गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
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Written By अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

छाया ग्रहों का असर, जानिए बचने के उपाय...

छाया ग्रहों का असर, जानिए बचने के उपाय... - Rahu and Ketu
प्रकाश के कारण प्रत्येक व्यक्ति या वस्तु की छाया होती है उसी तरह ग्रहों की भी छाया होती है। आकाश में ‍स्थित प्रत्येक ग्रहों की धरती पर छाया किसी न किसी रूप में पड़ती रहती है जिसका कहीं आंशिक तो कहीं अधिक असर होता है।  लाल किताब के अनुसार राहु और केतु छाया ग्रह माने गए हैं।

जिस तरह प्रकाश के कारण जल में हजारों जीव-जंतुओं की उत्पत्ति होती है उसी तरह अंधकार के कारण भी हजारों जीव-जंतुओं का जन्म होता है। हमारे शरीर में 90 फीसदी जल होता है जिस पर चंद्र कलाओं का प्रभाव रहता है। इस प्रभाव से ही शरीर, मन और मस्तिष्क की स्थिति तय होती है।

कुंडली के प्रत्येक भाव या खाने के अनुसार राहु और केतु के शुभ-अशुभ प्रभाव को लाल किताब में विस्तृत रूप से समझाकर उसके उपाय बताए गए हैं। यहां प्रस्तुत है प्रत्येक भाव में राहु और केतु की स्थिति और सावधानी के बारे में संक्षिप्त और सामान्य जानकारी।

लाल किताब में केतु को कुत्ता तो राहु को हाथी माना गया है। कुत्ता खूंखार भी हो सकता है और गीदड़ भी। यदि समझदार है तो रक्षक का कार्य करेगा। उसी तरह हाथी समझदार होता है लेकिन यदि उस पर पागलपन सवार हो जाए तो वह कुछ भी कर सकता है। आओ जानते हैं दोनों ही छाया ग्रहों के उपाय के बारे में विस्तार से...

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1. पहला खाना राहु : दौलतमंद तो होगा पर खर्चा बहुत होगा। यहां व्यक्ति की बुद्धि ही उसका साथ देगी बशर्ते वह अति कल्पनावादी न हो। 1 से 6 तक जैसी बुध की हालत वैसी राहु की मानी जाएगी। 7 से 12 तक जैसी‍ केतु की हालत वैसी राहु होगी।

सावधानी : राहु ग्रह से अशुभ हो रहा है तो सोच-समझकर बुद्धि से काम लें और व्यर्थ के बोलते रहने से बचें। ससुराल पक्ष से संबंध अच्छे रखें।

1. पहला खाना केतु : व्यर्थ के डर के मारे अतिसतर्क रहने वाला कुत्ता। सब कुछ ठीक चल रहा है फिर भी आशंकित। यदि यहां केतु के साथ मंगल बैठा हो तो 'शेर और कुत्ते की लड़ाई' समझो, फिर भी शेर अर्थात मंगल से केतु काबू में रहेगा।

सावधानी : अपने बेटे या बेटियों को खाने-पीने की चीजें या इसके लिए पैसा न दें। यदि शनि और मंगल अशुभ हो रहे हैं तो उनका उपाय करें।

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2. दूसरा खाना राहु : महावत का हाथी। गुरु के हुक्म पर चलने वाला अर्थात जैसा बृहस्पति होगा वैसा राहु का फल होगा। जीवन में परिवर्तनों का दौर चलता रहेगा, लेकिन सेहतमंद होगा।

सावधानी : गुरु की हालत अच्छी करें। नाखून मजबूत तो राहु शुभ माना जाएगा फिर भी उपाय जरूर करें।

2. दूसरा खाना केतु : हुक्मरान और मुसाफिर। यात्राओं का मौका मिलता रहेगा। संतुष्ट रहने वाला जैसा गुरु होगा वैसा धन और जैसा शुक्र होगा वैसी गृहस्थी की हालत होगी।

सावधानी : माता का ध्यान रखें। सेहत का ध्यान रखें। व्यसनों से दूर रहें।

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3. तीसरा खाना राहु : पूर्वाभास की शक्ति का मालिक। बंदूक लिए पहरेदार। सतर्क रहने वाला। ग्रहण है तो दौलत की बर्बादी। पराक्रम निष्फल।

सावधानी : किसी को उधार न दें। धोखे और फरेब से बचें। अतिरिक्त हौसले का प्रदर्शन न करें। यदि सूर्य या बुध भी साथ है तो बहन से दूर रहें। ग्रहण का उपाय करें। बेकार के तंत्र-मंत्र या रहस्यमयी बातों से दूर रहें।

3. तीसरा खाना केतु : धैर्यवान। बुद्धि से काम लें तो अशुभ असर से बचने के रास्ते मिलते जाएंगे।

सावधानी : व्यर्थ का झगड़ा मोल न लें। मित्रों से विवाद न करें। भाइयों का ध्यान रखें। रीढ़ संबंधी बीमारी से बचें। बिना सोचे-समझे दूसरे की सलाह न लें। मकान का प्रवेश द्वार दक्षिण में न रखें। व्यर्थ का सफर न करें।

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4. चौथा खाना राहु : धर्मात्मा होगा और अच्छे कामों में खूब खर्च करेगा, फिर भी दौलत की चिंता लगी रहेगी।

सावधानी : घर में पाखाना बनवाने, जमीन के अंदर पानी की टंकी बनवाने, घर की छत में काम करवाने, बोरियां इकट्ठी करने और माता का अपमान करने के कार्यों से बचें।

4. चौथा खाना केतु : ज्वार-भाटा। जैसे समुद्र में तूफान आते रहते हैं, लेकिन इससे समुद्र का कुछ नहीं बिगड़ता, समुद्र में रहने वाले जीव-जंतु ही परेशान रहते हैं। अब चूंकि माता के स्थान पर है तो माता ही परेशान रहती है। बेटों पर भी इसका बुरा असर।

सावधानी : क्रोध न करें। माता और पिता का ध्यान रखें।

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5. पांचवां खाना राहु : यहां राहु को औलाद गर्क करने वाला कहा गया है, लेकिन पारिवारिक खुशी और दौलत होगी।

सावधानी : क्रोध का त्याग करें। शुक्र की चीजें घर में स्थापित करें। किचन में ही भोजन करें। शरीर के समस्त अंगों, वस्त्रों और घर को साफ-सुथरा रखें।

5. पांचवां खाना केतु : यहां स्थित केतु को गुरु का रक्षक कहा गया है। ऐसा व्यक्ति विदेश में रहने की इच्छा रखने वाला होता है। बातों का तो धनी होता है, लेकिन बुद्धि से काम नहीं लेता है तो दुःख पाएगा।

सावधानी : चाल-चलन ठीक रखें। बृहस्पति को शुभ बनाएं। शनि के मंदे कार्य न करें।

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6. छठा खाना राहु: मददगार हाथी। राहु शुभ है तो मुसीबत के समय साथ देगा।

सावधानी : घर या बाहर कहीं भी यदि चोरी की तो राहु अपना शुभ असर छोड़ देगा। भाइयों से अच्छे संबंध रखें। धर्म-कर्म के कामों में रुचि रखें।

6. छठा खाना केतु : यहां स्थित केतु को खूंखार कुत्ता माना गया है। गुरु और बुध अच्छी हालत में हैं तो सब कुछ ठीक। इष्ट सिद्धि का लाभ मिलेगा।

सावधानी : पिता और पुत्र का ध्यान रखें। बृहस्पति को शुभ बनाएं। मामा से वैमनस्य रखने के बजाय उनसे दूर रहें।

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7. सातवां खाना राहु : दौलत तो होगी लेकिन गृहस्थी सुख की ग्यारंटी नहीं। इसका उपाय करें।

सावधानी : कुत्ता कतई न पालें। बदनाम करने वाले कार्यों से बचें। पराई स्त्री से संबंध रखने का खयाल भी न रखें।

7. सातवां खाना केतु: ऐसा पालतू ‍कुत्ता, जो शेर का मुकाबला करना जानता हो। यदि मंगल से खराब हो रहा है तो गृहस्थी सुख अच्छा नहीं रहेगा। यदि यहां स्थित केतु शुभ है तो जीवन में धन की कमी नहीं होगी। जो भी इससे दुश्मनी रखेगा, खुद ही परास्त हो जाएगा।

सावधानी : वादों को निभाएं और झूठ न बोलें। अभिमान न करें।

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8. आठवां खाना राहु : कड़वा धुआं अर्थात व्यक्ति की बुद्धि पर ताला लगा मानो। वफादार है तो अच्छे परिवार से संबंधों का लाभ मिलेगा।

सावधानी : बुरी करतूतों से बचें। घर की छत बदलने या सुधारने का कार्य कतई न करें। दक्षिण मुखी मकान में न रहें। घर के आसपास भट्टी जलती हो तो वहां भी न रहें। यहां बैठे राहु का उपाय करें।

8. आठवां खाना केतु: मौत को भांप लेने वाला ‍कुत्ता। औलाद देरी से होगी। जीवन में छलावा हो सकता है।

सावधानी : उधार न दें। चाल-चलन ठीक रखें। कुत्ते को रोटी खिलाएं। गुप्तांगों की बीमारी से बचें।

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9. नौवां खाना राहु : इसे पागलों का हकीम कहा जाता है। फकीर या साधु से संगत और पागलों की फिकर रखें तो उन पर फिजूल खर्च होगा।

सावधानी : अपने से बड़े लोगों से विवाद न करें। घर में भट्टी न लगाएं। दहलीज के नीचे से गंदे पानी की निकासी न करें। संयुक्त परिवार में ही रहें। ससुराल पक्ष से संबंध न बिगाड़ें। ईमानदार बने रहें।

9. नौवां खाना केतु: इंसानी भाषा समझने वाला आज्ञाकारी कुत्ता। खुद की औलाद भी आज्ञाकारी होगी। ऐसा व्यक्ति व्यवहारकुशल होता है। दूसरों को आशीर्वाद देगा तो वे फलित होंगे।

सावधानी : बेटे का अपमान न करें बल्कि उसकी सलाह लें। घर में सोना रखें। माता का ध्यान रखें। बेईमानी न करें। लोकमत के विरुद्ध न जाएं।

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10. दसवां खाना राहु : सांप के फन पर रखी मणि। दौलतमंद और जुझारू।

सावधानी : तंगदिली या कंजूसी न रखें। माता का ध्यान रखें। मंगल और चंद्र का उपाय करें।

10. दसवां खाना केतु : शिकार करके खाने वाला जुझारू कुत्ता। ऐसा व्यक्ति जीवन में कितनी ही कठिनाइयां आएं, हार नहीं मानेगा।

सावधानी : भाई कितना ही दुःख दें लेकिन आप उन्हें आशीर्वाद ही देते रहें। माता का ध्यान रखें। यदि पराई स्त्री से संबंध रखा तो जड़ सहित उखड़ जाओगे।

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11. ग्यारहवां खाना राहु: धनवान घर में जन्म लेने वाला। ऐसे व्यक्ति की उम्र बढ़ने के साथ दौलत घटती जाती है। पिता विद्रोही। फिजूलखर्ची।

सावधानी : चाल-चलन ठीक रखें। बृहस्पति को शुभ बनाएं। शनि के मंदे कार्य न करें। पिता से संबंध अच्छे रखें। फिजूलखर्जी पर लगाम लगाएं।

11. ग्यारहवां खाना केतु : गीदड़ स्वभाव वाला कुत्ता। दयालु, परोपकारी, मधुर भाषी लेकिन चिंतित। केतु ग्यारह के समय शनि यदि तीसरे भाव में है तो राजा के समान जीवन व्यतीत होगा।

सावधानी : माता का ध्यान रखें और शनि तथा शुक्र का उपाय करें।

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12. बारहवां खाना राहु : 'गप्पबाज या शेखचिल्ली'। जैसा बुध का असर वैसा ही राहु का असर। मंगल यदि साथ बन रहा है तो शुभ होगा। ससुराल की हालत अच्छी होगी।

सावधानी : फिजूलखर्ची से बचें। किसी से भी झगड़ा न करें। चोरी या गबन का न सोचें। ईर्ष्या न रखें। रसोई में बैठकर ही भोजन करें। झूठ न बोलें। बुरी संगत से बचें।

12. बारहवां खाना केतु : अमीर कुत्ता अर्थात गुरु द्वारा पाला गया कुत्ता।

सावधानी : काला कुत्ता पाल लें या काले कुत्ते को प्रतिदिन रोटी खिलाते रहें। बृहस्पति को शुभ बनाकर रखें।

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