वर्ष का प्रथम सूर्यग्रहण : दे रहा है आतंक का संकेत
आतंक-अशांति लाएगा वर्ष का पहला खण्डग्रास सूर्यग्रहण...
मनुष्य जाति हमेशा से ही ग्रहण के प्रति सशंकित रही है। प्राचीनकाल से ही सूर्य या चन्द्रग्रहण को मुख्यत: अशुभ ही माना जाता रहा है। इस वर्ष बुधवार, 9 मार्च को पहला ग्रहण खण्डग्रास सूर्यग्रहण है। यह ग्रहण भारत के पश्चिमोत्तर भाग को छोड़कर पूरे भारत में दिखाई देगा। खण्डग्रास सूर्यग्रहण को इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि यह गुरु प्रधान पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में पड़ रहा है।
यह ग्रहण अशुभ नक्षत्रों के संयोग में होने से प्रबल संभावना है कि देश के प्रभावशाली लोग जो उम्रदराज हो चुके हैं उन्हें जटिल रोगों से परेशानी झेलनी पड़ेगी। वैज्ञानिक साक्ष्य हैं कि सूर्य ग्रहण चूंकि पृथ्वी को प्रभावित करता है इसलिए देश के अनेक भागों में प्राकृतिक आपदाओं की संभावनाएं प्रबल हैं और साथ ही आतंकवाद, नक्सलवाद के रूप में हिंसात्मक घटनाओं की भी संभावना बन रही है।
9 मार्च को सुबह 5 बजकर 24 बजे ग्रहण काल शुरू होगा और मोक्षकाल सुबह 6 बजकर 1 मिनट पर समाप्त होगा। ग्रहण से 12 घंटे पहले के काल को सूतक काल माना जाता है इसलिए 8 मार्च को शाम 5 बजकर 30 मिनट से सूतक लगेगा और इस दौरान मंदिर के पट बंद रहेंगे और घर में भी पूजा-पाठ पर रोक रहेगी।
खण्डग्रास सूर्यग्रहण के 15 दिन बाद 23 मार्च को चन्द्रग्रहण पड़ेगा लेकिन यह भारत में दिखाई न देने से इसका भारतीय भू-भाग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसके पश्चात 1 सितंबर को कंकण सूर्यग्रहण और 17 सितंबर को चन्द्रग्रहण पड़ रहा है लेकिन यह भी भारत में दिखाई नहीं देगा और अन्य देशों में इसका प्रभाव पड़ेगा।