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भगवती सरस्वती के ये मंत्र देंगे आपको ज्ञान, विद्या, धन और सुख-समृद्धि

भगवती सरस्वती के ये मंत्र देंगे आपको ज्ञान, विद्या, धन और सुख-समृद्धि - Maa Sarswati mantra
वसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महिने के पांचवें दिन वसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि वसंत पंचमी के दिन ब्रह्माजी के मुख से मां सरस्वती का उद्गम हुआ था, इसलिए इसे विद्या जयंती भी कहा जाता है।

आज के दिन विद्या की देवी मां सरस्वती का पूजन किया जाता है। वसंत पंचमी के दिन निम्न मंत्रों का जाप करने से ज्ञान, विद्या, धन और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। आइए जानें.... 
 
* ये हैं देवी सरस्वती के समृद्धशाली मंत्र, अवश्य पढ़ें... 
 
* सरस्वती मंत्र तंत्रोक्तं देवी सूक्त से :
 
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेणसंस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
 
*  सरस्वती मंत्र :
 
या कुंदेंदु तुषार हार धवला या शुभ्र वृस्तावता।
या वीणा वर दण्ड मंडित करा या श्वेत पद्मसना।।
या ब्रह्माच्युत्त शंकर: प्रभृतिर्भि देवै सदा वन्दिता।
सा माम पातु सरस्वती भगवती नि:शेष जाड्या पहा।।1।।
 
अर्थ : जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुंद के फूल, चन्द्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह श्वेत वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दंड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर अपना आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली मां सरस्वती आप हमारी रक्षा करें।
 
* विद्या प्राप्ति के लिए सरस्वती मंत्र :
 
घंटाशूलहलानि शंखमुसले चक्रं धनु: सायकं हस्ताब्जैर्दघतीं धनान्तविलसच्छीतांशु तुल्यप्रभाम्‌।
गौरीदेहसमुद्भवा त्रिनयनामांधारभूतां महापूर्वामत्र सरस्वती मनुमजे शुम्भादि दैत्यार्दिनीम्‌।।
 
अर्थ : जो अपने हस्त कमल में घंटा, त्रिशूल, हल, शंख, मूसल, चक्र, धनुष और बाण को धारण करने वाली, गोरी देह से उत्पन्न, त्रिनेत्रा, मेघा स्थित चन्द्रमा के समान कांति वाली, संसार की आधारभूता, शुंभादि दैत्य का नाश करने वाली महासरस्वती को हम नमस्कार करते हैं। मां सरस्वती, जो प्रधानत: जगत की उत्पत्ति और ज्ञान का संचार करती हैं।
 
* विद्या प्राप्ति का प्रभावी मंत्र :
 
प्रतिदिन हरे हकीक या स्फटिक माला से सुबह के समय में 108 बार जपें।
 
विद्या: समस्तास्तव देवि भेदा: स्त्रिय: समस्ता: सकला जगत्सु।
त्वयैकया पूरितमम्बयैतत् का ते स्तुति: स्तव्यपरा परोक्ति:।।
 
अर्थ : 'हे देवी, विश्व की संपूर्ण विद्याएं तुम्हारे ही भिन्न-भिन्न स्वरूप हैं। जगत में जितनी स्त्रियां हैं, वे सब तुम्हारी ही मूर्तियां हैं। जगदम्ब! एकमात्र तुमने ही इस विश्व को व्याप्त कर रखा है। तुम्हारी स्तुति क्या हो सकती है? तुम तो स्तवन करने योग्य पदार्थों से परे हो।'
 
इस तरह वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी मां सरस्वती के मंत्रों का जाप करने से ज्ञान, विद्या, धन, सुख-समृद्धि और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।  
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