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Last Modified: मंगलवार, 25 अक्टूबर 2016 (12:32 IST)

देवी मां से पाकिस्तान को तबाह करने की गुहार

देवी मां से पाकिस्तान को तबाह करने की गुहार - Bhojpuri Devotional Songs
- सीटू तिवारी 
 
बिहार में त्योहारों के मौके पर आए भोजपुरी गीतों में अब पाकिस्तान ने अपनी जगह बना ली है। भोजपुरी में आए देवी गीतों के एलबम में इसकी भरमार दिखती है। कुछ एलबम बाकायदा पाकिस्तान, बलूचिस्तान के नाम पर भी बाज़ार में आए हैं। तो कुछ ने एलबम का नाम तो पाकिस्तान या बलूचिस्तान के नाम पर नहीं रखा है, लेकिन अपने एलबम में किसी ना किसी गीत में इसे शामिल ज़रूर किया है।
सीडी के कारोबार से जुड़े गौरी गुप्ता कहते हैं, ''अगर हम ये मान लें कि त्योहार में 100 एलबम लांच हुए तो 90 में आपको ये गाने मिल जाएंगे। लोग इनको पसंद करते हैं क्योंकि भोजपुरी गीत सुनने वाले तबके का जो मानस है उसको ये गीत व्यक्त करते हैं और वो भी उनकी ही बोली में। यही वजह है कि ये गीत अभी खूब चल रहे हैं।"
 
भोजपुरी के देवी गीतों के बाज़ार पर नज़र दौड़ाएं तो बाज़ार "हिंदुस्तान में मिलादीं बलूचिस्तान ए माई", "ऐ माई फूंक देब पाकिस्तान के", "फारब पाकिस्तान के", "उड़ा दीं पाकिस्तान ए माई", "पाकिस्तान के मिटाईं ए माई", "सरहद पार तिरंगा ले के" जैसे एलबम से अटा पड़ा है।
 
भोजपुरी गीतों का सीडी बाज़ार लगातार सिमटता जा रहा है। ऐसे में भोजपुरी गीतों से जुड़ी वेबसाइट्स के ज़रिए ऐसे गीत लोगों के बीच धूम मचा रहे हैं।
 
'हिंदुस्तान में मिलादीं बलूचिस्तान ए माई' के गीतकार अमित रंजन कहते हैं, "बलोच लोगों पर अत्याचार हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी तक को ये बात अपने भाषण में कहनी पड़ी। ऐसे में हमारा धर्म है कि बलोच लोगों को बताएं कि वो ख़ुद को अकेला ना समझें। मइया जी और हिंदुस्तान उनके साथ है।"
 
दिलचस्प है कि ऐसे गीत गाने वाले गायकों या गीतकारों के तर्क लगभग एक जैसे हैं। 'ए मइया फूंक देब पाकिस्तान' के गीतकार मुन्ना दूबे कहते हैं, "पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों से निपटना अब इंसान के वश की बात नहीं रही। अब उसको मइया जी ही तबाह करेंगी। इसलिए मैंने मइया से प्रार्थना की है कि वो पाकिस्तान का संहार करें।"
 
मऊ के गायक डब्लू डेन्जर के एलबम का नाम 'महिमा शेरावाली की' है। लेकिन उसमें भी पाकिस्तान को तबाह करने की विनती करते हुए एक गाना शामिल किया गया है। डब्लू डेन्जर बताते हैं कि उन्होंने अपने फ़ौजी दोस्तों के कहने पर "ध के चिर द मइया पाकिस्तान के छाती" गीत गाया है।
वो कहते हैं, "जब कभी ऐसा गीत गाता हूं तो लगता है कि बॉर्डर पर सिपाही जो काम अपनी बंदूक से कर रहे हैं, वही काम मैं अपनी आवाज़ के ज़रिए लोगों के बीच रहकर कर रहा हूं।"
 
वहीं "फारब पाकिस्तान के" नाम के एलबम को आवाज़ आरज़ू अंचल ने दी है। ये पूछने पर कि क्या मुनाफ़े के लिए इस तरह के गाने गाए जा रहे हैं। आरज़ू कहते हैं, "हम देशभक्ति और मइया भक्ति में ये गीत गा रहे हैं, इसमें मुनाफ़े की क्या बात है।"
 
हालांकि इन सारे दावों को भोजपुरी के प्रसिद्ध लोकगायक अजीत अकेला ख़ारिज करते हैं। अजीत अकेला कहते हैं, "ये सब गाने हिट होने के लिए गाए जा रहे हैं। इसमें मां की कोई भक्ति नहीं।"
 
इन सबसे इतर 30 भाषाओं में गायन करने वाली कल्पना पटवारी एक नई बात कहती हैं। बॉलीवुड, लोकगीतों के साथ साथ भिखारी ठाकुर की विरासत और बिहार यूपी के श्रमिक वर्ग की गायन शैली "बिरहा" पर काम करने वाली कल्पना इसके लिए भोजपुरी के बुद्धिजीवी वर्ग को जिम्मेदार बताती हैं।
 
वो कहती हैं, "भोजपुरी में जो लोग गायन कर रहे हैं, वो अपनी समझ के मुताबिक़ गा रहे हैं। लेकिन बुद्धिजीवी वर्ग जिसके पास दृष्टि है वो क्या कर रहा है। जब वो कुछ नहीं कर रहा तो भोजपुरी गीतों की नैय्या ऐसे ही हाथों में होगी।"
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