जानिए ज्योतिष में मुहूर्त का महत्व
हमारे जीवन में जन्म से लेकर मृत्युपर्यंत मुहूर्तों का महत्व माना गया है। भारतीय संस्कृति में भी पंचांग, मुहूर्त, शुभ समय का बहुत महत्व है। धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष इन सभी कार्यों में मुहूर्त का संबंध निरंतर चलता ही रहता है।
इन मुहूर्तों को देखकर किसी भी नए कार्य का शुभारंभ करना हमेशा ही शुभता लिए तथा सफलता प्रदान करने वाला होता है। इसीलिए हमें प्रतिदिन अशुभ काल में शुभ कार्य शुरू नहीं करना चाहिए, बल्कि शुभ काल में ही अपने कार्यों को करना चाहिए। जैसे- राहु काल में कोई शुभ कार्य, यात्रा तथा कोई व्यापार संबंधी तथा धन का लेन-देन न करें।
राहु काल अनिष्टकारी बताया गया है। गुलीक काल में शुभ कार्य करें। राहु काल तथा गुलीक काल का विवरण निम्न प्रकार है-
गुलीक काल (शुभ समय)
वार |
समय |
रविवार- |
अपराह्न- 3 से 4.30 बजे तक |
सोमवार- |
दोपहर 1.30 से 3 बजे तक |
मंगलवार- |
दोपहर 12 से 1.30 बजे तक |
बुधवार- |
प्रातः 10.30 से 12 बजे तक |
गुरुवार- |
प्रातः 9 से 10.30 बजे तक |
शुक्रवार- |
प्रातः 7.30 से 9 बजे तक |
शनिवार- |
प्रातः 6 से 7.30 बजे तक |
आगे पढ़े राहु काल (अशुभ समय) का महत्व
राहु काल (अशुभ समय)वार | समय |
रविवार- | सायं 4.30 से 6 बजे तक |
सोमवार- | प्रातः 7.30 से 9 बजे तक |
मंगलवार- | अपराह्न- 3 से 4.30 बजे तक |
बुधवार- | दोपहर 12 से 1.30 बजे तक |
गुरुवार- | दोपहर 1.30 से 3 बजे तक |
शुक्रवार- | प्रातः 10.30 से 12 बजे तक |
शनिवार- | प्रातः 9 से 10.30 बजे तक |