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Last Updated : मंगलवार, 21 अप्रैल 2015 (15:00 IST)

अफ़ग़ानिस्तानः पहले तालिबान, अब आईएस?

अफ़ग़ानिस्तानः पहले तालिबान, अब आईएस? - afghanistan_isis
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- क्या चर्चित है और क्यों?
 
अफगानिस्तान के पूर्वी शहर जलालाबाद में शनिवार को हुए फिदायीन हमले के लिए चरमपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट ने जिम्मेदारी ली है। देश में इस चरमपंथी संगठन के बढ़ते असर का ये सबसे ताजा उदाहरण है।18 अप्रैल को तड़के हुए इस आत्मघाती हमले में कम से कम 33 लोग मारे गए और 100 लोग घायल हैं। पिछले कुछ महीने में मध्य पूर्व के इस चरमपंथी संगठन ने आहिस्ता-आहिस्ता अफगानिस्तान में अपना दख़ल बढ़ाया है।
आईएस तालिबान लड़ाकों को अपने संगठन में भर्ती करने की कोशिश भी कर रहा है। अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट की बढ़ती गतिविधियों से वहां की सरकार के साथ साथ संयुक्त राष्ट्र जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं भी चौकन्नी हो गई हैं। नीचे उन प्रमुख घटनाओं का क्रमवार ब्योरा दिया गया है जिससे इस देश में आईएस की बढ़ती मौजूदगी का अंदाजा लगाया जा सकता है।
 
फरवरी
23 फरवरीः दक्षिणी सूबे जाबोल में आईएस की तर्ज पर काले कपड़े पहने बंदूकधारियों ने हेरात-काबुल हाईवे पर एक बस रोकी। उन्होंने ईरान से लौट रहे 31 हजारा शरणार्थियों को अगवा कर लिया। ऐसी खबरें हैं कि नकाबपोश बंदूकधारी विदेशी जुबान में बात कर रहे थे जो फारसी, पश्तो या किसी पाकिस्तानी जुबान से अलग थी।
 
25 फरवरीः पश्चिमी फराह सूबे के प्रवक्ता जावेद अफगान ने बताया कि खाक-ए-सदीफ जिले में पखवाड़े भर पहले आईएस के तकरीबन 70 से 80 चरमपंथी आए और वे स्थानीय लोगों की भर्ती कर रहे हैं।
 
28 फरवरीः उत्तरी कोंदूज सूबे के गवर्नर मोहम्मद उमर सफी ने बताया कि उनके प्रांत में आईएस के 50 से 70 चरमपंथी हैं। उन्होंने कहा कि कोंदूज सूबे में भर्ती किए गए लोगों को बरगलाया गया है और आईएस कोंदूज का इस्तेमाल अन्य देशों में घुसपैठ के अड्डे के तौर पर करता है।
 
मार्च
5 मार्चः रूस ने इस क्षेत्र में आईएस की बढ़ती मौजूदगी पर चिंता जताई। रूस के उप-रक्षा मंत्री एनाटोली एंटनी ने कहा कि एशिया प्रशांत क्षेत्र के देशों पर खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने बताया कि तालिबान और आईएस के दस से पंद्रह फीसदी लड़ाके इसी क्षेत्र से हैं।
 
6 मार्चः मोहम्मद मोहकेक का नाम शिया समुदाय के बड़े नेताओं में लिया जाता है। उन्होंने आईएस के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने की मांग की है। हालांकि वो पहले तालिबान के खिलाफ रहे हैं। लेकिन अब उन्होंने आईएस के विरूद्ध जारी लड़ाई में तालिबान को भी शरीक होने को कहा है। इस बीच तालिबान ने 31 मुसाफिरों को अगवा किए जाने के आरोपों से इनकार किया है।
7 मार्चः पूर्वी काबुल में सूफी समुदाय के एक धार्मिक स्थल पर सशस्त्र हमले में 11 लोग मारे गए। इस घटना में भी आईएस के शामिल होने की बात कही गई है।
 
12 मार्चः बाल्ख सूबे के गवर्नर अट्टा मोहम्मद नूर ने चेतावनी दी कि वो दिन दूर नहीं जब आईएस का काला झंडा तालिबान के सफेद झंडे की जगह ले लेगा।
 
15 मार्चः दक्षिण हेलमंद सूबे में सुरक्षा बलों के साथ हुई एक झड़प में हाफिज वाहिदी की मौत हो गई। हाफिज का संबंध आईएस से माना जाता था। और हाफिज को नेटो को हवाई हमले में मारे गए मुल्ला अब्दुर्रउफ खादिम का उत्तराधिकारी भी माना जाता है। वो कथित तौर पर अफगानिस्तान में आईएस के डिप्टी लीडर थे।
 
17 मार्चः अफगानिस्तान में आईएस की मौजूदगी को लेकर संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में भी चिंता जताई गई है। इस बीच अफगानी फौज के अफसरों ने कहा कि आईएस से जुड़े बंदूकधारियों ने पारंपरिक हजारा समुदाय के एक सैनिक को फराह प्रांत में अगवा कर लिया है।
 
21 मार्चः उपराष्ट्रपति जनरल अब्दुर्रशीद दोस्तम ने सभी अफगानों और पूरे क्षेत्र के लिए आईएस को खतरा घोषित किए जाने की मांग की है।
 
23 मार्चः राष्ट्रपति अशरफ गनी ने चेतावनी दी कि अफगानिस्तान संगठन के रडार पर है। उप रक्षा प्रमुख हेसमोद्दीन हेसम ने कहा कि आईएस से जुड़े कुछ बंदूकधारी अफ़ग़ान नौजवानों को भर्ती करने की कोशिश कर रहे हैं और कुछ ने तो पहले ही संगठन के प्रति वफादारी की कसमें खा ली हैं।
 
24 मार्चः मेदान-वारदाग सूबे के सयदाबाद जिले में सफेद कपड़ों में नकाबपोश बंदूकधारियों ने 12 आम लोगों को मारा। इस हादसे में तीन लोग घायल हुए। प्रांतीय पुलिस के प्रमुख ने बताया कि हमलों के पीछे आईएस का हाथ हो सकता है।
 
28 मार्चः पूर्वी नांगरहर प्रांत के गवर्नर हाजी गोलाब ने बताया कि बाटीकोट जिले में आईएस के चरमपंथियों ने इलाके के एक कबायली सरदार की हत्या कर दी।
 
अप्रैल
1 अप्रैलः इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उजबेकिस्तान (आईएमयू) से अलग हुए एक गुट ने संगठन से संबंध स्थापित कर लिया है। इससे पहले ये माना जाता था कि आईएमयू का संबंध तालिबान से है।
 
6 अप्रैलः टीवी चैनल सीएनएन के वीडियो में दिखाया गया कि दक्षिणी काबुल के एक इलाके में आईएस की तर्ज पर काले कपड़े पहने कुछ नकाबपोश बंदूकधारी ट्रेनिंग ले रहे हैं।
 
8 अप्रैलः फराह प्रांत में पोश्त रोड जिले में चरमपंथियों ने अफगान सुरक्षा बलों पर हमला कर दिया लेकिन उन्हें खदेड़ दिया गया। सरकारी अखबार हेवाद ने लिखा कि हमलावरों में 'कई सौ इस्लामिक स्टेट के चरमपंथी'थे।
 
9 अप्रैलः कोंदूज सूबे के कला-ए जाल जिले में सुरक्षा बलों ने 20 चरमपंथियों को मार दिया। कहा जाता है कि इस हमले में आईएस के पांच चरमपंथी भी थे।
 
18 अप्रैलः जलालाबाद शहर में काबुल बैंक के बाहर हुए आत्मघाती हमलों की जिम्मेदारी संगठन ने ली है। इस हमले में कम से कम 33 लोग मारे गए और 100 घायल हुए। तालिबान ने किसी तरह की भूमिका से इनकार किया।