|| सुफल मनोरथ होहुँ तुम्हारे ||
|| राम लखनु सुनि भए सुखारे ||
बालकांड में वाटिका से फूल लाने पर विश्वामित्रजी का आशीर्वाद
फल : प्रश्न बहुत ही उत्तम, काम अवश्य पूरा होगा।
|| सुफल मनोरथ होहुँ तुम्हारे ||
|| राम लखनु सुनि भए सुखारे ||
बालकांड में वाटिका से फूल लाने पर विश्वामित्रजी का आशीर्वाद
फल : प्रश्न बहुत ही उत्तम, काम अवश्य पूरा होगा।
|| उधरें अंत न होइ निबाहू ||
|| कालनेमि जिमि रावन राहू ||
बालकांड की शुरूआत में अच्छे लोगों की सोहबत करने की सीख
फल : इस काम को छोड़ ही दें, सफलता में संदेह है।
|| बिधि बस सुजन कुसंगत परहीं ||
|| फनि मनि सम निज गुन अनुसरहीं ||
बालकांड की शुरूआत में बुरे लोगों की सोहबत से बचने की नसीहत
फल : बुरे लोगों का साथ छोड़ो, यह काम शायद ही बने।
|| प्रबिसि नगर कीजै सब काजा ||
|| हृदय राखि कोसलपुर राजा ||
सुंदरकांड में श्री हनुमानजी के लंका प्रवेश का प्रसंग
फल : ईश्वर को याद करके काम शुरू कर दें, सफलता राह देख रही है।
|| मुद मंगलमय संत समाजू ||
|| जिमि जग जंगम तीरथ राजू ||
बालकांड में संतों के सत्संग के महत्व का प्रसंग
फल : मनोरथ अच्छा है, काम शुरू करें - पूरा होगा।
|| होइ है सोई जो राम रचि राखा ||
|| कोकरि तरक बढावहिं साषा ||
बालकांड के अंतर्गत शिवपार्वती संवाद
फल : काम होने में संदेह है, इसे भगवान भरोसे छोड़ देना बेहतर है।
|| बरुन कुबेर सुरेस समीरा ||
|| रन सनमुख धरि काह न धीरा ||
लंका कांड में विधवा मंदोदरी का विलाप
फल : चुप बैठें, काम पूरा नहीं होगा।
|| गरल सुधा रिपु करय मिताई ||
|| गोपद सिंधु अनल सितलाइ ||
श्री हनुमानजी के लंका में प्रवेश का प्रसंग
फल : संकल्प बहुत बढ़िया, काम पूरा होगा।