मंगलवार, 23 अप्रैल 2024
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Written By स्मृति आदित्य

ज्योतिष विज्ञान है, अंधविश्वास नहीं... पढ़ें आलेख

ज्योतिष विज्ञान है, अंधविश्वास नहीं... पढ़ें आलेख - ज्योतिष विज्ञान है, अंधविश्वास नहीं... पढ़ें आलेख
मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने ज्योतिषी  पं. नाथूलाल व्यास को हाथ क्या दिखाया चारों तरफ बवाल मच गया। ज्योतिष को अंधविश्वास बताने की होड़ लग गई।यह अपना अपना विश्वास हो सकता है कि आप इसे माने या न माने लेकिन विरोध के लिए समूची ज्योतिष परंपरा को नकारना और खारिज कर देना कहां की समझदारी है? 
 

 
ज्योतिष अंधविश्वास नहीं है, सदियों का विश्वास है, प्रामाणिक विज्ञान और सशक्त शास्त्र है। समूची ज्योतिष विद्या पर प्रश्न चिन्ह भारतीय संस्कृति पर प्रश्नचिन्ह है, .... नारद, आर्यभट्ट, वराहमिहिर, पराशर, गर्गाचार्य, लोमश ऋषि, निबंकाचार्य, पृथुयश, कल्याण वर्मा, लल्लाचार्य, भास्कराचार्य (प्रथम), ब्रह्मगुप्त, श्रीधराचार्य, मुंजाल यह सिर्फ नाम नहीं है ज्योतिष शास्त्र में इनका अपना गौरवमयी यशस्वी योगदान रहा है। 
 
जिस तरह से मीडिया ज्योतिष को अंधविश्वास बताने पर तूला है लगता ही नहीं है कि यही वह मीडिया है जो नास्त्रेदेमस पर 6-6 एपिसोड चलाता है। दिन-दिन भर पंडितों को बैठा कर एस्ट्रो टिप्स बताने वाला मीडिया अचानक से स्मृति ईरानी के हाथ दिखाने भर से इसी विद्या के खिलाफ खड़ा हो जाता है। 
 
महान ज्योतिषाचार्य पद्मभूषण पंडित सूर्यनारायण व्यास के सुपुत्र एवं सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ.राजशेखर व्यास के अनुसार ''जब राजनीति विज्ञान हो सकता है, समाज विज्ञान हो सकता है मन का भी मनोविज्ञान हो सकता है तो ज्योतिष विज्ञान क्यों नहीं हो सकता? मैं स्मृति ईरानी का ज्योतिषी के पास जाना वैसा ही मानता हूं जैसे कोई डॉक्टर के पास जाता है। 
 
हर युग में हर किसी किसी के अपने ज्योतिषी और आचार्य रहे हैं। राजा-महाराजाओं के काल में भी, विदेशों में भी और भारत में भी। रेगन, बुश,क्लिंटन से लेकर हर दौर के मंत्री और नेताओं के ज्योतिषी थे और हैं। 
 
भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, प्रधानमंत्री पं. नेहरू, डॉ. राधाकृष्णन से लेकर सभी बड़े राजनेता, क्रांतिकारी और समाजसेवी उज्जैन में महान ज्योतिषाचार्य पद्मभूषण पंडित सूर्यनारायण व्यास जी के पास आते रहे हैं। भारत की आजादी का मुहूर्त भी उन्हीं से पूछकर निकाला गया था। अगर किसी को अब भी विश्वास न हो तो उज्जैन स्थित उनके भव्य आवास 'भारती-भवन' में बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं के ज्योतिष संबंधी पत्रों का संकलन देख सकते हैं।  
 
डॉ. व्यास ने बताया कि दिल्ली में एक ज्योतिष सम्मेलन हुआ था। वहां मेरी मुलाकात जानेमाने ज्योतिषी  प्रो. केएन राव से हुई। उन्होंने मुझे टाइम्स मैग्जीन अमेरिका का एक अंक दिया।  उन दिनों अमेरिका और बाहर के देशों में एक हंगामा हुआ कि दुनिया के तमाम राजनेता ज्योतिषियों से सलाह लेते हैं। तब सर वोडो ब्राइट ने वह लेख लिखा। Who does not consult stars यानी कौन ऐसा आदमी है जो सितारों से राय नहीं लेता, भविष्य में विश्वास नहीं करता।  इस लेख में यह सिद्ध किया गया है कि पूरी दुनिया में ऐसा कोई नहीं है जो किसी न किसी रूप में इस विज्ञान को नहीं मानता है।'' 

पंडित अशोक पंवार 'मयंक' के अनुसार ''ज्योतिष अंधविश्वास नहीं है। इसके माध्यम से जातक की स्थिति पूर्णत: बताई जा सकती है। हस्तरेखा भी एक विज्ञान है लेकिन वास्तव में इसे जानने वाले कम बचे हैं।  हस्तरेखा को लेकर अंधविश्वास हो सकता है, पर जन्मकुंडली में तो बिलकुल नहीं।

हस्तरेखा देखने वाला अलग-अलग फल दिखाता है, परंतु ज्योतिष के अनुसार ग्रहों की स्थिति एवं उसका फल लगभग एक-सा होता है। फर्क इतना है कि ज्योतिषी की समझ और उसका अध्ययन कितना है। इसके अनुसार परिणाम निकलता है। 

मेरे ख्याल से तो यह स्मृति ईरानी का व्यक्तिगत मामला है इसे राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिए। कई बड़े नेता ज्योतिषी के पास जाते हैं, मेरे पास भी आते हैं। इसके प्रमाण मौजूद हैं। ''


एस्ट्रो दादाजी के नाम से मशहूर दुबई निवासी अशोक भाटिया के अनुसार ''यह किसी की भी व्यक्तिगत मान्यता है कि वह हिंदू रीति रिवाज और ज्योतिष को माने या नहीं, हिंदू होने के नाते स्मृति ईरानीको हक है कि वह ज्योतिष को विज्ञान समझे। हिंदूत्व को नष्ट करने के लिए,अपने मतलब के लिए विरोध किया जा रहा है यह उचित नहीं है। 
 
हमारे ज्योतिष की बरसों पुरानी परंपरा रही है। शास्त्र सम्मत प्रमाण हमारे पास सुरक्षित है। इसे अंधविश्वास मानने वाले पहले यह साबित करे कि इसका कोई आधार नहीं। पौराणिक और ऐतिहासिक तथ्य बताते हैं कि यह ईश्वरीय विद्या है।''