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Last Modified: बुधवार, 26 नवंबर 2014 (16:56 IST)

'ईद पर नई कमीज पहनकर नरम हुआ था कसाब'

'ईद पर नई कमीज पहनकर नरम हुआ था कसाब' - ajmal kasab
- देवीदास देशपांडे पुणे से

नवंबर 2008 के मुंबई हमले के बाद जिंदा पकड़े गए इकलौते हमलावर अजमल कसाब को 21 नवंबर 2012 को पुणे के येरवडा जेल में फांसी दे दी गई।


इस मामले के मुख्य जांच अधिकारी थे इंस्पेक्टर रमेश महाले। पुणे में मंगलवार को ब्रितानी पत्रकार ऍड्रियन लेव्ही और कॅथी स्कॉट-क्‍लार्क की पुस्तक 'द सीज' के मराठी अनुवाद का विमोचन महाले ने किया। इस मौके पर उन्होंने कसाब से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें बताईं।

जेल में कसाब : रमेश महाले ने बताया, 'कसाब जब जेल में था, तो अक्सर हमें छेड़ा करता था कि अफजल गुरु को आप आठ साल से फांसी नहीं दे सके तो आप मुझे क्या फांसी देंगे?'

जब येरवडा जेल में उसे फांसी के लिए ले जाया रहा था, उस समय महाले के टोकने पर उसने कहा,'हां साब, आप जीते, मैं हारा।'

महाले ने कहा, 'गुनहगारों से सच उगलवाने का मेरा अपना तरीका है इसलिए कसाब के लिए ईद के दिन मैंने अपने विभाग के फंड से नया शर्ट सिलवाया। इसके बाद उसका रवैया काफी नरम हो गया।'

महाले बताते हैं, 'सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि गवाहों के लिखित बयान और न्यायालय में उनकी गवाही ज्यों की त्यों हो, तो उसे सिखाया हुआ गवाह (ट्यूटर्ड विटनेस) माना जाता है इसलिए हम चाहते थे कि गवाहों की गवाही में थोड़ा-बहुत बदलाव हो, लेकिन गवाह इसके लिए तैयार नहीं थे।'

वो कहते हैं कि कई गवाह मुस्लिम थे। जब हमने कहा कि गवाही में कुछ तो विवरण बदलो, तो उन्होंने कहा,'साहब, जिंदगी में एक बार जन्नत हासिल करने का मौका मिला है। यह पुण्य का काम है। आप हमसे यह मौका मत छिनो। हम तो सच ही बोलेंगे।'

अमिट यादें : कसाब से बात करते समय महाले को गुस्सा तो बहुत आता था लेकिन वे कहते हैं, 'मुझे अपना कर्तव्य पहले निभाना था। इसलिए गुस्से पर काबू और दिमाग को शांत रखा।'

उन्होंने बताया,'जब दस हमलावर पाकिस्तान से निकल रहे थे, तब उन्हें बताया गया था कि किसी भी सूरत में वे जिंदा कैद नहीं होने चाहिए। अन्यथा उनके परिवारवालों को खत्म कर दिया जाएगा इसलिए जेल में कसाब बार-बार गिड़गिड़ाता था कि आप मेरे साथ चाहे जो कीजिए लेकिन मेरे परिवार वालों को बचाइए।'