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Written By WD

जानिए, मध्यप्रदेश में कब, कहां कितनी बारिश...

सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश, मप्र में कैसी होगी बारिश

Sun in Ardra Nakshatra | जानिए, मध्यप्रदेश में कब, कहां कितनी बारिश...
- पं. आशीष शर्मा (रतलाम वाले)

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दिनांक 21 जून 2013 को भारतीय प्रामाणिक समय घं. 28 मि. 33 बजे वृषभ लग्न में सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। तिथि ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी (13), शुक्रवार रहेगी।

आर्द्रा प्रवेश के समय पूर्वी क्षितिज पर वृषभ लग्न का 28वां अंश उदित होगा, जो कि मृगशिरा नक्षत्र के द्वितीय चरण एवं नवमांश का लग्न कन्या है। लग्नेश व षष्ठेश द्वितीय भाव में चतुर्थेश, सूर्य द्वितीयेश एवं पंचमेश, बुध अष्ठमेश एवं लाभेश गुरु के साथ स्थित है अर्थात् द्वितीय भाव में शुक्र, सूर्य, बुध एवं गुरु स्थित है।

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द्वादशेश एवं सप्तमेश मंगल पराक्रमेश चंद्र द्वारा दृष्ट है। भाग्येश एवं दशमेश शनि छठे भाव में गुरु से दृष्ट है। लग्न में जल तत्व की अर्द्ध जलीय राशि वृषभ में दाहक ग्रह मंगल है, जो कि जल तत्व के चंद्र से पूर्ण दृष्ट हैं अतः पूर्वी मप्र में भीषण उमस के साथ अधिक वायु वेग के साथ व्यापक वर्षा होगी (जबलपुर, शहडोल, कटनी)।

द्वितीय भाव में अग्नि तत्व की निर्जल राशि मिथुन है जिसका स्वामी पृथ्वी तत्व बुध अपनी ही राशि के जल तत्व शुक्र, अग्नि तत्व के सूर्य, आकाश एवं तेज तत्व गुरु के साथ स्थित है, अतः यहां सामान्य से कम वर्षा के योग हो रहे हैं। वायु वेग की अधिकता के कारण बादल आते-जाते रहेंगे, कृषि उत्पादन भी सामान्य से कम होना संभव (रीवा, सतना का पूर्वी भाग) हैं।


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तृतीय भाव में वायु तत्व की पूर्ण दृष्टि है अतः छतरपुर, टीकमगढ़ क्षेत्र में वायु वेग के साथ यत्र-तत्र-सर्वत्र सामान्य अथवा व्यापक वर्षा के योग हो रहे हैं।

चतुर्थ भाव में निर्जल राशि सिंह पर दाहक ग्रह मंगल की पूर्ण दृष्टि है तथा चतुर्थेश सूर्य निर्जल राशि मिथुन में है। अतः सागर, बीना, ग्वालियर के पूर्वी भाग, झांसी आदि में अल्पवर्षा, भीषण उमस एवं कृषि हानि संभव है।

पंचम भाव में पृथ्वी तत्व की निर्जल राशि कन्या है, जिसका स्वामी बुध अग्नि तत्व की निर्जल राशि मिथुन में स्थित है, अतः यहां मौसम शुष्क रहने व अल्पवर्षा योग हो रहे हैं (मुरैना, शिवपुरी, गुना)।

छठे भाव में जल तत्व की चतुर्थ जलीय राशि तुला है, जिसका स्वामी जल तत्व का शुक्र निर्जल राशि मिथुन में है एवं छठे भाव में वायु तत्व का शनि एवं जल वायु तत्व का राहु स्थित है अतः राजगढ़, नीमच, मंदसौर आदि में वेगाधिक्य के साथ उत्तम वर्षा संभव है।


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सप्तम भाव में अग्नि तत्व की जलीय राशि वृश्चिक है, जिसका स्वामी मंगल जल तत्व अर्द्ध जलीय राशि वृषभ में बैठकर सप्तम भाव को देख रहा है तथा सप्तम भाव में ही जल तत्वीय चंद्र स्थित है अतः शाजापुर, उज्जैन, रतलाम एवं झाबुआ में सर्वत्र भीषण आकाशीय विद्युत प्रकोप के साथ व्यापक वर्षा के योग हो रहे हैं।

अष्ठम भाव में वायु तत्व की अर्द्ध जलीय राशि धनु है जिसका स्वामी गुरु है। अग्नि तत्व की निर्जल राशि मिथुन में स्थित है जिस पर क्रमशः गुरु, शुक्र, सूर्य, बुध एवं मंगल की पूर्ण दृष्टि है अतः इस क्षेत्र में तूफान, आकाशीय विद्युत प्रकोप, भीषण उमस के साथ अतिवृष्टि एवं अनावृष्टि के सभी रूप देखने को मिलेंगे, प्रकृति के प्रकोप से जन-धन को कष्ट रहेगा (झाबुआ, दक्षिण एवं पश्चिम निमाड़, धार)।

नवम भाव में आकाश जल की पूर्ण जलीय राशि मकर है जिसका स्वामी वायु तत्व का शनि, जल तत्व की जलीय राशि तुला में होने से यत्र-तत्र-सर्वत्र वायु वेग के साथ कृषि के लिए लाभदायक उत्तम वर्षा योग है (पूर्वी निमाड़, खंडवा, होशंगाबाद, देवास)।

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इसी प्रकार दशम भाव में आने वाले इटारसी, होशंगाबाद में भी व्यापक वर्षा से कृषि उपज में वृद्धि होगी। कृषक वर्ग खुशहाल होगा।

एकादश भाव में मीन जल तत्व की राशि है जिसका स्वामी गुरु अग्नि तत्व की निर्जल राशि मिथुन में स्थित है, अतः अतिवृष्टि कारक है? बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में नुकसान संभव। (बालाघाट, छिंदवाड़ा, जबलपुर आदि)

बारहवें भाव में मेष पृथ्वी तत्व की चतुर्थ जलीय राशि है, जिसका स्वामी मंगल जल तत्व की अर्द्ध जलीय राशि वृषभ में चंद्र से दृष्ट होने से भीषण उमस के साथ व्यापक और लाभदायक वर्षा संभव है। (मंडला, डिंडोरी, नरसिंहपुर आदि)

इस प्रकार प्रदेश में कुछ भागों को छोड़कर यत्र-तत्र-सर्वत्र व्यापक वर्षा योग हैं। सर्वत्र कृषि उत्पादन श्रेष्ठ रहना संभव। वहीं कहीं-कहीं जल प्लावन अतिवृष्टि एवं अनावृष्टि भी संभव