्ट होने से बचाने के लिए इसके बारे में नहीं बताया, लेकिन आईएस चरमपंथियों को मूर्ख बनाना इतना आसान नहीं था।
 
जैक बताते हैं, 'वो सबकुछ जानते थे, छोटी-छोटी जानकारी भी। हम उन्हें असभ्य भोंदू मानते हैं, लेकिन वो इसके ठीक उलट थे। वो बहुत चालाक, शिक्षित और अपनी योजना में बहुत तेज थे।'
जैक के अपहरण के दौरान चर्च को जब्त कर लिया गया था और लड़ाई में वो नष्ट हो गया था। मौलवियों ने आईएस और कारियातेन ईसाईयों के बीच समझौते की शर्तें पढ़कर सुनाईं।
 
इसके तहत वो आईएस के कब्जे वाले इलाके में मोसूल तक यात्रा कर सकते थे लेकिन होम्स या माहिन नहीं जा सकते थे। उनके अनुसार ये काफिरों की जगह थी क्योंकि उनके कब्जे से बाहर थी। किसी तरह जैक आईएस के कब्जे वाले इलाके से भागने में सफल रहे। बोरटोस भी उनके साथ था।
 
वो बताते हैं, 'पूरा इलाका युद्ध क्षेत्र बना हुआ था और एयरफोर्स बमबारी कर रहे थे। दूसरी तरफ वहां रुकना खतरे से खाली नहीं था। मैंने सोचा कि जबतक मैं रहूंगा लोग भी रुके रहेंगे। इसलिए मैंने बाहर आने की ठान ली और बाकी लोग भी प्रोत्साहित हुए।' लेकिन उनके पीछे बहुत से लोग नहीं आ सके।
 
असल में कुछ लोगों का बाहर कोई जानने वाला नहीं था। कुछ लोग बेघर होने से मर जाना पसंद करते थे और कुछ लोगों को लगा कि समझौता मानने से आईएस से उन्हें कोई खतरा नहीं होगा। जैक के साथ कम से कम 160 ईसाई अल कारियातेन से बाहर आए।